comScore क्या जस्टिन ट्रूडो के जाने के बाद भारत-कनाडा संबंधों में आएगा सुधार? - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

Vibes Of India
Vibes Of India

क्या जस्टिन ट्रूडो के जाने के बाद भारत-कनाडा संबंधों में आएगा सुधार?

| Updated: April 30, 2025 12:51

जस्टिन ट्रूडो की विरासत से छुटकारा पाने के बाद, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के पास भारत-कनाडा संबंधों को सुधारने का एक नया अवसर है।

जैसे ही मार्क कार्नी ने कनाडा के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, एक बड़ा सवाल सामने आया—क्या वह अपने पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो द्वारा बिगाड़े गए भारत-कनाडा संबंधों को सुधार पाएंगे?

लिबरल पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ते समय कार्नी ने ट्रूडो की नीतियों और छवि से खुद को स्पष्ट रूप से अलग किया। उनकी असली चुनौती सिर्फ कंजरवेटिव पार्टी के पीयर पोलीवरे को हराना नहीं थी, बल्कि ट्रूडो की विरासत से छुटकारा पाना भी था।

एक अहम डिबेट में कार्नी ने कहा, “जस्टिन ट्रूडो और कार्बन टैक्स—दोनों अब इतिहास हो चुके हैं।”

बहुमत से थोड़ा पीछे, लेकिन बड़ी जीत

रेडियो कनाडा के मुताबिक, कार्नी की अगुवाई में लिबरल पार्टी को लगभग 168 सीटें मिली हैं—जो बहुमत के लिए जरूरी 172 सीटों से कुछ कम हैं। फिर भी यह पार्टी के लिए बड़ी वापसी है, क्योंकि कुछ महीने पहले तक कंजरवेटिव पार्टी को दो अंकों की बढ़त हासिल थी।

जगमीत सिंह की पार्टी हुई हाशिए पर

इस चुनाव का एक अहम पहलू यह भी रहा कि जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) को करारी शिकस्त मिली। यह वही पार्टी है जिसे अक्सर खालिस्तान समर्थक रुख रखने के लिए जाना जाता रहा है, और जिसने ट्रूडो की अल्पमत सरकार को समर्थन देकर स्थिरता दी थी।

अब जब NDP सिर्फ 7 सीटों पर सिमट गई है और जगमीत सिंह ने इस्तीफा दे दिया है, तो कार्नी के पास विदेश नीति में ज्यादा स्वतंत्रता है—खासतौर पर भारत के साथ संबंधों को लेकर।

ट्रूडो काल में भारत-कनाडा रिश्तों में गिरावट

ट्रूडो के कार्यकाल में भारत-कनाडा संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो ने भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, लेकिन कभी कोई सबूत नहीं दिया।

भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और सबूत मांगता रहा। इसके बजाय ट्रूडो सरकार ने लगातार भारत विरोधी बयान दिए, जिससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए और एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित तक करना पड़ा।

क्या कार्नी देंगे नई दिशा?

हालांकि कार्नी ने ट्रूडो की नीतियों से दूरी बनाई है, लेकिन उन्होंने समानता, एकता और मेल-मिलाप जैसे लिबरल मूल्यों से अपनी निष्ठा जताई है। फिर भी, एक अनुभवी अर्थशास्त्री के तौर पर वे भारत के आर्थिक महत्व को अच्छी तरह समझते हैं।

आईएमएफ के अनुसार, 2025 में भारत जापान को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। दूसरी ओर कनाडा की अर्थव्यवस्था ठहरी हुई है, महंगाई, बेरोजगारी, हाउसिंग संकट और बड़े पैमाने पर आप्रवासन ने ट्रूडो सरकार को अलोकप्रिय बना दिया।

कार्नी ने पहले ही संकेत दिए हैं कि भारत के साथ रिश्तों में सुधार उनकी प्राथमिकता में शामिल है।

मार्च में कैलगरी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा था, “कनाडा समान सोच वाले देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को विविध बनाना चाहता है, और भारत के साथ रिश्तों को फिर से बनाने का अवसर है। अगर मैं प्रधानमंत्री बना, तो मैं इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहूंगा।”

मोदी ने दी बधाई

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्नी को बधाई देते हुए कहा, “भारत और कनाडा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, क़ानून के शासन और जीवंत जन-संबंधों से बंधे हैं। मैं आपके साथ काम करने के लिए तत्पर हूं ताकि हमारे संबंध मजबूत हों और हमारे लोगों के लिए नए अवसर खुलें।”

भारत से परिचित हैं कार्नी

मार्क कार्नी भारत और यहां के कारोबारी माहौल से अपरिचित नहीं हैं। 2017 में जब वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर थे, तब उन्होंने मुंबई स्थित महिंद्रा ग्रुप के मुख्यालय का दौरा किया था।

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने हाल ही में एक पोस्ट में उन्हें “संज्ञाशील, व्यावहारिक और विनोदी” बताया।

कार्नी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के बोर्ड में भी रहे हैं, जो भारत में $29 अरब से अधिक की संपत्ति का प्रबंधन करती है—जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, रिन्यूएबल एनर्जी और प्राइवेट इक्विटी जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

खालिस्तानी प्रभाव में आई कमी

ट्रूडो सरकार के भारत विरोधी रुख के पीछे खालिस्तानी समर्थकों को तुष्ट करने की नीति को कई बार भारत ने “वोट बैंक की राजनीति” बताया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मई 2024 में कहा था, “कनाडा में जब चुनाव आते हैं, तो वे वोट बैंक की राजनीति में भारत को दोष देते हैं।”

पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने भी हाल ही में कहा था कि खालिस्तानी लॉबी कनाडा की राजनीति पर असमान रूप से हावी है, लेकिन चुनाव पर उसका प्रभाव सीमित होता जा रहा है।

अब जबकि जगमीत सिंह और उनकी पार्टी हाशिए पर हैं और ट्रूडो की छाया हट चुकी है, कार्नी को एक अनुकूल घरेलू माहौल मिल सकता है—भारत के साथ मजबूत, संतुलित और दूरदर्शी संबंध स्थापित करने के लिए।

यह भी पढ़ें- पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने सेना को दी “पूरी ऑपरेशनल आज़ादी”

Your email address will not be published. Required fields are marked *