नई दिल्ली— दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट फर्म ब्लैकरॉक ने अडानी ग्रुप की 750 मिलियन डॉलर की प्राइवेट बॉन्ड इश्यू में सबसे बड़ा निवेशक बनकर अडानी समूह को एक बड़ी राहत दी है।
जानकारी के अनुसार, ब्लैकरॉक ने इस बॉन्ड इश्यू का एक-तिहाई हिस्सा खरीदा है। यह निवेश 3 से 5 वर्षों की अवधि वाले बॉन्ड्स के रूप में किया गया है, जिसे अडानी समूह के प्रमोटर परिवार की पूर्ण स्वामित्व वाली ऑफशोर इकाई Renew Exim DMCC द्वारा जारी किया गया है।
यह निवेश ऐसे समय में आया है जब अडानी ग्रुप अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) की एक रिश्वतखोरी मामले में जांच का सामना कर रहा है। इसके बावजूद, ब्लैकरॉक जैसे वैश्विक निवेशक की भागीदारी को समूह में भरोसे और दीर्घकालिक संभावनाओं का संकेत माना जा रहा है।
इस बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई राशि का उपयोग मुख्य रूप से ITD सेमेंटेशन के अधिग्रहण और अन्य विकास योजनाओं के लिए किया जाएगा। वर्ष 2023 में, अडानी समूह ने ITD सेमेंटेशन में प्रमोटरों से 46.64% हिस्सेदारी 5,888.57 करोड़ रुपए में खरीदी थी। इसके बाद एक ओपन ऑफर के माध्यम से 400 रुपए प्रति शेयर की दर से अतिरिक्त 20.81% हिस्सेदारी भी अधिग्रहित की गई।
ब्लैकरॉक के अलावा अमेरिका और यूरोप के पांच अन्य संस्थागत निवेशकों ने भी इस बॉन्ड इश्यू में भाग लिया है, जिनमें Sona Asset Management द्वारा प्रबंधित फंड्स शामिल हैं।
ब्लैकरॉक का यह निवेश भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में उसकी पहली निजी प्लेसमेंट है, और यह उसकी वैश्विक रणनीति का हिस्सा है। जनवरी 2024 में ब्लैकरॉक ने Global Infrastructure Partners (GIP) को 12.5 बिलियन डॉलर में अधिग्रहित किया था, जो पोर्ट्स, पावर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है।
ब्लैकरॉक के चेयरमैन लैरी फिंक ने इस अधिग्रहण के समय कहा था, “इंफ्रास्ट्रक्चर आने वाले वर्षों में सबसे रोमांचक निवेश क्षेत्रों में से एक होगा, क्योंकि कई संरचनात्मक बदलाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार दे रहे हैं।”
यह अडानी समूह की दूसरी बड़ी डॉलर बॉन्ड प्राइवेट प्लेसमेंट है। इससे पहले फरवरी 2025 में समूह ने अपनी ऑस्ट्रेलियाई पोर्ट परियोजनाओं के लिए लगभग 200 मिलियन डॉलर जुटाए थे। वर्तमान 750 मिलियन डॉलर का बॉन्ड इश्यू DOJ की जांच के बाद अब तक का सबसे बड़ा पूंजी संग्रहण है।
ITD सेमेंटेशन, जो कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, तूतीकोरिन, मुंद्रा और विजिंजम जैसे महत्वपूर्ण बंदरगाह परियोजनाओं पर काम कर चुकी है, अडानी ग्रुप के लिए एक रणनीतिक संपत्ति मानी जा रही है और इसके अधिग्रहण से समूह की इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
ब्लैकरॉक का यह निवेश दर्शाता है कि कंपनी को अडानी समूह के खिलाफ चल रही जांच के कारण किसी बड़े परिचालनगत व्यवधान की आशंका नहीं है। वहीं अडानी ग्रुप इसे अपने प्रति वैश्विक निवेशकों के भरोसे के रूप में देख रहा है।