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एएमसी और जीसीएमएमएफ के बीच अखाड़ा बनने के लिए तैयार हैं अमूल पार्लर?

| Updated: October 15, 2022 12:41 pm

अहमदाबाद में कई विवादों में से एक है- पार्कों से जुड़े 200 अमूल पार्लर। इन्हें तेजतर्रार (dynamic) नए नगर आयुक्त एम थेनारासन को सुलझाना होगा। ये पार्लर गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन  (GCMMF) द्वारा अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (AUDA) के साथ एक समझौते के तहत खोले गए थे। इसके तहत जीसीएमएमएफ को पट्टे (leas) के बदले में पार्कों के रखरखाव की देखभाल करनी थी। अहमदाबाद नगर निगम (AMC) में भाजपा के नेता भास्कर भट्ट ने अब मांग की है कि जीसीएमएमएफ पार्क के रखरखाव के खिलाफ गारंटी के रूप में 5 करोड़ रुपये जमा करे। वह कहते हैं, “आम तौर पर ऐसा होता ही (standard practice) है, जो एएमसी ठेकेदारों के साथ करता है। अमूल अपवाद (exception) नहीं हो सकता। ”

अहमदाबाद नगर निगम (AMC) में भाजपा के नेता भास्कर भट्ट

यह पैसा एएमसी के लिए आमदनी (income) नहीं मानी जाएगी, लेकिन टेंडर में किसी भी चूक होने पर इसे एस्क्रो (escrow) अकाउंट में जमा कर दिया जाएगा। लेकिन यह जीसीएमएमएफ के खर्च पर एएमसी की बैलेंस शीट को बढ़ाने का काम करेगा। जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी का कहना है कि वह इस तरह की मांग को मानने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमारा पैसा बेवजह रोका  जाएगा। वैसे भी, हम एएमसी बागानों के रखरखाव पर सालाना (annually) 20 करोड़ रुपये खर्च करते हैं।”

जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी

1990 के दशक में AMC-AUDA का सहयोग वास्तव में अमूल के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अहमदाबाद इस तरह के आउटलेट शुरू करने वाला पहला शहर था। इतनी बड़ी संख्या में और इतने प्रमुख स्थानों पर उन्हें खोलने वाला भी एकमात्र शहर है। आज वे शहर में विजिटरों द्वारा देख जाने वाले प्रमुख स्थल जैसे हो गए हैं।

पार्क पार्लर अमूल के पहले एक्सक्लूसिव स्टोर थे और मूल रूप से शुरुआत में दूध के बूथ थे, जहां दही, मक्खन, घी, पनीर और तरल दूध स्टोर होते थे। बाद में उन्हें राष्ट्रीय संस्थागत डिजाइन (National Institutional Design) द्वारा एक मॉड्यूलर रूप दे दिया गया, जिसे बड़े पैमाने पर दोहराना आसान था। बता दें कि एनआईडी अपने कैंपस में अमूल पार्लर खोलने वाला पहला संस्थान भी था। आज अमूल के देश भर में 8,000 से अधिक पार्लर हैं और बिस्कुट, ब्रेड और आइसक्रीम से लेकर जूस, मिठाई और चॉकलेट तक सब कुछ शामिल करने के लिए ब्रांड के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में विस्तार (expanded) हुआ है।

जीसीएमएमएफ के पूर्व प्रबंध निदेशक (managing director) बीएम व्यास

पहले एएमसी पार्क पार्लर सीधे अमूल द्वारा चलाए जाते थे और जीसीएमएमएफ के अहमदाबाद शाखा प्रबंधक (Branch Manager) के जिम्मे आते थे। बाद में, उन्हें GCMMF के वितरकों के लिए फ्रेंचाइजी दी गई। जीसीएमएमएफ के पूर्व प्रबंध निदेशक (managing director) बीएम व्यास, जिन्होंने अमूल की खुदरा रणनीति (retail strategy) को तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई, कहते हैं कि पार्लर बहुत जल्दी लाभदायक (profitable) हो गए और पार्क रखरखाव की लागत को पूरा करने के लिए मुनाफा हमेशा पर्याप्त से अधिक (more than enough) रहा है। आज वे कितने लाभदायक (profitable) हैं?  वह कहते हैं, “मेरा अनुमान है कि ए या बी श्रेणी के शहर में औसत पार्लर सभी खर्चों के बाद प्रति माह कम से कम 2 लाख रुपये का शुद्ध लाभ (net profit) कमाएगा।”

जब अमूल पार्लर शुरू किए गए थे, तब डेयरी उद्योग सहकारी समितियों (co-operatives) तक सीमित (restricted) था और नागरिकों को पर्याप्त दूध की सप्लाई सुनिश्चित करना नगर निगम के कर्तव्यों (duties) का हिस्सा माना जाता था। लेकिन अब जब दूध बहुतायत में उपलब्ध है और डेयरी उद्योग को निजी प्रतिस्पर्धा (private competition) के लिए खोल दिया गया है, तो नजरिया बदल गया है।

अमूल के पार्लरों को नई पीढ़ी विशुद्ध रूप से व्यावसायिक तौर पर (commercial terms) देखती है और वे यकीनन बहुत लाभदायक (profitable) हैं। पार्लर शहर के प्रमुख स्थानों पर कब्जा कर लेते हैं और सुबह 5 बजे (जब दूध आता है) से देर रात तक विजी रहते हैं। सवाल है कि क्या पार्लर की संपत्तियों पर लीज अधिकारों के बदले पार्क रखरखाव की देखरेख कर रहे अमूल की तीन दशक लंबी लीड व्यवस्था जारी रह सकती है? या एएमसी अंततः एक खुले टेंडर के लिए जाएगा, और अमूल को संपत्तियों (properties) के लिए निजी खिलाड़ियों (private players) के मुकाबले में बोली लगाने के लिए मजबूर करेगा?

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