बात 2015 की है। वर्षा निकम को महाराष्ट्र के मनकापुर में सरपंच चुना गया था। गांव में कोई पुल नहीं था। राजनीति में आने से पहले वह दो दशक से अधिक समय तक शिक्षिका रही थीं। निकम को पता था कि ऐसे में बच्चों के लिए स्कूल आना कितना मुश्किल होता है। इसलिए स्थानीय, जिला और राष्ट्रीय नेताओं को अनगिनत पत्र लिखने के बाद वह अपने गांव में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) को लाने में सफल हो ही गईं।
सरकारी तंत्र को हरकत में लाने के लिए उन्होंने एक बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को एक छोटा-सा पत्र लिखा था- “मेरे गांव का पुल गुम गया है, आप उसे ढूंढ़ दो।” इसके कुछ महीने बाद निकम को एडीबी से फोन आया कि उन्हें पुल मिलने वाला है और वे इसे फाइनेंस कर रहे हैं। उन्हें “पुलिया” मिलने वाली थी, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्यार से वर्षाताई के नाम से जानी जाती हैं।
निकम के लिए सारी राजनीति व्यक्तिगत है। जड़ से जुड़ी यह नेता 1989 में यवतमाल में पहली बार पति के परिवार से मिलने के बाद से गांव में लड़कियों और बच्चों की शिक्षा में सुधार के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। गरीब बच्चों को पूरे दिन नदी के किनारे खेलते हुए देखकर उनके अंदर के युवा शिक्षक को स्कूल बनाने के लिए प्रेरणा मिली। शिक्षा में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद निकम ने महाराष्ट्र के आसपास के कुछ स्कूलों के लिए इंटरव्यू भी दिया, लेकिन मुफ्त शिक्षा देने के सपने ने उन्हें वापस यवतमाल ला दिया।
शिक्षा पर जोर देने वाले बंगाली के प्रख्यात और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर से प्रेरित होकर उन्होंने 1993 में उनके नाम पर ही एक स्कूल की शुरुआत की। स्कूल 12 वीं तक मिड-डे मील के साथ मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है। पढ़ने के लिए आसपास के 8-10 गांवों के छात्र-छात्राएं यवतमाल पहुंचते हैं। वह स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए छात्रों को मुफ्त किताबें और लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन भी देती हैं।
वह कहती हैं, "90 के दशक में जब मैंने अपने पति, जो कि जिला परिषद हाई स्कूल के शिक्षक भी हैं, से कहा कि मैं एक स्कूल शुरू करना चाहती हूं, तो उन्होंने कहा कि यह एक अमीर व्यक्ति का सपना है। इसे पूरा करने के लिए हमारा वेतन कभी भी पर्याप्त नहीं होगा। आखिरकार वे मान गए, लेकिन स्कूल चलाना हमेशा एक संघर्ष था। ” निकम ने कहा, “मैंने जो पहली चीज बेची, वह थी मेरा मंगलसूत्र। ताकि मैं बच्चों के लिए बेंच खरीद सकूं। स्कूल बनाने के लिए मैंने अपना सारा सोना बेच दिया।”
इस समय वह महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की संयुक्त सचिव और एक ग्राम-पंचायत सदस्य (2021) हैं। निकम 2015 से 2020 तक मनकापुर की निर्वाचित सरपंच रहीं। निर्विरोध जीतते रहने के बाद भी इस साल वर्षाताई ने तीसरे कार्यकाल के लिए सरपंच नहीं बनने का फैसला किया, क्योंकि वह “किंगमेकर” बनना चाहती हैं।
वह कहती हैं “गांव के लगभग 70 प्रतिशत लोगों को मैं ऑफिस चलाने के लिए प्रशिक्षित करना चाहती हूं। मैं खुद राजनीति में आगे बढ़ना चाहती हूं। कई महिला नेताओं की तरह मैं भी पंचायत से संसद जाने का सपना देखती हूं।”