अहमदाबाद: चंदोला झील के आसपास हो रही तोड़फोड़ और बेदखली की कार्यवाही के बीच, अहमदाबाद नगर निगम (AMC) की एक आंतरिक रिपोर्ट ने शहर की जल-संरचनाओं पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद की कुल 172 झीलों में से 37 झीलें “गायब” हो चुकी हैं।
मीडिया रिपोर्ट में उन स्थानों का भी ज़िक्र है, जहां कभी झीलें हुआ करती थीं, लेकिन अब वहां सरकारी या निजी इमारतें मौजूद हैं।
AMC की यह रिपोर्ट उस उच्च स्तरीय समिति (HLC) की रिपोर्ट से मेल खाती है, जो शहरी नियोजन को लेकर बनाई गई थी और जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में गुजरात दौरे के दौरान जारी किया था।
HLC रिपोर्ट झीलों के गायब होने का ज़िक्र करते हुए सलाह देती है:
“विकास कार्यों के दौरान जलधाराओं के प्रवाह को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई सार्वजनिक ढांचा जलधाराओं को काटता है, तो उसमें इस प्रकार बदलाव किया जाए कि पानी का प्रवाह बाधित न हो।”
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वस्त्रापुर, मेमनगर, थलतेज और सोलार की झीलों के आसपास का कुल जल क्षेत्र लगभग 46% तक घट चुका है।
विशेष रूप से वस्त्रापुर झील का एक केस स्टडी रिपोर्ट में शामिल किया गया है, जिसमें 2000 और 2020 की उपग्रह छवियों की तुलना से पता चलता है कि झील क्षेत्र में भारी गिरावट आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, TPS (Town Planning Scheme) बोदकदेव 1B के अंतर्गत झील की भूमि को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (SEWS) के आवास हेतु पुनः वर्गीकृत कर दिया गया और वहां हाट बाजार बना दिया गया।
“यह उदाहरण दर्शाता है कि कैसे शहर की नियोजन योजनाएं जल-संवेदनशील नहीं होतीं, जिससे जल निकायों को निर्माण योग्य भूमि में बदला जाता है और वे अंततः समाप्त हो जाते हैं।”
AMC की रिपोर्ट यह भी बताती है कि झीलें इसलिए भी गायब हुईं क्योंकि उन्हें कानूनी नियोजन दस्तावेजों में मान्यता नहीं मिली, जिससे उनका उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए कर लिया गया।
थलतेज में एक बिना नाम की झील अब एक रिहायशी सोसाइटी और नगर निगम के जल वितरण केंद्र में तब्दील हो चुकी है।
जब झीलों पर हुए अतिक्रमण के बारे में AMC के एक अधिकारी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा:
“जहां इमारतें बन चुकी हैं, वहां हम राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजकर केस-बाय-केस निर्णय ले रहे हैं। यह एक नीति का विषय है।”
HLC रिपोर्ट की सिफारिश है कि जलधाराओं और झीलों का मानचित्रण हर योजना प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।
शहर में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के बीच अहमदाबाद की झीलों का यूं गायब होना, स्थायी विकास और पर्यावरणीय संतुलन को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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