खादी को लोकल से वोकल बनने का समय आ गया -पीएम मोदी -

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

खादी को लोकल से वोकल बनने का समय आ गया -पीएम मोदी

| Updated: August 28, 2022 12:05

  • 7500 महिलाओं ने साबरमती के किनारे चरखा चला कर बनाया इतिहास
  • साबरमती के किनारे प्रधानमंत्री ने दोहराया पंच प्रण

ऐतिहासिक साबरमती आश्रम के किनारे आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित खादी उत्सव का उट्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा  ” आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, 7,500 बहनों-बेटियों ने एक साथ चरखे पर सूत कातकर नया इतिहास रच दिया है.आज मुझे भी चरखा चलाने का मौका मिला। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि ” मेरे  छोटे घर में भी एक कोने में खादी का चरखा होता था , माँ जीवकोपार्जन के लिए खाली समय में चरखा चलातीं थी। साबरमती का ये किनारा आज धन्य हो गया है। खादी को भारत के गौरव से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब खादी के लिए वैश्विक स्तर पर अपनी साख बनाने का समय आ गया है। और गुजरत उसे लीड कर रहा है। सोलर चरखा से गुजरात ने फिर देश का नेतृत्व किया है।

इस दौरान अटल फुट ओवर ब्रिज का लोकार्पण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि  अटल ब्रिज, साबरमती नदी को, दो किनारों को ही आपस में नहीं जोड़ रहा बल्कि ये डिजाइन और इनोवेशन में भी अभूतपूर्व है।इसकी डिजाइन में गुजरात के मशहूर पतंग महोत्सव का भी ध्यान रखा गया है. अटल जी से अहमदाबाद – गांधीनगर का विशेष लगाव था , गांधीनगर से 1996 में अटल जी लोकसभा का चुनाव लड़े थे , गांधीनगर ने उन्हें भरपूर वोटों से जीताया था , यह ब्रिज अटल जी को गुजरात की तरफ से श्रद्धांजलि है।

खादी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी को गांधी जी ने देश का स्वाभिमान बनाया, उसी खादी को आजादी के बाद हीन भावना से भर दिया गया।इस वजह से खादी और खादी से जुड़ा ग्रामोद्योग पूरी तरह तबाह हो गया।खादी की ये स्थिति विशेष रूप से गुजरात के लिए बहुत ही पीड़ादायक थी.हमने खादी फोर नेशन, खादी फॉर फैशन में खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन का संकल्प जोड़ा।हमने गुजरात की सफलता के अनुभवों का देशभर में विस्तार करना शुरू किया।हमने देशवासियों को खादी के product खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया “

हमने गुजरात की सफलता के अनुभवों का देशभर में विस्तार करना शुरु किया।खादी का वही धागा, विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का, आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणा-स्रोत बन सकता है 15 अगस्त को लाल किले से मैंने पंच-प्रणों की बात कही है।

साबरमती के तट पर, इस पुण्य जगह पर मैं पंच-प्रणों को फिर दोहराना चाहता हूं।

पहला– देश के सामने विराट लक्ष्य, विकसित भारत बनाने का लक्ष्य

दूसरा- गुलामी की मानसिकता का पूरी तरह त्याग

तीसरा– अपनी विरासत पर गर्व

चौथा– राष्ट्र की एकता बढ़ाने का पुरजोर प्रयास

पांचवा– नागरिक कर्तव्य
प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि खादी इन पांच संकल्प को पूरा करने का माध्यम बनेगी।
भारत के खादी उद्योग की बढ़ती ताकत के पीछे भी महिला शक्ति की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्यमिता की भावना हमारी बहनों-बेटियों में कूट-कूट कर भरी है।इसका प्रमाण गुजरात में सखी मंडलों का विस्तार भी है। देश की करोडो बहनों ने मुद्रा लोन लेकर न केवल आर्थिक सक्षम बनी है बल्कि लोगों को रोजगार दिया है।

दुनिया  sustainable की तरफ बढ़ रही है। खादी sustainable clothing का उदाहरण है। खादी eco-friendly clothing का उदाहरण है। खादी से carbon footprint कम से कम होता है.बहुत सारे देश हैं जहां तापमान ज्यादा रहता है, वहां खादी Health की दृष्टि से भी बहुत अहम है।इसलिए खादी वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है

प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि  ” मैं  लोगों से एक अपील भी करना चाहता हूं।

आने वाले त्योहारों में इस बार खादी ग्रामोद्योग में बना उत्पाद ही उपहार में दें।आपके पास अलग-अलग तरह के फैब्रिक से बने कपड़े हो सकते हैं।
 
लेकिन उसमें आप खादी को भी जगह देंगे, तो वोकल फॉर लोकल अभियान को गति मिलेगी।बीते दशकों में विदेशी खिलौनों की होड़ में, भारत की अपनी समृद्ध Toy Industry तबाह हो रही थी। सरकार के प्रयास से, खिलौना उद्योगों से जुड़े हमारे भाई-बहनों के परिश्रम से अब स्थिति बदलने लगी है।
अब विदेश से मंगाए जाने वाले खिलौनों में भारी गिरावट आई है जिससे देश के कुटीर उद्योग को लाभ हुआ है। 

तस्वीर -हनीफ सिंधी

130 करोड़ भारतीयों को गिफ्ट सिटी वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ने का मौका देगा :पीएम मोदी

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d