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अहमदाबाद विमान हादसा: डीएनए जांच से 240 मृतकों की हुई पहचान, गहरे सदमे में इकलौते जीवित बचे यात्री

| Updated: June 26, 2025 17:14

अहमदाबाद में AI 171 विमान हादसे के इकलौते जीवित बचे यात्री विश्वाशकुमार रमेश हादसे के गहरे सदमे से जूझ रहे हैं, जबकि जांचकर्ता अंतिम शव की पहचान में जुटे हैं।

अहमदाबाद: एआई 171 विमान हादसे के लगभग दो हफ्ते बाद, राज्य के विशेषज्ञों ने दुर्घटना में मारे गए 241 यात्रियों और चालक दल में से 240 के डीएनए मिलान पूरे कर लिए हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, पिछले 48 घंटों में कोई नया मिलान नहीं हुआ है।

इस बीच, एक ब्रिटिश नागरिक के पार्थिव अवशेष बुधवार को उनके परिवार को सौंपे गए, जिससे परिजनों को सौंपे गए अवशेषों की संख्या 258 हो गई है। सिविल अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, एक अन्य ब्रिटिश नागरिक के शव को फिलहाल अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है।

अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया, “अभी तक 259 मृतकों की पहचान हो चुकी है — इनमें 240 लोग विमान में सवार थे, 13 जमीन पर मौजूद लोग थे जिनकी डीएनए जांच से पुष्टि हुई है, जबकि अन्य छह शवों की पहचान भौतिक व चेहरे के आधार पर की गई है। अब केवल एक शव की पहचान बाकी है।”

गौरतलब है कि इस विमान में चालक दल समेत 242 लोग सवार थे, जिनमें से केवल एक यात्री, 40 वर्षीय व्यवसायी विश्वाशकुमार रमेश, इस हादसे में जीवित बचे।

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “जो एक शव अब तक पहचान में नहीं आया है, वह भारतीय नागरिक का माना जा रहा है, क्योंकि विमान में सवार 52 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली, और एक कनाडाई नागरिक की पहचान हो चुकी है।” फॉरेंसिक विशेषज्ञ इस अंतिम शव की पहचान के लिए उन्नत तकनीकों से डीएनए निकालने में जुटे हैं।

अधिकारी ने कहा, “इतने कम समय में डीएनए से 253 मृतकों की पहचान एक रिकॉर्ड है। सभी पहचान अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार की जा रही है ताकि परिवारों को पार्थिव अवशेष मिल सकें और वे अंतिम संस्कार करने के साथ-साथ मुआवजे के हकदार भी बन सकें।”

इकलौते जीवित बचे यात्री गहरे अवसाद में

एआई 171 विमान के लंदन के लिए रवाना होते समय, विश्वाशकुमार रमेश अपनी सीट 11A पर बैठे थे और उनके छोटे भाई अजय सीट 11J पर थे। टेकऑफ के कुछ ही पलों बाद विमान अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल और मेस में गिर गया, जिससे विमान में सवार सभी यात्री मारे गए — केवल विश्वाश बच सके।

दुर्घटना में जीवित बचना विश्वाश के लिए एक गहरा आघात साबित हुआ है। उनका जीवन आज भी हादसे के सदमे में है।

उनके छोटे भाई सनी रमेश बताते हैं, “वह बार-बार पूछते हैं — क्यों सिर्फ मैं बचा? क्यों मेरे भाई और बाकी सभी नहीं?” सनी कहते हैं कि हादसे के बाद से विश्वाश सो नहीं पा रहे हैं। जब उन्हें पता चला कि वे इकलौते जीवित बचे हैं, तो वह गहरे अवसाद में चले गए।

सनी कहते हैं, “हम उनका किसी से मिलना-जुलना कम से कम करने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल उनका मानसिक स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है।” दुर्घटना के वक्त विश्वाश इमरजेंसी एग्जिट से बाहर फेंक दिए गए थे और इत्तेफाक से हॉस्टल के पास जमा मिट्टी के ढेर पर गिरे थे।

सनी कहते हैं, “भले ही उनका शरीर सुरक्षित है, लेकिन उनका मन उस पल में कैद है। वह न केवल अपने भाई की मौत से दुखी हैं, बल्कि अन्य यात्रियों के खोने से भी गहरे रूप से आहत हैं।” पुलिस ने अभी तक उनका बयान नहीं लिया है और सनी के अनुसार, फिलहाल विश्वाश इस हालत में नहीं हैं कि वह बयान दे सकें।

मामले की जांच जारी है, और विशेषज्ञ अंतिम शव की पहचान के लिए जुटे हैं ताकि सभी परिवारों को उनका हक मिल सके।

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