अल्जाइमर से पीड़ित एक बुजुर्ग नागरिक घर का रास्ता भूल गए। लेकिन सोशल मीडिया पर मौजूद अनजान लोगों ने वडोदरा में उनके परिवार को खोज निकालने और घर पहुंचा देने तक में मदद की। इससे एक बार फिर साबित हुआ कि इंटरनेट उतना ही बुरा या अच्छा है जितना कि लोग।
अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है, जो उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क के कमजोर पड़ जाने से जुड़ी होती है। अल्जाइमर का मरीज भूल सकता है कि वह कौन है और कहां रहता है।
26 सितंबर को 80 वर्षीय अंबालाल पटेल के साथ यही हुआ। वह रविवार को रोजमर्रा की जिंदगी जीने में जुटे हुए थे। घर के झूले पर बैठकर अखबार पढ़ रहे थे। अचानक वह अपना पहचान-पत्र और पैसे समेत सारा सामान छोड़कर गेट से बाहर निकल गए। जब परिवार को पता चला कि वह लापता हो गए हैं, तो उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की जांच की। पता चला कि अंबालाल सुबह 11 बजे गोत्री के यश कॉम्प्लेक्स गए थे। उससे आगे वह नहीं दिखे।
परिवार ने मदद के लिए सोशल मीडिया का रुख किया। अमेरिका में वॉलमार्ट के साथ काम करने वाले अंबालाल के पोते निसर्ग पटेल ने फेसबुक पर एक अपील पोस्ट की।
निसर्ग ने लिखा-“प्रिय दोस्तों, मेरे दादा (अल्जाइमर के रोगी) गलती से वडोदरा में हमारे घर से बाहर निकल गए और लापता हो गए हैं।” आगे लिखा- “उनका अंतिम ज्ञात स्थान (सीसीटीवी फीड के आधार पर गोत्री झील, यश परिसर के पास था)। मैं वर्तमान में अमेरिका में हूं, लेकिन मेरे माता-पिता और परिवार के सदस्य वडोदरा में हैं। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस पोस्ट को अपने समूह में साझा करें और आस-पास देखें, ताकि हमें उन्हें खोजने में मदद मिल सके। हम इस मामले में आपकी मदद की विनम्रता के साथ सराहना करते हैं।”
पोस्ट को व्यापक रूप से साझा किया गया और कुछ ने ट्विटर पर भी यह अपील डाल दी।कई लोगों ने वडोदरा पुलिस और कमिश्नर शमशेर सिंह को टैग किया। पुलिस आयुक्त सिंह ने 27 सितंबर को एक आईटी पेशेवर श्रीपाल गांधी के ऐसे ही एक पोस्ट को कोट-ट्वीट किया: “हमारी टीमें काम पर हैं।”
परिजनों ने प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी। जल्द ही ट्विटर से अधिक लीड आने लगीं।
29 सितंबर को वडोदरा के लिए उड़ान भरने वाले निसर्ग ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया, “नेट पर अनजान लोगों ने बहुत मदद की, खासकर श्रीपाल गांधी ने, जो हमारी मदद करने के लिए आगे आए।”
30 सितंबर को उन्हें पता चला कि एक सुरक्षा गार्ड ने अंबालाल को एक दिन पहले सुमनदीप अस्पताल के पास लगभग 8 बजे देखा था। इसके बाद पुलिस ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
30 सितंबर को शमशेर सिंह ने ट्वीट किया: “हमारी शी टीमें और अपराध शाखा काम पर हैं। उनका पता लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। खोजने में उनकी अल्जाइमर की स्थिति सबसे बड़ी बाधा है। यदि आपके पास कोई सुराग है, तो आप शी (SHE) टीमों को अपडेट कर सकते हैं।”
शुक्रवार को अंबालाल के परिवार को खबर मिली कि वह अहमदाबाद के गीता मंदिर जा रही बस में बैठे हैं।
निसर्ग ने ट्विटर के जरिए सभी को अपडेट रखा। दोपहर 12:33 बजे उन्होंने ट्वीट किया: “नई लीड। दादा जीजे18जेड 6542 नंबर की एसटी बस में चढ़े और गीता मंदिर, अहमद में उतरे। हम सीसीटीवी फुटेज खंगालने के लिए अहमद जा रहे हैं। क्या @Vadcitypolice @AhmedabadPolice से कुछ मदद मिल सकती है?”
शुक्रवार शाम 7:25 बजे निसर्ग ने अपडेट किया कि उन्हें उनके दादा मिल गए हैं।
उन्होंने नया ट्वीट किया: “नया और आखिरी अपडेट: हमने उन्हें एक ऑटो चालक से मिली सूचना पर खोज लिया। ट्रामा सेंटर सिविल अस्पताल में। श्रीपाल जी, आपने गजब का सपोर्ट किया। कृपया मेरी कृतज्ञता स्वीकार करें। शमशेर सर, पहल करने और फिर तमाम जरूरी काम करते चले जाने के लिए धन्यवाद।”
शुक्रवार की देर शाम जब वह अपने दादा को खाना खिला रहे थे, तब निसर्ग ने वीओआइ को बताया: “दादा की नब्ज सामान्य है और हम उन्हें घर ले जा रहे हैं, ताकि वह सहज महसूस करें और हम उनकी देखभाल कर सकें।”