नई दिल्ली। एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता मंज़ूर कर दी है, जिसे लेकर भारत ने कड़ा ऐतराज़ जताया है। भारत ने वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने के इतिहास का हवाला देते हुए इस सहायता पर आपत्ति जताई थी।
ADB द्वारा दी गई यह सहायता सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुधारने के लिए दी गई है, जिसमें 300 मिलियन डॉलर की पॉलिसी-बेस्ड लोन और 500 मिलियन डॉलर की प्रोग्राम-बेस्ड गारंटी शामिल है।
यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी 1 बिलियन डॉलर (करीब 8,500 करोड़ रुपये) की सहायता प्राप्त की है।
भारत ने ADB में क्यों जताया विरोध?
भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, भारत ने ADB को स्पष्ट रूप से बताया कि पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता देना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इन फंड्स के सैन्य खर्चों में इस्तेमाल होने की संभावना ज़्यादा है।
भारत ने निम्नलिखित बिंदुओं पर आपत्ति जताई:
- आर्थिक गिरावट: पाकिस्तान का टैक्स रेवेन्यू 2018 में GDP का 13% था, जो 2023 में गिरकर केवल 9.2% रह गया है।
- बढ़ता सैन्य प्रभाव: पाकिस्तान की सेना का अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक प्रभाव है, विशेषकर जून 2023 में बनाए गए स्पेशल इन्वेस्टमेंट फेसीलिटेशन काउंसिल (SIFC) के माध्यम से।
- FATF के दिशा-निर्देशों की अवहेलना: पाकिस्तान अब तक FATF के निर्देशों, जैसे यूएन-घोषित आतंकी संगठनों की संपत्ति जब्त करने, में विफल रहा है।
- आतंकवाद का समर्थन: भारत ने कहा कि पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति नरमी केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा नहीं है, बल्कि ADB जैसे वित्तीय संस्थानों की क्रेडिट रिस्क को भी बढ़ाता है।
FATF में भी उठेगा मामला
भारत अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में भी पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग कर सकता है, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर निगरानी और सख्त हो जाएगी।