मेवाणी के लिए कांग्रेस ने छोड़ा साथ, तो मणिभाई वाघेला ने थामा भाजपा का हाथ....

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मेवाणी के लिए कांग्रेस ने छोड़ा साथ, तो मणिभाई वाघेला ने थामा भाजपा का हाथ

|Banaskantha | Updated: April 26, 2022 17:57

गुजरात के बनासकांठा जिले के वडगाम में कांग्रेस के पूर्व विधायक मणिभाई वाघेला गत रविवार को प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए। राज्य में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 68 वर्षीय नेता का भाजपा में जाना विशेष रूप से कांग्रेस के गढ़ वडगाम निर्वाचन क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।


यह सब ऐसे समय में हुया है, जब वडगाम के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस ने एक ट्वीट के कारण गिरफ्तार कर लिया। सोमवार को जमानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी को फिर से राज्य में एक और मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। मेवाणी ने कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया है। उनके कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर ही वडगाम निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है।


वाघेला 2012 में वडगाम निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुने गए थे। लेकिन 2017 के चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर मेवाणी को समर्थन देने का फैसला कर लिया, जिसके बाद उन्हें इदर को निर्वाचन क्षेत्र बनाना पड़ा। उस समय ऊना में मारपीट की घटना के विरोध के बाद मेवाणी एक दलित युवा नेता के रूप में उभरे थे। आखिरकार वाघेला चुनाव हार गए और मेवाणी की जीत का श्रेय काफी हद तक इस तथ्य को दिया गया कि कांग्रेस ने वडगाम में उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।


साबरकांठा जिले के किसान और उद्योगपति वाघेला ने पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वह राज्य में पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से थे और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही कांग्रेस के साथ रहे।


पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे अपने त्यागपत्र में वाघेला ने 2017 के विधानसभा चुनावों में वडगाम से पार्टी के टिकट से इनकार का भी जिक्र किया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2017 में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के प्रति उनकी वफादारी के बावजूद, जब पार्टी के लगभग 15 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, तो उन्हें वडगाम निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के टिकट से वंचित कर दिया गया।


वाघेला ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि वाघेला को शामिल करना पार्टी की उन सीटों पर प्रभाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है, जहां वह कमजोर है और जहां वह लंबे समय से चुनाव हार रही है।


भाजपा के एक नेता ने कहा, “हमारी पार्टी उन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस के गढ़ हैं। वाघेला के बीजेपी में शामिल होने को इसी नजरिए से देखा जा सकता है। एक अन्य उदाहरण अहमदाबाद नगर निगम में कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष दिनेश शर्मा का शामिल होना है, जिनका बापूनगर क्षेत्र में मजबूत आधार है। हम पिछले चुनाव में बापूनगर सीट हार गए थे। ”


उन्होंने कहा, “इसी तरह, हमारी पार्टी बनासकांठा जिले के लिए योजना बना रही है, जहां भाजपा 2017 में नौ में से केवल दो सीटें जीत सकी। वडगाम कांग्रेस का गढ़ है और हमारे पास सीट के लिए कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है। वाघेला इस सीट से पूर्व विधायक हैं, जिनका वहां मजबूत आधार है। इसलिए अगर वह वहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, तो पार्टी के पास सीट जीतने की पूरी संभावना है।”


बनासकांठा के एक अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, “अगर भाजपा वघेला को वडगाम से मैदान में उतारती है तो उसके पास मेवाणी के खिलाफ सीट जीतने का अच्छा मौका है। वाघेला एक उद्योगपति और पूर्व विधायक हैं और यहां सभी समुदायों के बीच उनका मजबूत आधार है। इसके अलावा, लोकप्रिय राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने में मेवाणी एक जानी-मानी आवाज हो सकती हैं। लेकिन, वडगाम निर्वाचन क्षेत्र के कई जमीनी स्तर के मुद्दे अनसुलझे हैं। और, यह आगामी चुनावों में मेवाणी के खिलाफ जा सकता है।


उन्होंने कहा, “इसके अलावा, वडगाम मुस्लिम मतदाताओं की पर्याप्त संख्या के साथ कांग्रेस का गढ़ है। अगर एआईएमआईएम वडगाम से उम्मीदवार उतारती है और मुस्लिम वोट बंट जाते हैं, तो इससे भाजपा को फायदा होगा। लेकिन एक अन्य विशेषज्ञ ने बताया, “मेवानी की गिरफ्तारी उनके लिए जनता की सहानुभूति पैदा कर सकती है और यह उनके पक्ष में काम कर सकती है।”


