राज्य सरकार की खरीदी हमेशा सवालों के घेरे में रही है , सरकार की पसंदीदा कंपनियों को विभिन्न नियमो के सहारे लाभ पहुंचाने का खेल नया नहीं है , लेकिन मंत्री और आईएएस अधिकारी के बीच चल रहे शीत युध्द का असर सरकार और छात्रों के जेब पर पड़ने वाला है | राज्य के 6 लाख स्नातक में अध्यनरत छात्रों को तकनीक से जोड़ने के लिए राज्य सरकार की एक हजार रुपये लेकर टेबलेट वितरित करने की योजना है | लेकिन 6 लाख टैबलेट ऐसी कंपनी सप्लाई करने वाली है, जिसके सैंपल टेस्टिंग में फेल हो चुके है | फिर भी उसी कंपनी को टैबलेट आपूर्ति के लिए कहा गया है
गौरतलब है की राज्य सरकार कोई वस्तु खरीदने के पहले उसकी गुणवत्ता जाँच करती है , नियम के मुताबिक आपूर्ति के पहले एक लाख में 2 तथा आपूर्ति के बाद एक लाख में 5 सैम्पलों की जाँच की जाती है , मामला टैबलेट के सैम्पल की जाँच का था इसलिए EQDC (इलेक्ट्रॉनिक्स और गुणवत्ता विकास केंद्र) को जाँच सौपी गयी | इलेक्ट्रॉनिक्स और गुणवत्ता विकास केंद्र के प्रतिनिधियों की जाँच के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद भी टैबलेट फेल हो गए | जिसके कारण राज्य सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2020 -2021 के दौरान टैबलेट की आपूर्ति नहीं की जा सकी, जबकि छात्रों से पैसे ले लिए गए थे , टैबलेट की आपूर्ति के लिए विभिन्न छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया ,लेकिन तीन लाख टैबलेट की आपूर्ति नहीं हो सकी, नए शैक्षणिक वर्ष 2021 -2022 वर्ष के छात्रों भी अभी तक टैबलेट की आपूर्ति नहीं हुयी जबकि आधा शैक्षणिक सत्र बीत चूका है , अब राज्य सरकार आपूर्ति की योजना बना रही है लेकिन आपूर्ति का ठेका उसी कंपनी को दिया गया है जिसके टैबलेट सैंपल फेल हो चुके हैं , वह भी तीन लाख की बजाय छह लाख | अब सवाल यह भी है कि ऐसी कंपनी को आपूर्ति का ठेका देने से फायदा किसको होगा , नुकसान तो छात्रों और सरकार को ही होना है |