श्रीलंका बंदरगाह पर चीनी जासूसी पोत युआन वांग-5 का पहुंचना भारत के लिए क्यों है खतरनाक?

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श्रीलंका बंदरगाह पर चीनी जासूसी पोत युआन वांग-5 का पहुंचना भारत के लिए क्यों है खतरनाक?

| Updated: August 17, 2022 11:21

चीन का ‘दोहरे इस्तेमाल वाला जासूस’ पोत युआन वांग-5 (Ship Yuan Wang-5 )भारत India की आपत्तियों के बावजूद मंगलवार को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota Port of Sri Lanka) पर पहुंच गया। ट्रैकिंग और सैटेलाइट सपोर्ट वेसल (Tracking and Satellite Support Vessel 22) अगस्त तक श्रीलंकाई जलक्षेत्र में ही रहेगा।

श्रीलंका के विदेश मंत्रालय (Ministry of Foreign Affairs of Sri Lanka )ने 12 जुलाई को सबसे पहले युआन वांग-5 (Ship Yuan Wang-5) के हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota port )पर पहुंचने की मंजूरी दी थी। वैसे चीनी पोत की हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota port )की यात्रा शुरू में 11 से 17 अगस्त के लिए निर्धारित थी, लेकिन भारत की आपत्ति के बाद श्रीलंका सरकार (Government of Sri Lanka )की ओर से स्थगित कर दी गई थी।

चीन ने भारत की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि उसके जहाज का दौरा केवल सप्लाई और ईंधन भरने के लिए है। श्रीलंका सरकार( Government of Sri Lanka )ने आखिरकार 16 से 22 अगस्त के बीच चीनी पोत के आगमन को मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि चीन (China )ने श्रीलंका के साथ कर्ज की अदला-बदली के रूप में हंबनटोटा पोर्ट (Hambantota port) को 99 साल की लीज पर लिया है।

भारत इस संभावना को लेकर चिंतित है कि युआन वांग-5 (Ship Yuan Wang-5) के ट्रैकिंग सिस्टम प्रायद्वीप में इसके प्रतिष्ठानों की जासूसी करने की कोशिश कर रहे हैं।

यहां वे कारण हैं, जिनकी वजह से भारत (India )अपने दक्षिणी सिरे के पास चीनी पोत की मौजूदगी को लेकर चिंतित है।

  • पोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस है, जो इसे चीनी नौसेना में ट्रैकिंग जहाजों की नवीनतम पीढ़ियों में से एक बनाती है। इसका उपयोग सैटेलाइट तस्वीरों का उपयोग करके ट्रांसओशनिक एयरोस्पेस अवलोकन के लिए किया जा सकता है।
  • यह अंतरिक्ष और सैटेलाइट ट्रैकिंग में अपने बेहतरीन रिकॉर्ड के लिए मशहूर है। इसलिए इसका इस्तेमाल अब कई महीनों से किया जा रहा है। यह उपग्रहों, रॉकेट लांचरों और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रक्षेपण को भी ट्रैक कर सकता है।
  • यह बीजिंग या चीन के अन्य हिस्सों में ट्रैकिंग स्टेशनों को भी सूचना भेज सकता है।
  • इसमें प्रायद्वीपीय क्षेत्र में परमाणु सहित सामरिक सैन्य प्रतिष्ठानों पर नजर रखने की क्षमता है।
  • इस पोत का उपयोग करके चीन इस इलाके में भारत के सैन्य ठिकानों, नौसेना और दक्षिण भारत में स्थित परमाणु पनडुब्बी ठिकानों, जिनमें कलपक्कम और कुडनकुलम शामिल हैं, के बारे में जानकारी जुटा सकता है।
  • इस तरह चीन के जासूसी रडार पर केरल, तमिलनाडु और आंध्र के बंदरगाह भी आ जाएंगे।
  • चांदीपुर में इसरो के लॉन्च सेंटर की भी जासूसी की जा सकती है।

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