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सूरत साइबर ठगी कांड: 90 बैंक खातों के ज़रिए 1,455 करोड़ रुपए का हेरफेर

| Updated: June 7, 2025 11:55

सूरत पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें 90 फर्जी बैंक खातों के ज़रिए ₹1,455 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। देशभर में 2,500 से अधिक साइबर अपराध मामलों में इन खातों की भूमिका सामने आई है। मुख्य आरोपी ने आर्थिक तंगी में फंसे लोगों से पहचान दस्तावेज लेकर उन्हें साइबर अपराधियों को किराए पर दिया।

सूरत। पिछले महीने सूरत में उजागर हुए एक अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम रैकेट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस ने बताया कि पिछले छह महीनों में 90 बैंक खातों के माध्यम से 1,455 करोड़ रुपए का लेन-देन किया गया। ये खाते जरूरतमंद लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर खोले गए थे।

पुलिस का कहना है कि यह आंकड़ा 2,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है, क्योंकि अभी 75 संदिग्ध खातों की जांच बाकी है।

यह रैकेट 22 मई को तब सामने आया जब उधना पुलिस ने एक संदिग्ध व्यक्ति को मुहरों और बैंक किट्स के साथ पकड़ा। इसके बाद मोता वराछा स्थित एक ऑफिस पर छापेमारी की गई, जिसे किरत जड़वानी, मीत खोक्खर और मयूर इटालिया चला रहे थे। पुलिस ने वहां से बड़ी मात्रा में नकदी, दस्तावेज, मुहरें और बैंकिंग किट्स बरामद कीं।

पुलिस के मुताबिक, यह रैकेट एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़ा हुआ है, जिसके सदस्य क्यूबा, मलेशिया और थाईलैंड में सक्रिय हैं। इन खातों का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट स्कैम, ऑनलाइन सट्टेबाज़ी, और अन्य साइबर ठगी के पैसों को ठिकाने लगाने के लिए किया गया। अधिकांश खाते आरबीएल, एक्सिस, यस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक की वेसू, सहारा दरवाजा और वराछा शाखाओं में खोले गए थे।

पूरे देश में 2,500 साइबर अपराध मामलों से जुड़े लिंक

जांच में सामने आया कि आरोपियों से जुड़े 165 बैंक खातों का संबंध देशभर की 2,500 साइबर अपराध शिकायतों से है। इनमें से 265 शिकायतें गुजरात से हैं, जिनमें सिर्फ सूरत की ही 36 शिकायतें शामिल हैं।

डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (ज़ोन-2) भगिरथ गढ़वी ने बताया, “आरबीएल बैंक के 90 खातों में 1,455 करोड़ रुपए के लेन-देन दर्ज हुए हैं। कुछ खातों में 10 करोड़ रुपए से 50 करोड़ रुपए तक की ट्रांजेक्शन हुई है। राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल पर मिली शिकायतों से पुष्टि हुई है कि इन खातों का उपयोग डिजिटल ठगी और सट्टेबाज़ी के पैसे को घुमाने के लिए किया गया।”

जड़वानी ने आर्थिक तंगी के शिकार लोगों से लिए दस्तावेज

उधना पुलिस इंस्पेक्टर एस.एन. देसाई ने बताया कि मुख्य आरोपी किरत जड़वानी पहले गोदाम व्यवसाय में घाटा झेल चुका था। जुलाई 2024 से उसने साइबर क्राइम की ओर रुख किया और आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को 8 लाख रुपए तक देकर उनके पहचान दस्तावेज हासिल किए। इन दस्तावेजों के आधार पर करंट अकाउंट खोले गए — कुछ फर्जी कंपनियों के नाम पर भी।

जड़वानी ने कथित रूप से इन खातों को साइबर अपराधियों को किराए पर देकर 10 करोड़ रुपए तक का कमीशन कमाया।

इंस्पेक्टर देसाई ने कहा, “हमने जड़वानी के खातों से 1.40 करोड़ रुपए फ्रीज़ किए हैं। जिन 90 खातों की जांच की गई, उनमें से 1.10 करोड़ रुपए की राशि विभिन्न एजेंसियों और बैंकों द्वारा जब्त की जा चुकी है।”

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