रूस, यूक्रेन और गलत सूचना: संघर्ष के दौरान रीयल टाइम फैक्ट-चेकिंग

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

रूस, यूक्रेन और गलत सूचना: संघर्ष के दौरान रीयल टाइम फैक्ट-चेकिंग

| Updated: March 5, 2022 21:14

एनबीसी को बताया कि उनकी टीम ने 14 फरवरी से 'यूक्रेन की आक्रामकता' जैसे विशिष्ट कीवर्ड का उपयोग देखना शुरू कर दिया था, और वही बातें रूसी सोशल मीडिया और राज्य से जुड़े मीडिया आउटलेट्स में गूंज रही थीं। विभाग ने एक तथ्य-पत्र भी जारी किया जो इस साल की शुरुआत में जनवरी में रूसी सरकार द्वारा फैलाई गई बातों में तथ्य बनाम कल्पना को स्पष्ट करता है।

गुरुवार, 24 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के कुछ हिस्सों में “विशेष सैन्य अभ्यास” की घोषणा की थी, जो बाद में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में बदल गया। यूक्रेन की सरकारी आपातकालीन सेवा के अनुसार, युद्ध अब तक 2,000 से अधिक नागरिकों की जान ले चुका है।

जब से युद्ध छिड़ा है तब से ग्राफिक, अच्छे-बुरे भावनात्मक दृश्यों ने समाचारों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बाढ़ ला दी है। इनमें मौके से तत्काल ही बच्चों से सैनिकों का सामना करने से लेकर भारी क्षतिग्रस्त इमारतों तक के दृश्य होते हैं। जबकि इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने बाधित इंटरनेट और टेलीविजन प्रसारण सेवाओं के बावजूद भी यूक्रेन से सूचना प्रवाह में सहायता की है। साथ ही उन्होंने संघर्ष से संबंधित गलत सूचनाओं के बड़े पैमाने पर प्रवाह को भी बढ़ावा दिया है।

यूक्रेन से आने वाली सूचनाओं के भारी प्रवाह ने मीडिया संगठनों सहित कई लोगों को गुमराह किया

यूक्रेन से आने वाली सूचनाओं के भारी प्रवाह ने मीडिया संगठनों सहित कई लोगों को गुमराह किया है, जिससे गलत रिपोर्टिंग हुई है। इस समस्या को देखते हुए इनमें से कुछ दृश्य यूक्रेन के सरकारी अधिकारियों द्वारा भी साझा किए गए हैं।

इसी के मद्देनजर लोकप्रिय ‘घोस्ट ऑफ कीव’ को आकलन करना होगा, जो कहता है कि यूक्रेनी वायु सेना के इक्का-दुक्का पायलट ने खुद छह रूसी जेट मार गिराए।

हालांकि इस ‘घोस्ट’ के बारे में रिपोर्ट सत्यापित नहीं हैं और फकत एक चर्चा होने की संभावना है। यूक्रेनी सरकार के सत्यापित ट्विटर अकाउंट ने ‘घोस्ट’ की सराहना करते हुए एक कॉम्बैट सिम्युलेटर पर बनाए गए दृश्यों को साझा किया।

हालांकि क्विंट जैसी बेवसाइट की जूनियर टीम ने भी ऐसे कई दावों को खारिज कर दिया है, जिसमें मीडिया द्वारा विस्फोटों और हवाई युद्ध के पुराने या नकली दृश्यों को प्रसारित करने की घटनाएं शामिल हैं।

भारत में सोशल मीडिया पोस्ट पर ऐसे दावे देखे गए जिनमें पुतिन व्यक्तिगत रूप से निकाले जा रहे भारतीयों से मिलते हैं और उन्हें संबोधित करते हैं

हालांकि ऐसे दावे भी हैं जो दुनिया भर में घूम चुके हैं। कई देश विशेष से भी जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, भारत में सोशल मीडिया पोस्ट पर ऐसे दावे देखे गए जिनमें पुतिन व्यक्तिगत रूप से निकाले जा रहे भारतीयों से मिलते हैं और उन्हें संबोधित करते हैं और विवादित क्षेत्रों पर भारत का अधिकार होने जैसा बयान देते हैं।

लेकिन यह सिर्फ एक देश की बात है। सवाल है कि कोई चारों ओर चल रही सभी गलत सूचनाओं पर कैसे नजर रख सकता है?

