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महाकुंभ मेले में भगदड़: 30 लोगों की मौत, 60 घायल, सैकड़ों गायब

| Updated: January 31, 2025 14:06

बुधवार (29 जनवरी) को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में महाकुंभ मेले (Mahakumbh Mela) के दौरान हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए। इस घटना के बाद सैकड़ों लोगों के गायब होने की भी खबर मिल रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार किया कि मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम नोज़ पर भारी भीड़ उमड़ने से प्रशासन दबाव में आ गया था।

इस भगदड़ के पीछे विपक्ष VVIP कल्चर और सरकार की लचर व्यवस्था को जिम्मदार ठहरा रहा है. वहीं अन्य का कहना है कि बेहतर व्यवस्था के साथ श्रद्धालुओं के लिए इंतजाम किये जा सकते थे.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), जो भारत में आपदा न्यूनीकरण नीतियों के लिए सर्वोच्च संस्था है, ने 2014 में बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और भगदड़ रोकथाम पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अधिकांश भगदड़ धार्मिक आयोजनों में होती हैं।

Prayagraj: Devotees arrive to take a holy dip at Triveni Sangam, the confluence of the Ganga, Yamuna, and the mythological Saraswati rivers, during the ongoing Maha Kumbh Mela 2025 in Prayagraj on Thursday, January 30, 2025. (Photo: IANS)

भगदड़ के कारण

भगदड़ के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • संरचनात्मक समस्याएँ: कमजोर अस्थायी संरचनाएँ, खराब बैरिकेडिंग, अपर्याप्त रेलिंग, संकीर्ण प्रवेश और निकासी मार्ग, और अपर्याप्त प्रकाश व्यवस्था।
  • पर्यावरणीय खतरें: आग लगने या विद्युत विफलता जैसी आपदाएँ।
  • भीड़ नियंत्रण की असफलता: कमजोर सुरक्षा, अनियंत्रित भीड़ की आवाजाही, और हितधारकों के बीच समन्वय की कमी।
  • व्यवहारगत कारक: घबराहट, उत्तेजना, या अचानक भीड़ का बढ़ना।

NDMA रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुचित या अपर्याप्त व्यवस्थाएँ स्थिति को और खराब कर सकती हैं, जिससे कुचलने, दम घुटने और पैरों तले रौंदे जाने जैसी घटनाएँ बढ़ सकती हैं।

भीड़ व्यवहार को समझना

रिपोर्ट के अनुसार, भीड़ व्यवहार को समझना भगदड़ रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। व्यक्तिगत कार्य अक्सर सामूहिक व्यवहार से प्रभावित होते हैं। कुछ लोगों के अवैध कार्य बड़े समूह को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धार्मिक स्थलों पर लंबा इंतजार लोगों को अवरोधक पार करने के लिए मजबूर कर सकता है, जिससे भीड़ का अनियंत्रित प्रवाह शुरू हो सकता है। खराब सुरक्षा प्रतिक्रिया, जैसे कि अव्यवस्थित भीड़ को आने वाली भीड़ की दिशा में धकेलना, स्थिति को और बदतर बना सकती है।

पिछली घटनाओं से सबक

NDMA रिपोर्ट में पहले हुई भगदड़ों का हवाला दिया गया है:

  • नासिक कुंभ मेला (2003): 29 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जिसका कारण अव्यवस्थित भीड़, बैरिकेड्स पर दबाव, और तीर्थ मार्ग पर अनुचित प्रवेश था।
  • कालूबाई यात्रा (महाराष्ट्र, 2005): इस घटना में 293 लोगों की मौत हुई थी। इसके कारण थे – गलत भीड़ अनुमान, छोटे मंदिर परिसर, संकीर्ण और फिसलन भरे रास्ते, अवैध विक्रेता, असुरक्षित बिजली संयोजन, और सुरक्षा व आपातकालीन सेवाओं की कमी।

प्रभावी भीड़ नियंत्रण उपाय

रिपोर्ट में बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन के लिए तीन चरणों की रणनीति सुझाई गई है:

  1. भीड़ के प्रवेश को नियंत्रित करना – अनिवार्य पंजीकरण और डिजिटल निगरानी के माध्यम से आगंतुकों की संख्या को सीमित करना।
  2. स्थल पर भीड़ का प्रबंधन – मजबूत रेलिंग, क्षेत्रों में विभाजन और वास्तविक समय निगरानी से भीड़ को नियंत्रित करना।
  3. सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करना – निकासी को क्रमबद्ध करना और आपातकालीन प्रोटोकॉल लागू करना।

रिपोर्ट में वैष्णो देवी और सबरीमाला मंदिरों का उदाहरण दिया गया है, जहाँ ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली द्वारा तीर्थयात्रियों की संख्या को नियंत्रित किया जाता है।

बुनियादी ढांचे और सूचना प्रबंधन की भूमिका

NDMA इस बात पर जोर देता है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे का विकास आवश्यक है। प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  • विश्राम स्थल: पर्याप्त भोजन, पानी, स्वच्छता सुविधाओं और आपातकालीन सेवाओं से युक्त विश्राम क्षेत्र स्थापित करना।
  • सूचना प्रबंधन: डिजिटल स्क्रीन, सार्वजनिक घोषणाओं और मोबाइल अलर्ट के माध्यम से भीड़ को वास्तविक समय में निर्देशित करना।

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