एयर इंडिया के बोइंग 787 विमान के अहमदाबाद में हुए भीषण हादसे के दो हफ्ते से अधिक समय बीत जाने के बाद, जांचकर्ता और एयरलाइन यह जांच कर रहे हैं कि कहीं दोनों इंजनों के फेल होने के कारण तो विमान हवा में नहीं टिक पाया।
सूत्रों के मुताबिक, एयरलाइन के पायलटों ने सिम्युलेटर में दुर्घटनाग्रस्त विमान के उड़ान संबंधी हालात को दोहराया—जिसमें लैंडिंग गियर खुला था और विंग फ्लैप्स पीछे की ओर मुड़े हुए थे—लेकिन सिर्फ इन सेटिंग्स से विमान क्रैश नहीं हुआ।
इस सिमुलेशन और दुर्घटना से ठीक पहले इमरजेंसी पावर टरबाइन (RAT) के सक्रिय होने से यह आशंका और मजबूत हुई है कि हादसे के पीछे किसी तकनीकी खामी की भूमिका हो सकती है। यह सिम्युलेशन जांच एजेंसी ‘एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो’ (AAIB) की आधिकारिक जांच से अलग किया गया था।
दुर्घटना का विवरण और इंजन पर बढ़ता शक
यह हादसा 12 जून को अहमदाबाद में हुआ था, जब एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही जमीन से टकराकर जल गया। विमान में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के दो इंजन लगे थे। वीडियो फुटेज में विमान को टेकऑफ के तुरंत बाद ऊंचाई पकड़ने में संघर्ष करते और फिर तेजी से नीचे गिरते देखा गया।
बोइंग और जनरल इलेक्ट्रिक ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और AAIB की ओर इशारा किया। वहीं, एयर इंडिया और AAIB ने मीडिया के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों इंजन एक साथ कैसे और क्यों बंद हो सकते हैं, लेकिन ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट रिकॉर्डर) से मिले डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। जांचकर्ता कई संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं, लेकिन फोकस तकनीकी खराबी पर अधिक है।
लैंडिंग गियर और हाइड्रोलिक सिस्टम पर सवाल
फुटेज देखने वाले पायलटों ने नोट किया कि लैंडिंग गियर आंशिक रूप से झुका हुआ था, जिससे लगता है कि पायलटों ने उसे वापस खींचने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। लेकिन लैंडिंग गियर के दरवाजे नहीं खुले थे, जो संकेत देता है कि विमान को बिजली या हाइड्रोलिक पावर की कमी हो गई थी—जो आमतौर पर इंजनों से मिलती है।
आधुनिक विमानों में लगे इंजन FADEC (Full Authority Digital Engine Control) नामक सिस्टम से नियंत्रित होते हैं, जो पायलटों को बिजली और शक्ति नियंत्रण में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि इंजन सुरक्षित सीमाओं में काम करे।
दुर्घटना से ठीक पहले विमान का रैम एयर टरबाइन (RAT) भी सक्रिय हो गया था, जो इमरजेंसी के समय सीमित बिजली प्रदान करता है। हालांकि, यह छोटा पंखा विमान को उड़ान में बनाए रखने में सक्षम नहीं होता।
मेडे कॉल और जांच की स्थिति
विमान के मलबे से यह पता चला है कि टेकऑफ के समय विंग फ्लैप्स और स्लैट्स सही तरीके से खुले हुए थे। यह हादसा भारत के नागरिक उड्डयन इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक है, और पहली बार है जब कोई बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना में पूरी तरह से नष्ट हुआ हो।
क्रैश से कुछ सेकंड पहले पायलटों ने “मेडे” इमरजेंसी कॉल भेजी थी। सूत्रों के मुताबिक, इस कॉल और दुर्घटना के बीच केवल 15 सेकंड का समय था।
बोइंग और अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) की टीमें भारत में जांच में सहयोग कर रही हैं। फिलहाल यह साफ नहीं है कि ब्लैक बॉक्स की फाइनल रिपोर्ट कब सार्वजनिक की जाएगी, जिसमें विमान की तकनीकी स्थिति, प्रदर्शन और कॉकपिट में बातचीत की विस्तृत जानकारी होती है।
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