नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पिछले सप्ताह हुए भीषण आतंकी हमले में 26 आम नागरिकों की मौत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों को “पूरी ऑपरेशनल आज़ादी” देने का निर्णय लिया है।
यह फैसला मंगलवार को प्रधानमंत्री के आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के दौरान लिया गया। करीब 90 मिनट चली इस बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई को राष्ट्रीय संकल्प बताया। उन्होंने सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को भरोसा दिलाया कि भारतीय सशस्त्र बलों को कार्रवाई के तरीके, समय और लक्ष्य तय करने की “पूरी स्वतंत्रता” दी गई है।
यह बैठक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक से एक दिन पहले हुई, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसलों के लिए सरकार की सर्वोच्च संस्था है।
सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी को जम्मू-कश्मीर की ताज़ा सुरक्षा स्थिति से अवगत कराया था। वहीं शीर्ष रक्षा अधिकारियों ने 22 अप्रैल को हुए हमले के गुनहगारों को सज़ा देने के लिए सैन्य विकल्पों पर चर्चा की। पहलगाम हमला 26/11 मुंबई हमले के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हालिया ‘मन की बात’ संबोधन में कहा था कि पहलगाम हमले के “षड्यंत्रकारियों और अपराधियों को सबसे कड़ा जवाब” दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “देश का 140 करोड़ लोगों का परिवार आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। मैं प्रभावित परिवारों को एक बार फिर भरोसा दिलाता हूं कि उन्हें न्याय ज़रूर मिलेगा।”
भारत ने इस आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कूटनीतिक रुख अपनाते हुए कई सख्त कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी बॉर्डर को बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी वीज़ा रद्द करना शामिल है।
भारत की कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने भी अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया है और नई दिल्ली के साथ सभी व्यापारिक संबंध निलंबित कर दिए हैं।
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