कोरोना की तीसरी लहर सितंबर के पहले पखवाड़े में आने की संभावना - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

कोरोना की तीसरी लहर सितंबर के पहले पखवाड़े में आने की संभावना

| Updated: August 28, 2021 14:51

कोरोना की तीसरी लहर सितंबर के पहले सप्ताह या पखवाड़े में आने की संभावना है। वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाले व्यक्ति इस लहर से कम प्रभावित होंगे। यह गुजरात में सबसे ज्यादा लाशों का पोस्टमार्टम करने वाले राजकोट सिविल अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ.हेतल क्याडा का केहाना है।

राजकोट में सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों का पोस्टमार्टम किया गया है। इसी शव परीक्षण के आधार पर शोध किया गया, जिसके कागजात केंद्र सरकार को भेजे और इस पर नई एसओपी तैयार की गई है। वहीं, इस शोध पत्र के आधार पर कुछ दवाओं का विकास किया गया है। साथ ही ये कागजात अब अमेरिका और ब्रिटेन भेजेगे।

दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. क्यादा के मुताबिक, सितंबर के पहले पखवाड़े में तीसरी लहर शुरू होने की संभावना है, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि कोरोना नियमों का उल्लंघन कर रहे लोग आपने जीवन से हाथ धो रहे है। हालांकि अभी टीकाकरण का रिस्पोंस अच्छा मिल रहा है, इसलिए गंभीरता कम होने की संभावना है। उन्होंने डेल्टा वेरिएंट के बारे में कहा कि डेल्टा वेरिएंट पर भी कोरोना वैक्सीन प्रभावी है, इसलिए यह तय है कि वैक्सीन पाने वाले लोगों पर इसका असर न के बराबर होगा। जबकी, कुछ लोगको टीका मिला है,और कुछ को नहीं लेकिन जिनकी रोगप्रतिकारक शक्ति अच्छी है उन पर डेल्टा वेरिएंट का असर नहीं होगा।

देश में अब तक करीब 125 ऑटोपसी किए जा चुके हैं। राजकोट में सबसे ज्यादा 33 ऑटोपसी किए गए हैं। ऑटोपसी शोध के अनुसार, 32 से 95 वर्ष की आयु के कोरोना रोगी में हृदय रोग, फाइब्रोसिस और रक्त के गांठ होने की संभावना अधिक होती है। पोस्टमार्टम के बाद पांच से छह शोध पत्र तैयार किए जा चुके हैं, जिनमें से सभी को जर्नल ऑफ मेडिकल अमेरिकन और जर्नल ऑफ मेडिकल ब्रिटिश को भेज दिया गया है।

पोस्टमार्टम के दौरान कुछ सावधानियां बरती जाती हैं। उदाहरण के लिए, जिन्हें मधुमेह, बीपी जैसी बीमारियां हैं, उनके शरीर की जांच नहीं की जाती है। पॉजिटिव होने के एक या दो दिन के अंदर मरीज की मौत हो जाती है तो शरीर में वायरस का भार काफी बढ़ जाता है, जिससे पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है ताकि ऐसी लाश से वायरस न फैले। वहीं ऑटोपसी डॉक्टर को सात दिन के लिए आइसोलेट किया जाता है। न ही पोस्टमार्टम रूम के सफाईकर्मियों को सफाई के लिए भेजा जाता है। शव परीक्षण परिवार की अंतिम यात्रा से पहले होता है, क्योंकि शव परीक्षण के बाद सीधे दफन किया जाता है।

डॉ क्याडा ने शव परीक्षण कक्ष के बारे में कहा कि इस कमरे में संक्रमण नियंत्रण होना चाहिए, जिसका तापमान से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही शव परीक्षण और संक्रमण पूरे कमरे में न फैले इसका भी खास ध्यान रखा जाता है।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d