पॉयन्टर के अनुसार, दुनिया भर के तथ्य-जांचकर्ता जब विभिन्न देशों में इसी तरह के दावों को खारिज कर रहे थे, तब एक स्पेनिश समाचार के गैर-लाभकारी न्यूज रूम, Maldita.es के सीईओ और सह-संस्थापक जिमेनेज क्रूज ने ऐसा प्रयास देखा।

उनकी टीम ने पॉयन्टर के इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क से संपर्क किया और फैक्ट-चेकर्स को एक स्प्रेडशीट में अपने डिबंक्स के बारे में जानकारी दर्ज करने के लिए आमंत्रित किया। इस सहयोगात्मक प्रयास को ukrainefacts.org पर आसानी से देखा और समझा जा सकता है।

क्रूज ने कहा कि तथ्य-जांचकर्ता समान सिद्धांतों का पालन करते हैं, इससे उनके साथियों के लिए समय की बचत होती है क्योंकि उन्हें उसी दावे के लिए उन्हें प्रयासों को दोहराना नहीं पड़ता है।

नीदरलैंड स्थित खोजी पत्रकारिता समूह बेलिंगकैट के जियानकार्लो फियोरेला ने कनाडा के सीबीसी न्यूज को बताया कि सामग्री की इस बाढ़ ने तथ्य-जांचकर्ताओं को व्यस्त रखा हुआ है। उन्होंने रूस और यूक्रेन के आसपास की जानकारी को इसके वॉल्यूम पर सत्यापित करने की चुनौती दी। फियोरेला ने सीबीसी न्यूज को बताया, “सोशल मीडिया पर जिस तरह की घटनाओं की बाढ़ आ रही है, उसमें बहुत कुछ है।”

एक संभावित रूसी दुष्प्रचार अभियान

प्रचार और दुष्प्रचार के स्पष्ट अभियान के कारण अमेरिका के विदेश विभाग ने गुरुवार, 3 मार्च को एक बयान जारी किया। इसमें 26 व्यक्तियों और सात संस्थाओं को कार्यकारी आदेशों (ईओ) के तहत नामित किया गया, जो विदेशी संस्थाओं और प्रतिबंधों से निपटते हैं, क्योंकि वे “रूस के वैश्विक दुष्प्रचार अभियान से जुड़े” थे और “रूसी संघ के लिए दुष्प्रचार और अति-राष्ट्रवादी प्रचार प्रसार कर रहे थे।”

विभाग ने एक तथ्य-पत्र भी जारी किया जो इस साल की शुरुआत में जनवरी में रूसी सरकार द्वारा फैलाई गई बातों में तथ्य बनाम कल्पना को स्पष्ट करता है।

स्ट्रिकलैंड ने कहा कि पुराने अभियानों ने यूक्रेन में तनाव के लिए नाटो और पश्चिमी देशों को दोष देने की कोशिश की। हालांकि अब एक बदलाव आया है, जहां अभियानों ने सीधे यूक्रेन को निशाना बनाया, जिसमें नव-नाजियों और फासीवादियों को शरण देने का आरोप लगाया जा रहा।

उन्होंने एनबीसी को बताया कि उनकी टीम ने 14 फरवरी से ‘यूक्रेन की आक्रामकता’ जैसे विशिष्ट कीवर्ड का उपयोग देखना शुरू कर दिया था, और वही बातें रूसी सोशल मीडिया और राज्य से जुड़े मीडिया आउटलेट्स में गूंज रही थीं।

कौन हैं रूस पर डिजिटल स्ट्राइक करने वाले यूक्रेन के सबसे युवा मंत्री फेडोरोव?

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d