किसान आत्महत्याएं: सरकार के लिए महज आंकड़े, धरतीपुत्रों के लिए क्रूर हकीकत - Vibes Of India

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किसान आत्महत्याएं: सरकार के लिए महज आंकड़े, धरतीपुत्रों के लिए क्रूर हकीकत

| Updated: August 27, 2021 11:42

नीलेश पटेल के लिए यह साल अच्छा नहीं रहा। उन्हें अच्छे दिन आने का इंतजार था। भले वादे के मुताबिक 100 दिनों में न सही, लेकिन 1000 दिनों में तो अच्छे दिन आने की उम्मीद कर ही रहे थे।

गुजरात के नवसारी के नीलेश पटेल ने पाया कि एक तरफ जहां  खेती से कमाई घटती जा रही है, वहीं उन पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। जिस डांगर की खेती से वे इतने आशान्वित थे, वह उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं निकली। तीन महीने पहले मई में आई तौतका जैसी प्राकृतिक आपदाओं और बारिश की कमी ने उनकी स्थिति को और खराब कर दिया।

जी हां, नवसारी गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल का  निर्वाचन क्षेत्र है। उन्होंने 6.89 लाख वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र के 74.37 फीसदी वोट होते थे। नवसारी के अधिकतर लोगों की तरह नीलेश और उनके परिवार ने भी पाटिल को ही वोट दिया था।

नीलेश के साथ पटेल उपनाम असंगत बैठता है। नीलेश का परिवार आदिवासी है, जिसके पास जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े भर हैं। 35 वर्षीय नीलेश छह सदस्यीय परिवार में एकमात्र कमाने वाला थे। उनके वृद्ध माता-पिता को दवाओं की आवश्यकता थी, लेकिन पिछले दो महीनों से नीलेश का परिवार मुश्किल से एक दिन का भोजन कर पाता था।

नवसारी के रुजवानी गाव में ऐसे कई नीलेश हैं, जो अपने भाग्य, सरकार और कुदरत को कोसते हैं। नीलेश ने पैसे उधार लिए थे,  फिर भी उनकी सभी जरूरतों को इससे पूरा करना संभव नहीं हो रहा था। उधारी में और अधिक पैसे देने के लिए कोई तैयार नहीं था। ऐसे में बुधवार की रात नीलेश ने पूरे परिवार के साथ खाना खाया, फिर वृद्ध माता-पिता को प्रणाम किया, अकेले में पत्नी को गले लगाया, फिर पांच साल के बेटे और सात साल की बेटी को चूमा। यह कहते हुए कि, मैं अपने खेत में जाऊंगा और जल्द ही वापस आऊंगा।

लेकिन, वह कभी वापस नहीं आए। हो सकता है कि उन्होंने खेत को चूमा हो और फिर परिवार को याद भी किया हो। घर नहीं लौटने के कारण चिंतित घरवालों और दोस्तों ने उन्हें खेत में पाया। उन्होंने कीटनाशक खा लिया था।

परिवार सदमे और पूरी तरह से असमंजस में था। उन्हें धरमपुर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई। उनकी मृत्यु का कारण: भारी कर्ज, प्रकृति का किसानों के साथ “सहयोग” नहीं करना और सरकार की विषम किसान विरोधी नीतियां।

और, ऐसा भारत के मॉडल राज्य गुजरात में है।

नीलेश पटेल यानी एक ऐसा गरीब बेरोजगार, जिसका खेती से भरण-पोषण नहीं हो सकता था, एक और आंकड़ा बन गया। किसान आत्महत्या केवल विदर्भ या उत्तर की ही बात नहीं रह गई है। गुजरात में अक्सर रिकॉर्ड आंकड़ों की कलाबाजी साबित हुए हैं। इसलिए हम आंकड़ों में नहीं पड़ेंगे कि कितने किसानों ने  आत्महत्या की है। लेकिन आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जैसा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया कहते हैं- भाजपा सरकार आंकड़ों में हेराफेरी करने या गढ़ने में उत्कृष्ट है। जाहिर है, अर्जुन भाई यहां यह नहीं जोड़ेंगे कि उनकी पार्टी कांग्रेस या हाल ही में अधिक ध्यान देने वाली आम आदमी पार्टी वास्तव में गुजरात में किसानों के लिए कुछ भी ठोस कर रही है।

नीलेश की पत्नी नीताबेन (अनुरोध पर नाम बदला गया) ने कहा कि जब वह आधी रात को उठीं, तो पति को अपने बगल में नहीं देखा। उन्होंने सोचा कि शायद वह पानी पीने या वाशरूम के लिए बाहर गए होंगे। उन्होंने कहा, “शुरू में मैंने सोचा था कि वह थोड़ी देर में वापस आ जाएंगे, लेकिन जब वह 30 मिनट से अधिक समय तक नहीं लौटे तब मुझे कुछ गड़बड़ महसूस हुई। मैंने  ससुराल वालों को जगाया। फिर हम सबने चारों ओर खोजा। नहीं मिलने पर अंत में खेत की ओर भागे। वह खेत के बीच में बेहोश पड़े हुए थे।

मंतव्य न्यूज के रुशियंत शर्मा ने बताया कि परिजन ने पहले  इमरजेंसी नंबर 108 पर डायल किया, फिर नीलेश को धर्मपुर अस्पताल ले गए। 

नीलेशभाई के घर के पास में रहने वाले चाचा 60 वर्षीय सुरेशभाई नागिनभाई पटेल, जो एक किसान हैं, ने कहा, “वह कुछ महीनों से बकाया कर्ज और कीटनाशकों की बढ़ती कीमतों के कारण परेशान थे। मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया है।”

जब वाइब्स ऑफ इंडिया ने नवसारी जिले के डीएसपी एसजी राणा से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा, “कहा जा रहा है कि कर्ज और कीटनाशकों की बढ़ती कीमतों से परेशान होने के कारण नीलेशभाई ने आत्महत्या की है। हम अभी कारणों का पता लगाने के लिए मामले की जांच कर रहे हैं। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।”

जब वाइब्स ऑफ इंडिया ने नवसारी जिले के पीएसआई एसएस मल से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा, “हमें कल यानी 25 अगस्त को दोपहर में धर्मपुर अस्पताल से फोन आया कि नीलेशभाई का निधन हो गया। जब हम मौके पर पहुंचे तो हमने उनके परिवार से बात की।  उन्होंने इस अतिवादी कदम के कुछ कारण बताए हैं, लेकिन अभी कुछ भी ठोस रूप से नहीं कहा जा सकता है। यह एक आदिवासी आबादी वाला गांव है और उनमें से अधिकतर सीमांत किसान हैं।”

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