पति के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए 9 साल से भटक रही है आदिवासी महिला -

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पति के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए 9 साल से भटक रही है आदिवासी महिला

| Updated: August 28, 2022 13:01

  • याचिका दायर होने के 6 साल गुजरात हाईकोर्ट ने जारी किया पटवारी को नोटिस

क़ानूनी दाव पेंच की बारीकियों में उलझी विधवा आदिवासी वनिता वसावा पिछले नौ साल से अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक  रही है। न्याय के वह तमाम दरवाजों पर दस्तक दे रही है लेकिन मध्य गुजरात के आदिवासी बहुल नर्मदा जिले की वनीता की मुसीबत कम नहीं हो रही है पति के मृत्यु प्रमाण पत्र में सबसे बड़ी बाधा वनीता के मुताबिक पति के  मृत्यु की सही तारीख पता ना होना है। इस आधार पर वनीता के आवेदन को स्थानीय प्रशासन और मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया।  वनीता ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए 2016 में याचिका दायर की थी। 6 साल बाद हाई कोर्ट ने उस गांव के तलाटी को नोटिस भेजा है जहां उसके पति का शव मिला था.

नर्मदा की आदिवासी महिला  वनिता बेन के लापता  पति जिबिया वसावा का  शव 4 जून 2013 को छोटा उदेपुर जिले के संखेडा तालुका  के गरदा गांव में हिरन नदी के तट पर मिला था। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया। पुलिस ने मृतक के  पहचान कपड़ों से करने के लिए वनीता बेन को बुलाया। वे अगले दिन गरदा गांव पहुंची  लेकिन तब तक अंतिम संस्कार किया जा चूका था ।

गरदा गांव में शव मिलने पर वनिताबेन ने ग्राम पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा. हालांकि, मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया गया क्योकि  ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में मृतक जिबिया की मौत दर्ज है नहीं हैं। पति के मौत के तीन साल बाद 2016 में वनिताबेन ने सांखेड़ा मजिस्ट्रियल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शव की स्थिति पहचानने योग्य नहीं थी इसलिए मौत शव मिलने की तारीख(4 जून, 2013)  से पहले हो सकती  है। मृत्यु की सही तारीख ज्ञात नहीं है इसलिए   मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता।

  मजिस्ट्रियल कोर्ट का यह फैसला वनिता की राह में बड़ा रोड़ा बन गया। आख़िरकार ता वसावा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। गुरुवार को न्यायमूर्ति एन    देसाई ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम के तहत मृत्यु के पंजीकरण के प्रावधानों पर चर्चा की और कहा कि जिबिया वसावा का शव 4 जून 2013 को मिला था, इसलिए इसे उस दिन उनकी मृत्यु माना जा सकता है। हालांकि, चूंकि गरदा ग्राम पंचायत के तलाटी द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाना बाकी है, इसलिए तलाटी को नोटिस भेजा गया है और उनसे 19 सितंबर तक जवाब मांगा गया है.

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