नई दिल्ली: 3 अक्टूबर को ऋषिकेश में एक कमरे में कुछ लड़कियाँ ‘मिस ऋषिकेश’ प्रतियोगिता के लिए अभ्यास कर रही थीं, तभी अचानक एक संगठन के अध्यक्ष वहाँ आ धमके। लेकिन उन्हें शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि उनका सामना 23 साल की एक निडर युवती, मुस्कान शर्मा से होने वाला है।
काली ड्रेस और पेंसिल हील पहने मुस्कान बिना किसी झिझक के खड़ी हुईं, उनकी आँखों में आत्मविश्वास था और आवाज़ में दृढ़ता। उन्होंने सीधे उस व्यक्ति की आँखों में देखकर कहा, “सर, आप किसी के जुनून को इस तरह नहीं तोड़ सकते। आप किस संस्कृति की बात कर रहे हैं?”
यह पूरा वाकया तब शुरू हुआ जब राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के अध्यक्ष राघवेंद्र भटनागर रिहर्सल रूम में घुस आए और लड़कियों के कपड़ों को “उत्तराखंड की संस्कृति के खिलाफ” बताते हुए उन पर चिल्लाने लगे। एक वीडियो में, जो अब वायरल हो चुका है, भटनागर यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि वह इस कार्यक्रम को नहीं होने देंगे और प्रतिभागियों को यह सब “अपने घरों में” करना चाहिए।
लेकिन इस धमकी के सामने मुस्कान और अन्य लड़कियों ने जो हिम्मत दिखाई, उसने सबका दिल जीत लिया। कहानी सिर्फ वीडियो पर खत्म नहीं हुई। भटनागर को वहाँ से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा और रिहर्सल फिर से शुरू हो गई। अगले ही दिन, 4 अक्टूबर को, प्रतियोगिता तय समय पर आयोजित हुई और मुस्कान शर्मा को ‘मिस ऋषिकेश’ का ताज पहनाया गया।
वायरल वीडियो में भटनागर को लड़कियों के पहनावे पर आपत्ति जताते हुए देखा जा सकता है, जिसके जवाब में मुस्कान कहती हैं, “क्या आपको शराब से कोई दिक्कत नहीं है? ठीक बाहर एक दुकान है जहाँ सिगरेट, शराब और ड्रग्स बिकते हैं। उसे बंद करवाइए।” जब वह उन्हें चुप रहने के लिए कहते हैं, तो मुस्कान पलटकर जवाब देती हैं, “हमें वह करने दीजिए जो हम करना चाहते हैं… आप हमें यह बताने वाले कोई नहीं होते। आप हैं कौन?”
मुस्कान के लिए यह लड़ाई सिर्फ उस कमरे तक सीमित नहीं थी; वह यहाँ तक पहुँचने के लिए पहले भी कई मुश्किलों का सामना कर चुकी हैं।
दिल्ली में नौकरी करने वाली मुस्कान बताती हैं, “बचपन से ही मैं फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध की ओर आकर्षित थी, लेकिन सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से हमेशा डरती थी। मैं डांस प्रतियोगिताओं में तो भाग लेती थी, पर मॉडलिंग में नहीं। फिर एक दिन इंस्टाग्राम पर मैंने इस प्रतियोगिता का विज्ञापन देखा। मुझे लगा कि अगर 25 साल की होने से पहले मैंने एक बार भी कोशिश नहीं की, तो मुझे हमेशा पछतावा रहेगा।”
ऋषिकेश में पली-बढ़ी और देहरादून से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाली मुस्कान का कहना है कि इस पूरे सफ़र में उनका परिवार मजबूती से उनके साथ खड़ा रहा। वह कहती हैं, “जब मैंने अपने लिए आवाज़ उठाई तो वे बहुत खुश हुए, क्योंकि उन्होंने मुझे यही सिखाया है।”
इसी आत्मविश्वास के साथ उन्होंने भटनागर से सवाल किया, “जब वे ‘आपत्तिजनक कपड़े’ कहते हैं, तो इसका मतलब क्या होता है? ज़माना बदल गया है, हमें इन धारणाओं से आगे बढ़ना होगा। हर किसी को अपने तरीके से धर्म और संस्कृति का पालन करने का अधिकार है… सबसे पहले इंसान बनना ज़रूरी है।”
जब इस मामले पर भटनागर से संपर्क किया गया, तो उन्होंने यह कहकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि वह उत्तराखंड के बाहर के किसी भी ऐसे व्यक्ति से बात नहीं करना चाहते “जो राज्य की संस्कृति को नहीं जानता।” बता दें कि राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन जनवरी 2017 में एक संगठन के रूप में पंजीकृत हुआ था और यह “लव जिहाद” के खिलाफ कानूनों का समर्थन करके “धार्मिक धर्मांतरण” का विरोध करने का काम करता है।
उस दिन मुस्कान के साथ भटनागर का सामना करने वाली एक और 23 वर्षीय प्रतियोगी ने अगले दिन प्रतियोगिता में दूसरा रनर-अप स्थान हासिल किया। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा, “कपड़ों को एक महिला के सम्मान से नहीं जोड़ा जा सकता। इन पुरुषों को हमारे सम्मान का ठेकेदार किसने बनाया? हम इस करियर को आगे बढ़ाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि युवा लड़कियों को भी यही मूल्य सिखाए जाएं।”
उन्होंने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि जब वह 18 साल की थीं, तो उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए सेल्स एग्जीक्यूटिव की नौकरी की। उनके पिता का निधन तब हो गया था जब वह सिर्फ तीन साल की थीं, और उनकी माँ ने उन्हें और उनकी छोटी बहन को पालने के लिए बहुत मेहनत की।
दो साल पहले, 2023 में, उन्होंने पहली बार मिस ऋषिकेश प्रतियोगिता में भाग लिया था, लेकिन तब वह खिताब नहीं जीत पाईं। हालांकि, उस अनुभव ने उन्हें यह अहसास दिलाया कि वह इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं।
वह कहती हैं, “कई बार लोग मेरी माँ से शिकायत करते थे कि मैं देर से घर आती हूँ। पर लोग तो बोलेंगे ही। मैं सलवार-कमीज़ पहनती थी, तब भी लोग घूरते थे। यह कभी भी आपके कपड़ों के बारे में नहीं होता। लेकिन मेरी माँ ने हमेशा मेरा साथ दिया और कहा कि उन्हें मुझ पर भरोसा है। इसी बात ने मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत दी।”
यह प्रतियोगिता पिछले पाँच वर्षों से स्थानीय लायंस क्लब रॉयल चैप्टर के दिवाली मेले का एक हिस्सा रही है। कार्यक्रम के आयोजकों में से एक, सुशील छाबड़ा ने बताया, “हम लायंस दिवाली मेले के हिस्से के रूप में इस शो का आयोजन कर रहे हैं और हमें पहले कभी ऐसी आपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ा। हम महिलाओं को एक मंच प्रदान कर रहे हैं।”
इस साल प्रतियोगिता के जूरी में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल भी शामिल थीं। उन्होंने कार्यक्रम में कहा, “ये लड़कियाँ आगे चलकर बड़े मंचों पर दिखाई देंगी और ऋषिकेश का नाम रोशन करेंगी। हम आज उनके प्रदर्शन के गवाह हैं और आने वाले वर्षों में दुनिया इनकी सफलता की गवाह बनेगी।”
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