लोगों को चुप कराने के लिए हो रही जासूसी - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

लोगों को चुप कराने के लिए हो रही जासूसी

| Updated: July 18, 2021 20:48

पेगासस और कैंडिरू जैसी इजरायली कंपनियां अपने महंगे जासूसी उपकरण विभिन्न देशों को बेचती हैं। अधिकारवादी शासन इनकी मदद से विरोधियों को चुप करता है और उनसे जुड़े लोगों की जासूसी करता है। एक आश्चर्यजनक खुलासे में सामने आया है कि चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारें भी इन जासूसी उपकरणों को खरीद रही हैं और विरोधियों के साथ-साथ अपने लोगों पर भी नजर रखने में इनका इस्तेमाल कर रही हैं।
भारत की शीर्ष डिजिटल मीडिया समाचार कंपनी द वायर पेगासस और कैंडिरू की जासूसी का पर्दाफाश करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जासूसी चार महाद्वीपों के 20 देशों में हुई है। भारत भी इस मामले में अहम लक्ष्य रहा और 1488 से अधिक लोगों पर पेगासस का इस्तेमाल उन्हेंं ट्रैक करने, उन्हेंं चुप कराने और मौजूदा शासन के खिलाफ किसी भी तरह के असंतोष को रोकने के लिए किया गया। मध्य एशिया में दो पेपर के साथ-साथ द वायर इसे भारत में, वाशिंगटन पोस्ट अमेरिका में और द गार्जियन यूके में प्रिंट कर रहा है। 

भारत में और खासकर गुजरात में जासूसी करना कोई नई बात नहीं है। 2007 में गुजरात में फोन सर्विलांस की शिकायतें मिली थीं। अब, शासन या अपने लोगों को पसंद नहीं करने वालों की जासूसी करने के लिए 20 देशों में इस इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर के बेचे जाने का खुलासा हुआ है।
कई राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों, असंतुष्टों, पत्रकारों और वकीलों समेत आरएसएस नेताओं सहित कई अन्य लोगों की कथित तौर पर उनके फोन के जरिये जासूसी की जा रही थी।
वाइब्स ऑफ इंडिया इस बात का खुलासा पूरे विश्वास के साथ कर सकता है कि इस सूची में गुजरात के या गुजरात से संबंध रखने वाले कम से कम चार लोग शामिल हैं। एक सूत्र ने वाइब्स ऑफ इंडिया को लगभग 28 नाम दिए हैं जिनमें दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, तीन उद्योगपतियों, 8 आरएसएस कार्यकर्ताओं, कम से कम तीन कैबिनेट मंत्रियों, शीर्ष सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों, पत्रकारों, वकीलों और दलित कार्यकर्ताओं के नंबर शामिल हैं। वीओआई अभी तक नाम नहीं छाप रहा है, क्योंकि वह इन्हें सामने लाने वाले गठजोड़ का हिस्सा नहीं है।

बहरहाल, संसद का मॉनसून सत्र सोमवार सुबह से शुरू हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सुबह 11 बजे से पहले कम से कम पांच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक सरकार की पोल खोलने वाले इस बड़े घोटाले को प्रकाशित करेंगे।

हालांकि कहानी की सूची इससे आगे भी है। कहानी नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संसद में किए गए उस दावे के बारे में है कि “भारत में कोई अनधिकृत स्पाइवेयर खरीदा या इस्तेमाल नहीं किया गया है।” कहानी में मोड़ यह है कि 28 नवंबर, 2019 को जब जासूसी के लिए पेगासस का मसला संसद में उठाया गया था, तब उस समय के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने स्थापित प्रक्रिया के उल्लंघन पर स्पष्ट रूप से कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया था। साथ ही कहा था कि ‘मेरी जानकारी के हिसाब से इसके लिए कोई अवैध निर्देश जारी नहीं किए गए।’

लेकिन अब जब पेगासस ने पुष्टि कर दी है कि भारत उसके ग्राहकों में से एक रहा है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में 1488 से अधिक ऐसे लोगों की सूची जारी करने वाला है, जिनके फोन की निगरानी की गई है, तो प्रश्न तो उठेंगे ही।

1. पेगासस को खरीदने का फैसला किसने और क्यों किया?

2. इसके लिए किसने भुगतान किया।

3. भुगतान को अधिकृत किसने किया।

पारंपरिक गणना के हिसाब से 1500 लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर की कीमत 700 से 810 करोड़ रुपये के बीच होगी। इसमें अगर कोई दलाली होगी, तो उसे घटा दिया जाएगा।

ऐसे में आरोप-प्रत्यारोपों की जमकर आतिशबाजी होगी। उम्मीद के मुताबिक ही भाजपा ने आज से ही अपने ऊपर आरोप लगने से पहले ही अपना बचाव शुरू कर दिया है।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d