अहमदाबाद: भारत की जानी-मानी कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर कुमुदिनी लखिया का आज तड़के सुहब 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। हाल ही में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई थी।
कुमुदिनी लखिया का जन्म 17 मई 1930 को अहमदाबाद में हुआ था। वे न केवल एक सफल नृत्यांगना थीं, बल्कि एक प्रख्यात कोरियोग्राफर और शिक्षिका भी थीं। उन्होंने वर्ष 1967 में अहमदाबाद में ‘कदंब स्कूल ऑफ डांस एंड म्यूज़िक’ की स्थापना की, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत को समर्पित एक प्रतिष्ठित संस्थान है।
कथक नृत्य के क्षेत्र में नवाचार और आधुनिक प्रयोगों के लिए कुमुदिनी लखिया को विशेष रूप से जाना जाता है। उन्होंने पहले जयपुर घराने के कई गुरुओं से प्रशिक्षण लिया और बाद में लखनऊ घराने के प्रख्यात गुरू पं. शंभु महाराज से शिक्षा प्राप्त की। वे खास तौर पर समूह कोरियोग्राफी के लिए प्रसिद्ध थीं, जिसमें कई कलाकार मिलकर एक साथ प्रदर्शन करते हैं।
उनके कुछ प्रसिद्ध नृत्य-निर्देशनों में ‘धबकार’, ‘युगल’ और ‘अत: किम (अब क्या?)’ शामिल हैं, जिन्हें उन्होंने 1980 में दिल्ली में आयोजित वार्षिक कथक महोत्सव के दौरान प्रस्तुत किया था।
इसके अलावा, उन्होंने प्रसिद्ध नृत्य निर्देशक गोपी कृष्ण के साथ मिलकर 1981 में बनी हिन्दी फिल्म ‘उमराव जान’ की कोरियोग्राफी भी की थी, जिसे आज भी याद किया जाता है।
कुमुदिनी लखिया ने अपने जीवन में अनेक प्रतिभावान शिष्यों को तैयार किया, जिनमें प्रमुख नाम हैं: अदिति मंगलदास, वैशाली त्रिवेदी, संध्या देसाई, दक्ष शेट, मौलिक शाह, इशिरा पारिख, प्रशांत शाह, ऊर्जा ठाकोर और पारुल शाह।
उनका निधन भारतीय शास्त्रीय नृत्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियाँ सदैव स्मरण करेंगी।
यह भी पढ़ें- कच्छ रेगिस्तान में बीएसएफ चौकी सर्वे के दौरान सर्वेयर की प्यास से मौत, 100 घंटे से बाद मिला शव