करीब दो वर्षों तक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या को लेकर उपजे राजनयिक तनाव के बाद भारत और कनाडा ने संबंध सामान्य करने की दिशा में पहला कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नव-नियुक्त प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने जी7 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की और दोनों देशों के उच्चायुक्तों की वापसी व रुकी हुई व्यापार वार्ताओं को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई।
भारत की ओर से इस 40 मिनट की द्विपक्षीय बैठक को “सकारात्मक और रचनात्मक” बताया गया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने स्थिरता बहाल करने के लिए “क्रमबद्ध कदम उठाने” और वरिष्ठ स्तर की व्यापार वार्ताओं के साथ-साथ मंत्रीस्तरीय और कार्य-स्तरीय संवाद को फिर से शुरू करने का संकल्प लिया।
बैठक में भारत और कनाडा ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन के प्रति सम्मान, और संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता जैसे सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारतीय बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने “एक रचनात्मक और संतुलित साझेदारी” को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो परस्पर संवेदनाओं के प्रति सम्मान, गहरे लोगों-से-लोगों के संबंध और आर्थिक समानताओं पर आधारित हो।
सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सुरक्षा चिंताओं पर भी चर्चा की—भारत की ओर से कनाडा में सक्रिय भारत-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा जाहिर की गई। हालांकि, इस संवेदनशील मुद्दे को सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं किया गया, जिससे यह संकेत मिला कि दोनों देश इस मुद्दे को बातचीत की मुख्यधारा से दूर रखना चाहते हैं।
कनाडा के बयान में जी7 में “अंतरराष्ट्रीय अपराध और दमन” पर चर्चा का ज़िक्र किया गया, जो इस बार सम्मेलन की एक प्राथमिकता रही, लेकिन उसमें अलगाववादी नेता और कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कोई सीधा उल्लेख नहीं था—जिसको लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया था।
भारतीय बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने “ईपीटीए” (प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौता) की वार्ताओं को फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे आगे चलकर “समग्र आर्थिक भागीदारी समझौता” (सीईपीए) का रास्ता बन सके। हालांकि कनाडाई पक्ष ने अपने बयान में व्यापार वार्ताओं का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने “महत्वपूर्ण वाणिज्यिक संबंधों” और “आर्थिक विकास, आपूर्ति श्रृंखलाओं और ऊर्जा परिवर्तन में साझेदारी” की बात कही।
बीते साल ट्रूडो सरकार ने भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, जिसके जवाब में भारत ने भी समान कदम उठाए। भारत ने तब ट्रूडो की “वोट-बैंक राजनीति” को संबंधों में आई दरार के लिए जिम्मेदार ठहराया था। अब दोनों देशों ने नए उच्चायुक्तों की पहचान कर ली है, जो जल्द ही अपना कार्यभार संभाल सकते हैं। कनाडा के बयान के अनुसार, इससे दोनों देशों के नागरिकों और व्यापारिक समुदाय के लिए नियमित सेवाएं फिर से शुरू हो सकेंगी।
भारतीय पक्ष ने कहा, “दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा के बीच गहरे लोगों-से-लोगों के संबंधों को रेखांकित किया और इस जीवंत सेतु (Living Bridge) को दोनों देशों के लाभ के लिए उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की।” इसके साथ ही दोनों देशों ने जलवायु कार्रवाई, समावेशी विकास और सतत विकास जैसे वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि मोदी और कार्नी ने कनेक्टिविटी, लोगों-से-लोगों के रिश्ते, और स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल बुनियादी ढांचा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, खाद्य सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की।
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