नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में यह घोषणा की।
उन्होंने कहा, “कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने फैसला किया है कि आने वाली जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल किया जाएगा।”
कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है। उन्होंने 2010 की एक घटना का हवाला देते हुए कहा, “उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मुद्दे पर कैबिनेट में विचार होना चाहिए। इसके लिए एक मंत्री समूह भी गठित किया गया था। इसके बावजूद कांग्रेस सरकारों ने इसे आगे नहीं बढ़ाया।”
कांग्रेस शासित राज्यों पर भी कटाक्ष करते हुए वैष्णव ने कहा कि कुछ राज्यों ने जाति सर्वेक्षण “राजनीतिक दृष्टिकोण से और अपारदर्शी तरीके से” किया है। उन्होंने तेलंगाना और कर्नाटक का विशेष रूप से उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि कांग्रेस और उसके INDI गठबंधन के सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। कुछ राज्यों ने जातियों की गणना करने के लिए सर्वेक्षण कराए, जिनमें से कुछ ने यह काम व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से किया, जबकि कुछ ने केवल राजनीतिक लाभ के लिए अपारदर्शी सर्वे किए, जिससे समाज में भ्रम की स्थिति बनी।”
वैष्णव ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि जनगणना एक केंद्रीय विषय है।
संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, जनगणना विषय सातवीं अनुसूची की संघ सूची के क्रमांक 69 में दर्ज है। कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन उनकी प्रक्रिया और पारदर्शिता में भारी भिन्नता रही है। कुछ प्रयासों ने सामाजिक समरसता को प्रभावित किया है।
उन्होंने आगे कहा, “इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश की सामाजिक एकता बनी रहे, सरकार ने निर्णय लिया है कि जातिगत गणना को राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा बनाकर पारदर्शी ढंग से किया जाएगा। यह कदम देश की सामाजिक और आर्थिक नींव को मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल है, जिससे विकास की गति भी बनी रहेगी।”
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