दिवंगत पति की विरासत को कत्थक के माध्यम से ज़िंदा रख रहीं श्रद्धा जिग्नेश

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

दिवंगत पति की विरासत को कत्थक के माध्यम से ज़िंदा रख रहीं श्रद्धा जिग्नेश

| Updated: July 26, 2022 11:40

अक्सर हर इंसान अपने जीवन में ऐसी अपेक्षाएं रखता हैं कि जब वह इस जहां को अलविदा कहे तो लोग उसके कार्यों और उसकी बातों को याद करें, वह ऐसी यादों का गुबार छोड़कर जाने की ख्वाहिश रखता है जिसकी वजह से लोग उसके जाने के बाद भी उसे याद रखें। हम बात कर रहे हैं अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज के गुजराती साहित्य के प्रोफ़ेसर जिग्नेश भ्रमभट्ट की, जिनकी कृतियां उनके जाने के बाद भी उनकी याद ताज़ा कर देतीं हैं। प्रो. जिग्नेश ने अपने 42 साल के जीवन में कुल 8 किताबें लिखीं। उन्हें नवलकथाओं से लेकर लघु कथा लिखने में महारत हासिल थी। जिग्नेश को 2018 में गुजरात सरकार द्वारा धूम केतु अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

जिग्नेश भ्रमभट्ट ALS (Amyotrophic Lateral Sclerosis) का शिकार हुए और धीरे-धीरे इस बीमारी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। इस बीमारी से लड़ते वक़्त भी जिग्नेश ने हार नहीं मानी और साहित्य के प्रति अपना कर्त्तव्य निष्ठापूर्वक पूरा करते रहे। साल 2018 में उनकी आखिरी किताब का विमोचन हुआ जिसका विषय था — “गुजराती संगीतकारों का साहित्य में विशिष्ट स्थान”। उनकी आखिरी किताब को अमेरिका के व्हाइट हाउस में स्थित पुस्तकालय में विशेष स्थान दिया गया, और जिग्नेश गुजरात के एकलौते ऐसे साहित्यकार बने जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ। महज 46 वर्ष की आयु में जिग्नेश का निधन हो गया और वह अपने पीछे छोड़ गए अपनी यादें, और उनके द्वारा लिखी गई उनकी कहानियां। जिग्नेश की इस अप्रतिम विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य उनकी जीवन साथी श्रद्धा भ्रमभट्ट द्वारा किया गया।

जिग्नेश भ्रमभट्ट

श्रद्धा और जिग्नेश की दो बेटियां हैं— परी और पंखी। बड़ी बेटी पंखी ग्रेजुएशन कर चुकी हैं, और छोटी बेटी परी अपनी पढ़ाई कर रही हैं। श्रद्धा एक कत्थक इन्स्ट्रक्टर हैं और कई सालों से कत्थक की तालीम देने का कार्य कर रही हैं। जिग्नेश के निधन के बाद श्रद्धा ने जिग्नेश की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पूरी बागडोर संभाली और उन्होंने जिग्नेश के द्वारा लिखी गई कहानियों को कत्थक के माध्यम से लोगों तक पहुँचाने का कार्य शुरू किया।

भ्रमभट्ट परिवार, श्रद्धा जिग्नेश एवं परी पंखी

कत्थक और कहानियां एक सफल प्रयोग

“कत्थक” का अर्थ होता है “कथा का नृत्य के रूप में कथन करना”, ये कथाएं पौराणिक होती हैं और ज़्यादातर कथाएं कृष्ण जीवन पर आधारित होती हैं। श्रद्धा कई सालों से कत्थक कर रहीं हैं और सीखा भी रही हैं। जिग्नेश की एक किताब का विमोचन वर्ष 2017 में होना था, उस विमोचन के कार्यक्रम को अलग रूप देने की जद्दोजहद में एक विचार श्रद्धा को आया —श्रद्धा ने जिग्नेश की किताब में मौजूद एक कहानी की कथा पर कत्थक के एक नृत्य की रचना की और अपनी बेटियों के साथ मिलकर विमोचन के कार्यक्रम में कत्थक की प्रस्तुति दी। ये प्रयोग सफल रहा और लोगों ने इस प्रयोग की काफी प्रशंसा की। इस सफल प्रयोग के बाद भ्रमभट्ट परिवार में ये रिवाज़ बन गया की कार्यक्रमों में कत्थक की प्रस्तुति जिग्नेश द्वारा लिखित कहानियों पर आधारित होगी।

