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पीएम मोदी ने केरल के विजिंजम पोर्ट को राष्ट्र को समर्पित किया, अडानी समूह की सराहना की, वामपंथ पर कसा तंज

| Updated: May 3, 2025 14:15

केरल में शुरू हुआ भारत का पहला डीपवॉटर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, प्रधानमंत्री मोदी ने अडानी समूह की सराहना करते हुए कहा — “बदला हुआ भारत, अब निजी क्षेत्र को भी अपना साझेदार मान रहा है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केरल के वामपंथी सरकार वाले राज्य में स्थित विजिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह को देश को समर्पित किया। इस मौके पर उन्होंने निजी निवेश का लंबे समय तक विरोध करने के लिए माकपा (CPI-M) पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष किया।

अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ने बंदरगाह के निर्माण को कम समय में पूरा करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा, “मैं अभी-अभी बंदरगाह का दौरा करके आया हूं। जब गुजरात के लोगों को पता चलेगा कि अडानी ने केरल में इतना बेहतरीन पोर्ट बना दिया है — जबकि वे गुजरात में पिछले 30 सालों से पोर्ट पर काम कर रहे हैं — तो उन्हें अडानी से नाराज़गी हो सकती है।”

मोदी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर की ओर इशारा करते हुए चुटकी ली, “आप INDI गठबंधन के मज़बूत स्तंभ हैं… और आज का यह कार्यक्रम कई लोगों की नींद उड़ा देगा।”

करीब 8,900 करोड़ रुपए की लागत से विकसित विजिंजम अंतरराष्ट्रीय डीप वॉटर मल्टीपर्पस सीपोर्ट, भारत का पहला डीपवॉटर ट्रांसशिपमेंट हब है, जिसे अडानी पोर्ट्स एंड एसईज़ेड लिमिटेड द्वारा DBFOT (डिज़ाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण) मॉडल पर बनाया जा रहा है। यह परियोजना 2015 में कांग्रेस नीत तत्कालीन सरकार द्वारा अडानी समूह को सौंपी गई थी। उस समय विपक्ष में रहते हुए CPI(M) ने इस सौदे को 6,000 करोड़ रुपए का “भूमि घोटाला” करार दिया था।

हालांकि, उद्घाटन समारोह में केरल के बंदरगाह मंत्री और माकपा नेता वी एन वसवन ने गौतम अडानी को “हमारे साझेदार” कहकर संबोधित किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमारे बंदरगाह मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि अडानी सरकार के साझेदार हैं। एक कम्युनिस्ट सरकार का मंत्री निजी क्षेत्र के लिए ऐसा कह रहा है — यह है बदलता हुआ भारत।”

कार्यक्रम के दौरान एक मज़ेदार वाकया तब हुआ जब प्रधानमंत्री के INDI गठबंधन संबंधी टिप्पणी का अनुवादक ने गलती से “इंडियन एयरलाइंस” कर दिया। इस पर मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “अनुवादक इन बातों का अनुवाद नहीं कर सके… लेकिन संदेश वहीं पहुंच गया जहां उसे पहुंचना था।”

प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, “पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भी प्रधानमंत्री विपक्ष के नेताओं की नींद उड़ाने की बात कर रहे हैं, जबकि असली चुनौती — पाकिस्तान — को लेकर कोई सख़्त संदेश नहीं दिया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री जी, आप ध्यान भटकाने में व्यस्त हैं, लेकिन हम अपनी नींद खोकर आपको जवाबदेह ठहराएंगे। हम जातिगत जनगणना की समयसीमा, 50% आरक्षण सीमा हटाने और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की लगातार मांग करते रहेंगे।”

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत के समुद्री क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत हजारों करोड़ का निवेश हुआ है, जिससे देश के बंदरगाह वैश्विक मानकों पर खरे उतरे हैं और भविष्य के लिए तैयार हुए हैं।

मोदी ने कार्यक्रम के दौरान केरल के ईसाई समुदाय, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले कैथोलिक समाज को भी संबोधित किया। उन्होंने हाल ही में दिवंगत पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी और उनके साथ हुई अपनी मुलाकातों को याद किया।

विजिंजम बंदरगाह एक प्रमुख पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट से केवल 10 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थित है। यहां अगली पीढ़ी के अल्ट्रा-लार्ज कंटेनर जहाजों के आगमन की क्षमता है। पोर्ट में भारत की सबसे ऊंची शिप-टू-शोर क्रेनों के साथ-साथ AI आधारित वेसल ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम भी लगाया गया है, जिससे यह हर मौसम में, चौबीसों घंटे, पूरी तरह स्वचालित संचालन में सक्षम है।

मोदी ने कहा, “देश को ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर निर्भर रहने के कारण राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। यह बंदरगाह उस स्थिति को बदल देगा। अब देश का पैसा देश के ही विकास में लगेगा और केरल तथा विजिंजम के लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा करेगा।”

इस बंदरगाह से भारत की कोलंबो, दुबई और सिंगापुर जैसे विदेशी ट्रांसशिपमेंट हब्स पर निर्भरता कम होने की संभावना है, जो वर्तमान में भारत के 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो को संभालते हैं।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बंदरगाह के शुरू होने को “राज्य का सपना साकार होना” बताया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना 1991 में प्रस्तावित हुई थी, लेकिन कई बाधाओं — जैसे विफल बोलियां, प्राकृतिक आपदाएं, सामग्री की कमी और जन विरोध — के कारण अटक गई थी। 2015 में अंततः यह कार्य अडानी समूह को सौंपा गया।

राज्य सरकार ने इस परियोजना में 5,370 करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि अडानी पोर्ट्स ने 2,497 करोड़ रुपए और केंद्र सरकार ने 818 करोड़ रुपए की वायबिलिटी गैप फंडिंग प्रदान की।

हालांकि परियोजना की पूर्णता 2045 तक निर्धारित थी, इसका संचालन 2024 में शुरू हो गया और अब शेष चरणों को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है। हम सड़क, रेल, वायु और जल मार्गों को जोड़ते हुए औद्योगिक विकास की नई रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।”

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