भारतीय परंपरागत कला “पिछवाई” के प्रसार हेतु प्रदर्शिनी का हुआ आयोजन - Vibes Of India

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भारतीय परंपरागत कला “पिछवाई” के प्रसार हेतु प्रदर्शिनी का हुआ आयोजन

| Updated: April 12, 2022 19:24

भारतीय परंपरागत कला “पिछवाई” के प्रसार हेतु प्रदर्शिनी का हुआ आयोजन

16वीं शताब्दी में वल्लभ संप्रदाय द्वारा शुरू की गई पिछवाई कला श्री कृष्ण के बाल्य जीवन की लीलाओं को चित्रकला के माध्यम से प्रदर्शित करता है। कृष्ण प्रतिमा के पुष्ट भाग में लटकाई जाने वाली चादर को “पिछवाई” कहते हैं। पिछवाई कलाकारी में मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के जीवन की गाथाओं को चित्रित किया जाता है।

अहमदाबाद के लालभाई दलपतभाई संग्रहालय द्वारा पिछवाई चित्रकला (Pichwai Paintings) की प्रदर्शिनी “भक्ति नी अभिव्यक्ति” का आयोजन किया गया। पिछवाई कला को बहुसंख्यक समूह के बीच प्रचलित करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम का आयोजन हुआ। 

प्रदर्शिनी की कुछ झलक इन तस्वीरों में देखें

तीन चरण में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत एक संगीत जलसे से की गई, उसके बाद दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ जिसमें पिछवाई कला के अंशों की बारीकी व कला के विभिन्न प्रकारों को समझाया गया। इस कार्यशाला में न सिर्फ कला प्रेमी बल्कि विभिन्न वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला के बाद पिछवाई कलाकृतियों की प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया जो 8 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक कला प्रेमियों के लिए खुली रहेगी।

वाइब्स ऑफ इंडिया से बातचीत में लालभाई दलपतभाई संग्रहालय की निर्देशक, श्रीमती सुजाता परसाई ने बताया कि, जब उन्होंने प्रदर्शिनी का आयोजन करने का विचार किया तब संग्रहालय के पास पिछवाई की केवल दो कलाकृतियाँ थीं, लेकिन जैसे ही उन्होंने यह विचार ट्रस्ट के सदस्यों के समक्ष रखा तो उन्होंने अपने निजी संग्रह पिछवाई प्रदर्शिनी के लिए दे दिए। 

पौराणिक शैली से लेकर आधुनिक शैली के पिछवाई का संयोजन इस प्रदर्शिनी में किया गया है। एक धारणा ये भी है कि, पिछवाई मूल रूप से “नाथद्वारा” की उपज है। लेकिन, इस धारणा को सम्पूर्ण रूप से सच नहीं माना जा सकता क्योंकि, पिछवाई कलाकारी मथुरा से लेकर चंपारण तक एवं नाथद्वारा से लेकर डेक्कन तक प्रचलित है। प्रदर्शिनी में देशभर में पाई जाने वाली विविध प्रकार की पिछवाई कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।

इस प्रदर्शिनी में आपको लालभाई ग्रुप के ट्रस्टी चिराग लाल भाई, श्रीमती जयश्री संजय लालभाई एवं श्री अनिल रेलिया के निजी पिछवाई संग्रह भी देखने को मिलेंगे। 

पिछवाई कला देश की प्राचीन हस्तकलाओं में से एक हैं एवं इस कला के विभिन्न प्रकार हैं। पिछवाई के विभिन्न प्रकारों में यदि किसी एक चीज का समन्वय देखने को मिलता हो तो वह है पिछवाई पर चित्रित कृष्ण जीवन की गाथा एवं उनके अलग-अलग रूपों का वर्णन। नाथद्वारा में पिछवाई कलाकृति के कारीगर आज भी अपना गुजर-बसर पिछवाई कलाकृतियों के सहारे कर रहे हैं। देश-विदेश में पिछवाई की भारी मांग है और विदेशी सैलानियों में भी पिछवाई कलाकृतियों को लेकर एक जिज्ञासा देखने को मिलती है। 

इस प्रदर्शिनी की कुछ झलकियां आप इस वीडियो में देख सकते हैं-

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