नई दिल्ली: भारत के विमानन इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक में अहमदाबाद में क्रैश हुए एयर इंडिया बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर को लेकर एक वरिष्ठ पायलट ने बड़ा खुलासा किया है। यह वही पायलट हैं जिन्होंने हाल ही तक उसी तरह के ड्रीमलाइनर विमान को उड़ाया था।
कैप्टन राकेश राय, जो पिछले साल तक टाटा स्वामित्व वाली एयर इंडिया के लिए बोइंग 787 उड़ाते रहे, ने NDTV को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हादसे की संभावित वजहों और विमान की तकनीकी विशेषताओं पर बात की। उन्होंने इस हादसे में मारे गए अपने साथी पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल को भी याद किया।
कैप्टन राय ने कहा, “सुमीत सभरवाल मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे। मैंने उनके साथ कई बार उड़ान भरी थी। वह बेहद विनम्र और जमीन से जुड़े इंसान थे। एक दोस्त, एक शानदार विमान और इतने सारे यात्रियों को खोना बेहद दर्दनाक है।”
सबसे अहम सुराग: लैंडिंग गियर नहीं उठाया गया
कैप्टन राय के अनुसार, सबसे बड़ा संकेत यह है कि विमान का लैंडिंग गियर टेक-ऑफ के बाद भी नहीं उठाया गया था। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट के सीसीटीवी फुटेज में टेक-ऑफ एकदम सामान्य दिख रहा है।
उन्होंने कहा, “टेक-ऑफ के समय रोटेशन और चढ़ाई की गति सामान्य थी। लेकिन 400 से 600 फीट की ऊंचाई के बीच कुछ गड़बड़ हुआ। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अंडरकारेज यानी लैंडिंग गियर उठाया ही नहीं गया।”
सामान्य स्थिति में जैसे ही विमान जमीन से उठता है और इंस्ट्रूमेंट्स ‘पॉजिटिव क्लाइंब रेट’ दिखाते हैं, को-पायलट कहता है “पॉजिटिव रेट”, जिसके बाद पायलट “गियर अप” का निर्देश देता है। यह प्रक्रिया उड़ान के पहले 50 से 100 फीट में ही पूरी हो जाती है।
उन्होंने कहा, “यहां गियर नीचे ही रहा, जो कई सवाल खड़े करता है। असली कारण तो ब्लैक बॉक्स यानी डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) के विश्लेषण से ही सामने आएगा।”
संभावित परिदृश्य
कैप्टन राय ने तीन संभावनाएं गिनाईं:
- बर्ड हिट (कम संभावना): टेक-ऑफ के समय पक्षी टकरा सकता है जिससे दोनों पायलट विचलित हो गए हों और गियर उठाना भूल गए हों। हालांकि, विशेषज्ञों ने इस संभावना को खारिज किया है।
- इंजन की अचानक शक्ति हानि: अचानक पावर लॉस से पायलटों का ध्यान भटक सकता है और गियर उठाना रह गया हो।
- फ्लैप्स की गलत हैंडलिंग: एक दुर्लभ परिदृश्य में को-पायलट गियर उठाने के बजाय फ्लैप्स को रिट्रैक्ट कर दे। इससे विमान तुरंत लिफ्ट खो देता है, और गियर नीचे होने से पैदा हुए ड्रैग को इंजन संभाल नहीं पाते।
उन्होंने बताया, “अगर फ्लैप्स गलती से उठा दिए गए और विमान पर्याप्त ऊंचाई पर नहीं था, तो वह लिफ्ट खो देगा और चढ़ाई नहीं कर पाएगा।”
इंजन फेलियर की आशंका
एक और संभावना यह हो सकती है कि किसी एक इंजन ने काम करना बंद कर दिया और गलती से सही इंजन को बंद कर दिया गया हो। या फिर, एक दुर्लभ स्थिति में दोनों इंजन फेल हो गए हों।
उन्होंने कहा, “अगर विमान 1,000 फीट की ऊंचाई पर होता, तो फ्लैप्स को फिर से एक्टिव कर स्थिति को संभाला जा सकता था। लेकिन यहां पायलटों के पास सिर्फ 25 सेकंड थे। उसमें भी 3-4 सेकंड तो यह समझने में लग जाते हैं कि क्या हुआ है। यानी वास्तविक रिएक्शन टाइम करीब 20 सेकंड ही बचता है।”
आखिरी पलों में क्या हुआ होगा?
राय ने बताया, “मेरा मानना है कि जब पायलट ने महसूस किया कि विमान ऊंचाई नहीं पकड़ पा रहा है, और वह नीचे गिरने लगा, तभी मीडे कॉल दी गई होगी। इस स्थिति में पायलट की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है कि वह विमान की नाक ऊपर कर दे।”
सिम्युलेटर ट्रेनिंग और सीमाएं
कैप्टन राय ने बताया कि पायलटों को साल में दो बार सिम्युलेटर में इमरजेंसी हालातों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।
उन्होंने बताया, “सिम्युलेटर पूरी तरह असली विमान जैसा होता है। इसे ‘ज़ीरो-आवर सिम्युलेटर’ कहते हैं। अगर आप इसे चला सकते हैं, तो असली विमान भी उड़ा सकते हैं।”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “दोनों इंजनों के एक साथ फेल होने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती क्योंकि यह स्थिति बेहद दुर्लभ मानी जाती है।”
कैप्टन राय के मुताबिक, हादसे की असल वजह जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन लैंडिंग गियर का नीचे रह जाना एक बड़ी तकनीकी चूक की ओर इशारा करता है।
उन्होंने कहा, “गियर डाउन रहना शायद इस पूरी दुर्घटना की जड़ है। चाहे वह पायलट की गलती हो, तकनीकी गड़बड़ी या कुछ और – इसका जवाब DFDR ही देगा।”
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