श्रद्धा और जिग्नेश की कहानियां

जिग्नेश जब भी कोई कहानी लिखते तो सबसे पहले श्रद्धा को वह कहानी पढ़कर सुनाते। श्रद्धा कत्थक नृत्यांगना तो थीं ही इसलिए वह इन कहानियों को सुनकर हमेशा विचार करती कि वो इन कहानियों के भाव पर कैसे नृत्य करे। उस समय ये मुमकिन न हो सका, लेकिन श्रद्धा ने इस विचार को अपने जहन में कहीं न कहीं संभालकर रखा और ये कर दिखाया। जिग्नेश की कहानियां और लोक कथाओं पर प्रस्तुत किये जाने वाले कत्थक के बीच श्रद्धा एक समन्वय तलाशने लगीं। उन्हें कत्थक के कई सारे तकनीकी पहलुओं पर भी विचार करना पड़ा, लेकिन श्रद्धा ने इस कठिन कार्य की बागडोर संभाली और अपनी बेटियों के साथ मिलकर ये कर दिखाया। कत्थक और कहानियों का संयोजन कोई नयी बात नहीं है, लेकिन जिग्नेश की लेखन शैली आधुनिक समाज की स्याही में डूबी हुयी है. उनकी लघु कथाओं का विचार काफी खुलेपन में है, उन कहानियों का एक प्राचीन कला में मिलन करवाना अपने आप में एक बड़ी बात है.

कत्थक के फ्यूज़न से मिली पहली बड़ी सफलता

इस फ्यूज़न कत्थक के लिए श्रद्धा और उनकी दोनों बेटियां परी और पंखी को शहर के एक आर्ट फेस्टिवल से न्यौता मिला। जनवरी 2020, में शहर में आयोजित अभिव्यक्ति आर्ट फेस्टिवल के संयोजकों ने श्रद्धा और उनकी बेटियों को एक कार्यक्रम की प्रस्तुति तैयार करने को कहा। श्रद्धा ने तब जिग्नेश द्वारा लिखित कहानी ‘मोहरा’ (जो की इंसानों के बदलते चेहरे और उनके विचारों की समीक्षा करती है) पर 45 मिनिट लंबा एक नृत्य तैयार किया और उसकी प्रस्तुति दी। श्रद्धा और परी-पंखी को इस प्रस्तुति की वजह से कला जगत के लोगों में एक अहम् पहचान मिली और इस सफल प्रयोग के लिए उनकी काफी प्रशंसा की गई।

जिग्नेश की विरासत और श्रद्धा

वाइब्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए श्रद्धा ने कहा, “मेरे लिए जिग्नेश की विरासत मेरी दो बेटियां हैं, और हम तीनों मिलकर जिग्नेश द्वारा किये गये कार्यों को अलग अलग तरीके से लोगों तक पहुंचा रहे हैं। जिग्नेश लिखने के साथ-साथ पेंटिंग और संगीत में भी दिलचस्पी रखते थे। मेरी दोनों बेटियां पेंटिंग भी बनाती हैं और खुद का संगीत भी बनाती हैं। जिग्नेश द्वारा किये गए सारे कार्य मेरी दोनों बेटियां आगे बढ़ा रहीं हैं, या यूँ कहूं कि जिग्नेश की विरासत को मेरी दोनों बेटियां आगे बढ़ा रही हैं।”

मोहरा के सफल कार्यक्रम के बाद अब श्रद्धा जिग्नेश की एक और कहानी पर कत्थक की रचना कर रही हैं। ये कहानी जिग्नेश ने कई साल पहले लिखी थी जो समाज के एक बेहद दुखद पहलु को उजागर करती है। ‘हसली’ नाम की कहानी की प्रस्तुति श्रद्धा और परी-पंखी तैयार कर रही हैं जिसकी प्रस्तुति वह देश भर में आयोजित होने वाले आर्ट फेस्टिवल में जाकर देंगी।

वाइब्ज़ ऑफ इंडिया के साथ श्रद्धा भ्रमभट्ट और परी पंखी ने एक खास वार्तालाप किया, आप ये वार्तालाप नीचे दी गई लिंक के माध्यम से देख सकते हैं

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d