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आपातकालीन उपकरणों की जाँच में लापरवाही पर DGCA ने एयर इंडिया को चेतावनी दी

| Updated: June 20, 2025 12:58

DGCA की जांच में खुलासा, एयर इंडिया ने तीन एयरबस विमानों को जरूरी सुरक्षा जांच के बिना उड़ाया; टाटा समूह ने रखरखाव प्रक्रिया की त्वरित समीक्षा का वादा किया।

नई दिल्ली — भारत के नागरिक उड्डयन नियामक DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने एयर इंडिया को चेतावनी नोटिस जारी किया है। यह चेतावनी तीन एयरबस विमानों को जरूरी सुरक्षा जांच के बिना उड़ान भराने और इस मामले में देरी से प्रतिक्रिया देने को लेकर दी गई है।

न्यूज एजेंसीज द्वारा देखे गए जांच रिपोर्ट और नोटिस के अनुसार, DGCA ने मई में तीन एयरबस विमानों की आकस्मिक जांच की थी, जिसमें पाया गया कि आपातकालीन उपकरणों — विशेष रूप से इमरजेंसी स्लाइड्स — की अनिवार्य जांच समय पर नहीं की गई थी, फिर भी विमान उड़ाए गए।

यह रिपोर्ट उस बोइंग 787-8 विमान दुर्घटना से संबंधित नहीं है, जो पिछले सप्ताह हुई थी और जिसमें 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई थी। DGCA की यह कार्रवाई दुर्घटना से पहले की गई थी।

कई महीनों की देरी के बाद हुई जांच

रिपोर्ट में कहा गया कि एक एयरबस A320 विमान की इमरजेंसी स्लाइड की जांच तय समय से एक महीने से अधिक देर से, 15 मई को की गई। इस दौरान विमान ने दुबई, रियाद और जेद्दाह जैसी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित कीं।

एक अन्य एयरबस A319 विमान, जो घरेलू उड़ानों में प्रयोग होता है, उसमें तीन महीने से अधिक की देरी हुई, जबकि तीसरे विमान में जांच दो दिन देर से की गई।

DGCA रिपोर्ट में कहा गया, “इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि विमान अवधिपार या अप्रमाणित आपातकालीन उपकरणों के साथ उड़ान भर रहे थे, जो मानक हवाई सुरक्षा और एयरवर्थीनेस नियमों का उल्लंघन है।”

एयर इंडिया की प्रतिक्रिया

2022 में टाटा समूह द्वारा सरकार से अधिग्रहित की गई एयर इंडिया ने बयान जारी कर कहा है कि वह सभी मेंटेनेंस रिकॉर्ड्स — विशेषकर इमरजेंसी स्लाइड्स — की त्वरित समीक्षा कर रही है और यह प्रक्रिया कुछ ही दिनों में पूरी कर ली जाएगी।

एक मामले में एयर इंडिया ने बताया कि AI इंजीनियरिंग सर्विसेज के एक इंजीनियर द्वारा रखरखाव के दौरान एक इमरजेंसी स्लाइड गलती से सक्रिय कर दी गई, जिससे यह चूक सामने आई।

एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के पूर्व कानूनी विशेषज्ञ विभूति सिंह ने कहा, “इमरजेंसी स्लाइड की जांच बेहद गंभीर विषय है। किसी दुर्घटना के दौरान अगर स्लाइड काम नहीं करे, तो जानलेवा साबित हो सकता है।”

DGCA की रिपोर्ट के अनुसार, जो विमान निर्धारित जांच समय से चूक जाते हैं, उनके एयरवर्थीनेस सर्टिफिकेट स्वतः निलंबित माने जाते हैं।

चेतावनी और पुरानी लापरवाहियों का इतिहास

DGCA के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एयरवर्थीनेस, अनीमेष गर्ग द्वारा यह नोटिस एयर इंडिया के CEO कैंपबेल विल्सन, एयरलाइन के क्वालिटी मैनेजर, प्लानिंग हेड और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया था।

एक भारतीय एविएशन वकील के अनुसार, इस तरह के उल्लंघन पर आमतौर पर वित्तीय जुर्माना और नागरिक दंड लगाया जाता है, जो एयरलाइन और संबंधित अधिकारियों दोनों पर लागू होता है।

पिछले वर्ष भारत सरकार ने संसद में बताया था कि 23 बार एयरलाइनों को चेतावनी या जुर्माना दिया गया, जिनमें से 12 मामले एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस से जुड़े थे। एक मामले में सैन फ्रांसिस्को की उड़ान में ऑक्सीजन की कमी को लेकर एयर इंडिया पर $127,000 (लगभग ₹1 करोड़) का जुर्माना लगाया गया था।

CEO विल्सन ने पिछले वर्ष कहा था कि एयर इंडिया के पास पुराना बेड़ा होने के कारण उसे स्पेयर पार्ट्स की भारी कमी झेलनी पड़ रही है — कई विमान 2010-2011 के बाद से अपडेट नहीं हुए हैं।

‘प्रणालीगत विफलता’ पर DGCA की सख्त टिप्पणी

DGCA ने यह भी पाया कि कई विमानों के रजिस्ट्रेशन दस्तावेज पुराने थे। एयर इंडिया ने दावा किया कि केवल एक विमान को छोड़कर सभी दस्तावेज अब अद्यतन हैं और इससे सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ता।

रिपोर्ट में कहा गया, “पहले से चेतावनियों और पहचानी गई खामियों के बावजूद, एयर इंडिया के आंतरिक गुणवत्ता और योजना विभाग प्रभावी सुधार लागू करने में असफल रहे — जो कि एक प्रणालीगत नियंत्रण विफलता (Systemic Control Failure) को दर्शाता है।”

दुर्घटना के बाद एयर इंडिया के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दुखद घटना सुरक्षित एयरलाइन के निर्माण की दिशा में एक निर्णायक क्षण बन सकती है। उन्होंने सभी कर्मचारियों से आलोचनाओं के बीच धैर्य और संकल्प बनाए रखने की अपील की।

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