नाराज कैलाश गढ़वी आप में शामिल
गुजरात में कांग्रेस को एक और झटका लगा है। उसके पूर्व प्रवक्ता और अखिल भारतीय पेशेवर कांग्रेस (एआईपीसी) के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश गढ़वी गत रविवार को ही आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए। 52 वर्षीय चार्टर्ड एकाउंटेंट ने “कोई दृष्टि नहीं होने” के लिए कांग्रेस की आलोचना की। अहमदाबाद में आप के प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक औपचारिक समारोह में गढ़वी ने अपने 300 समर्थकों- सीए, बैंकरों, और विपणन पेशेवरों, और छोटे और मध्यम उद्यमियों की उपस्थिति में निष्ठा बदल ली। वह 2007 से कांग्रेस कार्यकर्ता थे।


गढ़वी ने अक्टूबर 2020 में गुजरात कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वह कच्छ में अब्दासा सीट पर उपचुनाव के लिए टिकट से वंचित होने से नाखुश थे। गढ़वी ने शनिवार को नई दिल्ली में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी।
चार्टर्ड अकाउंटेंट और ओबीसी नेता गढ़वी भारत की शीर्ष सीए फर्मों में से एक- वी के जिंदल एंड कंपनी में भागीदार हैं, जिसका आधार छह राज्यों में है। कच्छ में जन्मे गढ़वी ने अपनी स्कूली शिक्षा हजारीबाग, झारखंड में पूरी की। फिर कोलकाता में सीए की पढ़ाई पूरी की। इसलिए कनेक्शन के लिए उन्हें पूरे भारत में जाना जाता है।


गढ़वी ने कहा, “हमारी शाखाएं पश्चिम में अहमदाबाद से लेकर पूर्व में भागलपुर और कोलकाता तक हैं। मैं पिछले 22 वर्षों से सीए हूं और पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में मैं कांग्रेस के सीए सेल का हिस्सा बनने के लिए शामिल हुआ। तब किसी अन्य पार्टी ने अपने संगठन में सीए जैसी इकाई बनाने का सोचा तक नहीं था। ”
गढ़वी को 2018 में एआईपीसी गुजरात का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) सेल के अध्यक्ष थे। अक्टूबर 2020 में गढ़वी ने अब्दासा विधानसभा सीट के लिए उपचुनावों में टिकट को लेकर जिस तरह से व्यवहार किया, उससे नाखुश पार्टी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।


नवंबर 2020 में गुजरात भर में सात अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के साथ इस सीट पर भी उप-चुनाव हुए। तब कई कांग्रेस विधायकों– अब्दसा विधायक प्रद्युमनसिंह जडेजा सहित – ने इस्तीफा दे दिया था और बाद में भाजपा में चले गए थे। बाद में कांग्रेस ने शांतिलाल सेघानी को मैदान में उतारा था, जबकि भाजपा ने जडेजा को मैदान में उतारा। आखिरकार भाजपा ने 36, 000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की।


गढ़वी ने कहा, “2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान मैंने पार्टी के लिए दिन-रात काम किया था। हालांकि, आखिरी समय में साबरमती सीट से मेरा टिकट कट गया। फिर अक्टूबर 2020 में कच्छ में मेरे क्षेत्र के लोगों ने अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यालय में अपना विरोध दर्ज कराया। तब पार्टी ने एक अन्य उम्मीदवार को अब्दासा उपचुनाव के लिए टिकट दिया था। अपने उम्मीदवार का नाम बताने के बाद पार्टी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इस सीट से चुनाव लड़ना चाहता हूं। मैंने मना कर दिया। ”


गढ़वी के बारे में पूछे जाने पर गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, “अब्दासा उपचुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। तब से वह कांग्रेस के साथ नहीं हैं।’ गढ़वी ने यह भी कहा कि वह आप को राज्य में भाजपा के “विकल्प” के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी राय में आप एक ऐसी पार्टी है जिसने जमीनी स्तर पर शानदार काम किया है। वे जानते हैं कि लोगों से कैसे जुड़ना है और उनकी निर्णय लेने की क्षमता शानदार है। गुजरात की जनता अहंकारी भाजपा सरकार से थक चुकी है, लेकिन उसे कांग्रेस में कोई विकल्प नजर नहीं आता। यह सच है। ”

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