क्या गुजरात में पहले भी किसी इजरायली स्पाइवेयर का परीक्षण किया गया था? - Vibes Of India

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क्या गुजरात में पहले भी किसी इजरायली स्पाइवेयर का परीक्षण किया गया था?

| Updated: October 16, 2021 12:20

प्रोजेक्ट पेगासस में स्पाइवेयर के खुलासे के बीच गुजरात में यह चर्चा बना हुआ है कि इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर की जड़ें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से होते हुये गुजरात में भी हो सकती हैं।

इस संदर्भ में एक वरिष्ठ पत्रकार राजीव शाह का एक ब्लॉग जिसका शीर्षक था ‘जब गुजरात में बीजेपी नेताओं, आईएएस बाबुओं के बीच फोन टैपिंग की अफवाहें चल रही थीं,” अब राज्य में चर्चा का विषय बन गई है।

शाह 2013 में टाइम्स ऑफ इंडिया के अहमदाबाद संस्करण के साथ एक राजनीतिक संपादक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। शाह के ब्लॉग पर इस मामले से संबन्धित लेख यहाँ पढ़ सकते हैं:

When phone tapping rumours were afloat in Gujarat among BJP leaders, IAS babus

Rajiv Shah, veteran journalist

शाह लिखते हैं, ‘मुझे एक घटना याद आती है, जो कुछ हद तक इस बात की पुष्टि करती है कि शायद गुजरात में मोदी सरकार ने इस पर हाथ आजमाया होगा। गुजरात के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात करते हुए, मैंने उनसे पूछा कि क्या गुजरात में फोन टैपिंग हो रही थी, जैसा कि संदेह था। उन्होंने कहा, इसके लिए कानूनी प्रक्रियाएं निर्धारित की गई थीं, जिनका अधिकारियों को पालन करना था।”

“हालांकि, इस अधिकारी ने रेखांकित किया, उन्होंने राज्य के डीजीपी और तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह के साथ, फोन टैपिंग पर एक इजरायली मशीन का प्रदर्शन” देखा था। मैंने उससे पूछा कि यह कैसे काम करता है, तो उन्होने यही कहा कि, फोन नंबर दर्ज करते ही आप बातचीत सुन सकते हैं (और संभवतः रिकॉर्ड भी कर सकते हैं)! उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि इसका इस्तेमाल फोन टैपिंग के लिए किया जा रहा है या नहीं।”

वाइब्स ऑफ इंडिया द्वारा संपर्क किए गए, एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने भी इस्राइली सॉफ्टवेयर के माध्यम से फोन टैप किए जाने की चर्चा की पुष्टि की।

“हमें हमारे वरिष्ठों द्वारा बहुत सावधान रहने के लिए कहा गया था क्योंकि गुजरात में एक इजरायली सॉफ्टवेयर के प्रयोग होने की संभावना थी। यह मामला 2009 के आसपास का था”, -सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।

पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ की स्थापना 2010 में हुई थी। “पेगासस के इस्तेमाल का कोई सवाल ही नहीं है, लेकिन 2014 से पहले गुजरात में किसी इजरायली सॉफ्टवेयर का परीक्षण किया गया था।” पुलिस अधिकारी ने जवाब दिया।

सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने कहा कि जब उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की, कि क्या सॉफ्टवेयर गुजरात पुलिस द्वारा खरीदा गया था, तो “इसका कोई सकारात्मक जवाब नही मिला।”

सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा: “हमें नही पता कि इसे किसने खरीदा। हो सकता है कि इसे गुजरात सरकार के स्वामित्व वाले किसी सार्वजनिक उपक्रम (सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई) या किसी और के तत्वावधान में खरीदा गया हो, लेकिन उस समय गुजरात में इस्राइली स्पाइवेयर का उपयोग होने की बड़ी चर्चा थी”।

राजीव शाह ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि स्पाइवेयर की चर्चा ने उन्हें आश्चर्यचकित नहीं किया, क्योंकि 2013 में उनके सेवानिवृत्त होने तक फोन टैप करने के लिए स्पाइवेयर के उपयोग का संदेह उन्हें पहले से ही था।

शाह ने कहा, “गुजरात में फोन टैपिंग के बारे में, कुछ साल पहले की बात है जब नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2001 में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। विडंबना यह थी कि मोदी सरकार द्वारा फोन टैपिंग का विरोध करने वाले लोग कांग्रेस से नहीं, बल्कि भाजपा के ही लोग थे।”

जैसा कि उन्होने अपने ब्लॉग कि, “फोन टैपिंग के खिलाफ सबसे पहले भाजपा के उत्तर गुजरात के मजबूत नेता डॉ. एके पटेल ने आवाज उठाई गई थी, डॉ. पटेल, जो अब 90 वर्ष के हैं, उस समय मोदी के प्रबल निकटवर्ती केशुभाई पटेल के करीबी थे और एक जनसभा में भी फोन टैपिंग का खुलकर विरोध किए थे।

राजीव शाह 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के विवादास्पद गृह मंत्री गोबर्धन जदाफिया के बारे में लिखते हैं, जो 2006 के आसपास फोन टैपिंग के बारे में बात कर रहे थे। यह निश्चित रूप से स्थानीय पुलिस के माध्यम से था, न कि किसी विदेशी स्पाइवेयर के माध्यम से।

शाह ने अपने ब्लॉग में लिखा, “केशुभाई ने मुझे बताया कि ज़दाफिया ने पार्टी विधायकों की बैठक में फोन टैपिंग के बारे में भावनात्मक रूप से बात की थी, उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े थे।”

2009 में राजीव शाह ने अपने ब्लॉग में लिखा, गुजरात में फिर से फोन टैपिंग की अफवाहें सामने आईं।

“इन अफवाहों में कहा गया था कि “अहमदाबाद में कहीं” फोन टैपिंग उपकरण लगाए गए थे। गुजरात सरकार के शीर्ष नौकरशाह, जिनके साथ मैं अपने पेशे के तहत संपर्क में था, मुझसे फोन पर बात करने के लिए अतिरिक्त रूप से सतर्क हो गए, और इसके बजाय मुझे उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने की सलाह दी गई,” शाह लिखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही यह पेगासस नहीं था, हो सकता है कि स्पाइवेयर के कुछ डाउनग्रेड मॉडल थे जिनका परीक्षण किया जा रहा था।

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