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AI 171 विमान हादसा: क्या इलेक्ट्रिकल सिस्टम फेलियर बना दुर्घटना की वजह? कई थ्योरीज़ पर हो रही जांच

| Updated: June 16, 2025 12:39

AI 171 विमान हादसे की जांच में सामने आई नई थ्योरी—क्या बोइंग 787 के इलेक्ट्रिकल सिस्टम की विफलता बनी जानलेवा कारण?

मुंबई: एयर इंडिया की उड़ान AI 171 के 12 जून को हुए हादसे को लेकर विभिन्न संभावनाएं और थ्योरीज़ सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों और पायलटों के बीच यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या Boeing 787 Dreamliner विमान में मौजूद आधुनिक इलेक्ट्रिकल सिस्टम की विफलता इस हादसे की वजह बनी?

बोइंग 787 को पारंपरिक हाइड्रोलिक और न्यूमैटिक सिस्टम की जगह ज्यादा इलेक्ट्रिकल सिस्टम के साथ डिज़ाइन किया गया है ताकि ईंधन की खपत कम हो और रखरखाव सस्ता पड़े। लेकिन अब यही ‘इनोवेशन’ जांच के दायरे में है।

इंजन में धमाके की आवाज़ और संभावित संकेत

हादसे में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति ने धमाके जैसी आवाज़ सुनने की बात कही है, जिससे माना जा रहा है कि शायद एक इंजन ने काम करना बंद कर दिया था। हालांकि, आधुनिक विमानों में केवल एक इंजन फेल होने से विमान क्रैश नहीं करता। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि फिर दूसरा इंजन भी बंद हुआ या कुछ और गंभीर तकनीकी गड़बड़ी हुई?

डुअल इंजन फेलियर: दुर्लभ लेकिन संभव

पिछले 70 वर्षों में डुअल इंजन फेलियर के केवल 7 मामले दुनिया भर में दर्ज हुए हैं। इनमें कारण रहे हैं—पक्षियों से टकराव (जैसे 2009 में हडसन नदी पर US एयरवेज की लैंडिंग), ईंधन की कमी या गड़बड़ी, और गलती से सही इंजन को बंद कर देना (जैसे 1989 में ब्रिटिश मिडलैंड फ्लाइट 92)।

AI 171 मामले में बर्ड हिट की संभावना से इनकार किया जा चुका है, जिससे ध्यान अब तकनीकी और प्रणालीगत विफलताओं की ओर गया है।

क्या पायलट्स ने गलत इंजन बंद कर दिया?

पूर्व में हुई दुर्घटनाओं की तरह कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कहीं पायलट्स ने गलती से सही इंजन बंद तो नहीं कर दिया? लेकिन मानक प्रक्रिया के अनुसार खराब इंजन को बंद करने की प्रक्रिया 400 फीट की ऊंचाई पर शुरू होती है—जबकि AI 171 उस ऊंचाई तक पहुंच ही नहीं पाया।

“स्टार्टल इफेक्ट” और पायलट की मानवीय भूल?

कई पायलट्स इस ओर भी इशारा कर रहे हैं कि कहीं “स्टार्टल इफेक्ट” यानी अचानक घबराहट के चलते पायलटों ने फ्लैप्स की जगह लैंडिंग गियर हटा दिए हों या भूल से कोई और गलती की हो? हालांकि, एक B787 कमांडर ने कहा, “अगर ऐसा भी हुआ होता और एक इंजन काम कर रहा होता, तो विमान सुरक्षित लौट सकता था।”

इलेक्ट्रिकल फेलियर की आशंका: VFSG और EEC पर संदेह

विशेषज्ञ अब VFSG (Variable Frequency Starter Generators) के फेल होने की संभावना पर विचार कर रहे हैं, जो इंजन चालू करने और विमान को मुख्य विद्युत शक्ति देने का काम करते हैं।

एक वरिष्ठ एयरबस कमांडर ने कहा, “संभव है कि टेकऑफ के दौरान एक या अधिक VFSG फेल हो गए हों या सिस्टम से कट गए हों, जिससे इंजन कंट्रोल आंशिक या पूरी तरह से खत्म हो गया।”

EEC (Electronic Engine Controls), जिन्हें ‘थ्रॉटल कंप्यूटर’ कहा जाता है, इलेक्ट्रिक पावर से चलते हैं। VFSG फेल होने की स्थिति में, भले ही इंजन चल रहे हों, थ्रस्ट को बढ़ाने की क्षमता खत्म हो सकती है।

APU की भूमिका क्यों नहीं आई?

पायलट्स ने बताया कि APU (Auxiliary Power Unit) को इंजन RPM तक पहुंचने में 90 सेकंड लगते हैं, जबकि हादसा सिर्फ 32 सेकंड में हो गया। इस वजह से APU समय पर एक्टिव नहीं हो पाया।

क्या RAM एयर टरबाइन (RAT) खुल गई थी?

कुछ विशेषज्ञों ने एक धुंधले काले पैच की ओर ध्यान दिलाया है, जो विमान के नीचे देखा गया, और दावा किया कि यह RAT (Ram Air Turbine) के खुलने का संकेत हो सकता है। हालांकि, RAT सिर्फ क्रिटिकल कंट्रोल सर्फेसेस को पावर देता है, और पूरे विमान को उड़ाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं होता।

ओवरलोडिंग और थ्रस्ट कैलकुलेशन में गलती?

एविएशन सेफ्टी एक्सपर्ट कैप्टन अमित सिंह ने आशंका जताई कि शायद कार्गो ओवरलोडिंग हुई हो। उन्होंने कहा, “इससे रनवे पर विमान को ज्यादा दूरी चाहिए थी और एक इंजन फेल होने पर पर्याप्त ऊंचाई नहीं मिल सकी।”

वहीं, एक B777 पायलट ने संभावना जताई कि पायलट्स ने गलती से केवल ज़ीरो फ्यूल वेट डाला, और 50-60 टन फ्यूल का हिसाब नहीं जोड़ा। इससे थ्रस्ट सेटिंग कम रह गई, और इंजन फेल होने की स्थिति में विमान के पास ऊर्जावान पुश नहीं बचा।

हालांकि, B787 कमांडर ने इसका खंडन किया और कहा कि विमान का वज़न उसके पहियों पर मौजूद दबाव से भी मापा जाता है, जिससे सिस्टम पायलट्स को अलर्ट कर देता।

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