एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के 12 जून को बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में दुर्घटनाग्रस्त होने के लगभग तीन हफ्ते बाद अहमदाबाद सिविल अस्पताल धीरे-धीरे अपनी सामान्य गतिविधियों में लौट रहा है। इस भीषण हादसे में 241 यात्री और चालक दल के सदस्य तथा ज़मीन पर 19 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के स्थल से अब भी मानवीय अवशेष मिल रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने 28 जून को अंतिम यात्री अनिल खिमानी (कच्छ) के शव को उनके परिवार को सौंपा। यह प्रक्रिया डीएनए जांच के ज़रिये जली हुई अस्थियों से पहचान के बाद पूरी हो सकी।
गैटविक जा रहे बोइंग 787 विमान हादसे में कुल 260 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 254 की पहचान डीएनए मिलान से और छह की चेहरे की पहचान से हुई। हादसे में विमान में सवार विश्वास कुमार रमेश एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति हैं।
अस्पताल में अब भी 15 अवशेष
अहमदाबाद सिविल अस्पताल में अब भी हादसे से मिले 15 अवशेष या सबूत सुरक्षित हैं। इनमें सबसे हालिया — एक फीमर (जांघ की हड्डी) — 27 जून को बरामद हुई थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इन अवशेषों का डीएनए विश्लेषण जारी है। पहचान के बाद इन्हें संबंधित परिवारों को सौंपा जाएगा।
परिवारों की सहमति के आधार पर प्रक्रिया
अधिकारियों ने बताया कि जब शव सौंपे गए थे, तब परिवारों ने सहमति पत्र भरे थे। इसमें उल्लेख था कि अगर भविष्य में और अवशेष मिलें तो वे उन्हें लेने आएंगे, अस्पताल को तय प्रोटोकॉल के तहत उनका अंतिम संस्कार करने देंगे या पूरी जांच प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार करेंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “टाइमलाइन तय कर पाना मुश्किल है। ज़्यादातर परिवारों ने शुरुआती दो विकल्पों में से एक चुना है। इस आधार पर परिवारों से संपर्क किया जाएगा और इस हफ्ते आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
पहले जिन अवशेषों को सौंपा गया था, वे सीलबंद ताबूतों में थे, जिनमें जली हुई या डीएनए से पहचानी गई देह के हिस्से थे। परिवारों को इन्हें न खोलने की सलाह दी गई थी।
260 मृतकों में से 31 शव राज्य सरकार द्वारा हवाई मार्ग से भेजे गए, जिनमें 13 यूके भेजे गए थे। शेष 229 शवों के लिए भी सरकार ने परिवहन की व्यवस्था की।
बीजे मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई फिर शुरू
बीजे मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. मीनाक्षी पारिख ने कहा, “हम भारी मन से अपनी पुरानी दिनचर्या में लौट रहे हैं।” कॉलेज में 23 जून से कक्षाएं फिर शुरू हुईं।
हादसे के बाद पीड़ितों के परिजनों से डीएनए सैंपल लेने के लिए कॉलेज के कसौटी भवन को केंद्र बनाया गया था। अब वहां फिर से पढ़ाई और परीक्षाएं हो रही हैं। एमबीबीएस अंडरग्रेजुएट छात्रों की प्रारंभिक परीक्षाएं पिछले सप्ताह से शुरू हो गई हैं।
डॉ. पारिख ने बताया, “ब्रिटेन के दो नागरिकों के परिजनों से डीएनए सैंपल लेना बाकी था। 21 जून को कसौटी भवन में बनाई गई सुविधा बंद कर दी गई और उसे ट्रॉमा सेंटर के पास के डी2 वार्ड में शिफ्ट किया गया। वहां 26 जून को पहली परीक्षा आयोजित हुई।”
कसौटी भवन को इस केंद्र के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि उसकी क्षमता करीब 700 लोगों की है और यह ट्रॉमा सेंटर से अलग है। पहले ई1 वार्ड को भी अस्थायी रूप से केंद्र बनाया गया था, लेकिन जल्द ही कसौटी भवन में शिफ्ट कर दिया गया।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने कहा, “कसौटी भवन में एक बार में सात लोगों के सैंपल तक लिए गए। डीएनए सैंपल कलेक्शन से लेकर शव सौंपने तक की पूरी प्रक्रिया कई एजेंसियों के सहयोग से योजनाबद्ध और समन्वित तरीके से हुई।”
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