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गुजरात: “बेटा” कहकर पुकारने पर दलित युवक की पिटाई, छह दिनों बाद हुई मौत

| Updated: May 24, 2025 12:47

अमरेली में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या पर बवाल, परिजनों ने न्याय की मांग के साथ किया विरोध, कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी शामिल हुए धरने में।

अमरेली (गुजरात) — गुजरात के अमरेली ज़िले में एक दुकान पर अलग जाति के किशोर को “बेटा” कहकर संबोधित करने पर छह दिन पहले बेरहमी से पीटे गए निलेश राठौड़ नामक दलित युवक की गुरुवार को भावनगर सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।

पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है और एक नाबालिग को हिरासत में लिया है। दो आरोपी अभी फरार बताए जा रहे हैं।

शुक्रवार को कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने मृतक निलेश राठौड़ के परिवार के साथ धरना देकर न्याय की मांग की। फेसबुक पर जारी एक बयान में मेवाणी ने लिखा:

“जारकिया गांव के निलेश राठौड़ की मौत… जातिवादी तत्वों द्वारा एक छोटे से मुद्दे पर बर्बर पिटाई के बाद हुई। हम मांग करते हैं कि सभी चार पीड़ितों (मृतक के परिजन और उनके साथियों) को पांच एकड़ खेती की ज़मीन या सरकारी नौकरी दी जाए, जांच ईमानदार अधिकारी से कराई जाए और केस को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाया जाए ताकि यह उदाहरण बन सके।”

राठौड़ के परिवार ने अपनी मांगें पूरी होने तक शव लेने से इनकार कर दिया है।

क्या हुआ था?

एफआईआर के अनुसार, यह घटना 16 मई को अमरेली-सावरकुंडला रोड पर एक भजिया स्टॉल के पास हुई थी। एफआईआर दर्ज कराने वाले लालजी मंसुख चौहान (28) ने बताया कि वह राठौड़ और अन्य साथियों के साथ भजिया खाने गए थे। वहां से राठौड़ पास की एक दुकान पर पैकेट स्नैक्स लेने गया।

राठौड़ ने लौटकर बताया कि उसने दुकान के मालिक के नाबालिग बेटे से पूछा था कि क्या उसे ऊँचाई पर लटके स्नैक्स के पैकेट उतारने में मदद चाहिए, और इसी दौरान उसने बच्चे को “बेटा” कह दिया। इस पर दुकानदार ने उस पर लोहे के करछुल से हमला करने की कोशिश की।

जब चौहान मामले को सुलझाने दुकान गया, तो चोथा खोड़ा भरवड़ नामक दुकानदार ने उस पर डंडे से हमला किया। विजय आनंद टोटा नामक व्यक्ति ने भी दोनों (चौहान और राठौड़) की पिटाई की। एफआईआर के अनुसार, इस बीच भजिया स्टॉल के मालिक जगा दुधत ने आकर उन्हें बचाया।

कुछ देर बाद, राठौड़ के चाचा सुरेश वाला दुकानदार से बात करने पहुंचे, लेकिन तब तक दुकानदार ने कुछ और लोगों को बुला लिया था। उन्होंने डंडों और हसियों से हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं।

एफआईआर में कहा गया कि पीड़ित भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमलावर उनका पीछा करते रहे और पिटाई करते रहे, यह कहते हुए कि “नीची जाति” के होकर इतनी हिम्मत कैसे दिखाई। हमले को रोकने के लिए आखिरकार एक बुजुर्ग को बीच में आना पड़ा।

कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारियां

शुरुआत में अमरेली ग्रामीण पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में चार आरोपियों के नाम थे: भरवड़, टोटा, भावेश मुंधवा और जतिन मुंधवा। उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं में मामला दर्ज हुआ, जिनमें धारा 118(1) (गंभीर चोट पहुँचाना), धारा 115(2) (जानबूझकर चोट पहुँचाना), धारा 189 (अवैध जमावड़ा), धारा 131 (हमला या आपराधिक बल), धारा 352 (जानबूझकर अपमान करना), धारा 3(5) (साझा आपराधिक दायित्व) शामिल हैं.

इसके साथ ही, अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और गुजरात पुलिस अधिनियम की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज हुआ।

राठौड़ के अस्पताल में भर्ती होने के बाद पुलिस ने हत्या की कोशिश (धारा 109) और उनकी मौत के बाद हत्या (धारा 103) की धाराएं भी जोड़ दीं।

अमरेली के पुलिस अधीक्षक (SP) संजय खरात ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,

“एफआईआर में नामजद चार आरोपियों में से एक को गिरफ्तार करने के बाद हमें पता चला कि कुल 11 लोग इस घटना में शामिल थे। अब तक हमने नौ को गिरफ्तार कर लिया है, और बाकी दो की तलाश जारी है।”

गिरफ्तार आरोपियों में चार नामजद व्यक्तियों के अलावा कथड़ अर्जन मुंधवा, देवा संगा मुंधवा, डूडा बोगा मुंधवा, और रवि डूडा मुंधवा शामिल हैं।

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