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गिर सफारी परमिट की कालाबाजारी का भंडाफोड़, फर्जी वेबसाइट बनाकर पर्यटकों को लगाते थे चूना, 3 गिरफ्तार

| Updated: October 15, 2025 12:17

फर्जी वेबसाइट बनाकर पर्यटकों को लगाते थे चूना, तीन गिरफ्तार

गांधीनगर: गुजरात पुलिस ने सासन गिर जंगल और देवलिया पार्क में सफारी परमिट की कालाबाजारी कर पर्यटकों को ठगने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो थोक में सफारी स्लॉट बुक करके उन्हें ऊंचे दामों पर बेचते थे।

गांधीनगर स्थित साइबर क्राइम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को धर दबोचा है। इनकी पहचान अहमदाबाद के थलतेज में टूर्स एंड ट्रैवल्स कंपनी चलाने वाले अल्पेशकुमार मनसुखलाल भलानी और जूनागढ़ के मेंदरडा निवासी सुल्तान उस्मान बलोच और अजोज नूरमोहम्मद शेख के रूप में हुई है।

यह कार्रवाई सासन गिर के उप वन संरक्षक (DCF) द्वारा 10 अक्टूबर को राज्य साइबर क्राइम सेल में दर्ज कराई गई एक शिकायत के आधार पर की गई। इस FIR में कई अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 112 (संगठित छोटे अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

कैसे देते थे ठगी को अंजाम?

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ये आरोपी आधिकारिक वेबसाइट girlion.gujarat.gov.in पर जाकर उन पर्यटकों के वास्तविक विवरण का उपयोग करके कई सफारी स्लॉट बुक कर लेते थे, जो गलती से ई-परमिट के लिए इनकी फर्जी वेबसाइटों पर पहुंच जाते थे। सबसे बड़ी चालाकी ये आरोपी वेरिफिकेशन के चरण में करते थे, जहां वे आधार कार्ड की जगह कोई भी रैंडम फोटो अपलोड कर देते थे और वेबसाइट उसे स्वीकार कर लेती थी।

इसी खामी का फायदा उठाकर वे बड़े पैमाने पर स्लॉट बुक करते और फिर पर्यटकों से 18 फरवरी, 2015 के सरकारी संकल्प (GR) द्वारा निर्धारित राशि से कई गुना अधिक पैसा वसूलते थे।

कितने बड़े पैमाने पर चल रहा था यह घोटाला?

पुलिस ने वेबसाइट हैंडलर गुजरात इंफॉर्मेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड (GIPL) के सहयोग से 1 जनवरी, 2024 और 31 दिसंबर, 2025 के बीच की गई एडवांस बुकिंग के डेटा की जांच की। जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस अवधि में हुई कुल 83,000 बुकिंग में से 12,800 स्लॉट इन्हीं आरोपियों ने बुक किए थे, जो कुल परमिट का लगभग 15% हिस्सा है।

आरोप है कि वे सप्ताह के सामान्य दिनों (weekdays) के परमिट को दो से तीन गुना कीमत पर बेचते थे, जबकि सप्ताहांत (weekends) और छुट्टियों के परमिट से और भी ज़्यादा मुनाफा कमाते थे। पुलिस को पता चला है कि परमिट की यह कालाबाजारी कम से कम नौ अलग-अलग फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से की जा रही थी। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह घोटाला गिर जंगल सफारी और देवलिया पार्क सफारी, दोनों में चल रहा था।

रैकेट इतने लंबे समय तक कैसे चलता रहा?

जासूस निरीक्षक एनडी इंगरोडिया ने आरोपियों के तौर-तरीकों पर प्रकाश डालते हुए बताया, “इन आरोपियों ने सफारी बुकिंग के लिए नौ फर्जी वेबसाइटें बनाई थीं, जिनके नाम असली वेबसाइट से मिलते-जुलते थे ताकि पर्यटक आसानी से धोखा खा जाएं।”

जब पर्यटक इन फर्जी साइटों पर बुकिंग करते थे, तो वे अपनी सारी जानकारी वहां दर्ज कर देते थे। आरोपी इसी जानकारी का इस्तेमाल सरकारी वेबसाइट पर बुकिंग के लिए करते थे। एक बार जब वे पर्यटकों से दोगुनी या तिगुनी रकम वसूल लेते, तो उन्हें असली ई-परमिट की PDF फाइल भेज देते थे।

जब यह सवाल पूछा गया कि बुकिंग को सत्यापित करने के लिए कोई दूसरी जांच क्यों नहीं थी, तो इंगरोडिया ने बताया, “जब पर्यटक सफारी के लिए साइट पर पहुंचते थे, तो वहां आरोपियों के एजेंट पहले से ही उनका इंतजार कर रहे होते थे। वे पर्यटकों से ई-परमिट लेकर वाहन और गाइड की बुकिंग की व्यवस्था कर देते थे। इसका मतलब यह था कि असली पर्यटक शायद ही कभी डेस्क पर मौजूद कर्मचारियों से सीधे संपर्क में आते थे, और शायद इसी वजह से यह रैकेट इतने लंबे समय तक चलता रहा।”

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

हालांकि FIR 10 अक्टूबर को दर्ज की गई, लेकिन अधिकारियों को सितंबर के अंत में ही कुछ गड़बड़ी का अंदेशा हो गया था। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “सासन में तैनात उप वन संरक्षक (DCF) को 25 से 30 सितंबर के बीच कुछ गड़बड़ी का एहसास हुआ, जब बहुत सारी थोक बुकिंग हो रही थी। हमें सतर्क किया गया और हमने तुरंत इस संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए बुकिंग वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया। इसके बाद हमने स्थानीय पुलिस को सूचित किया, जहां से यह मामला गांधीनगर में साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को सौंप दिया गया।”

जूनागढ़ वन्यजीव सर्कल के वन संरक्षक डॉ. राम रतन नाला ने अपील की, “मैं सभी भावी पर्यटकों से यह सुनिश्चित करने की अपील करता हूं कि वे गिर सफारी इकोसिस्टम की सही वेबसाइट – girlion.gujarat.gov.in – पर ही जाएं, ताकि वे ठगी से बच सकें और केवल सरकार द्वारा निर्धारित राशि का ही भुगतान करें।”

सफारी परमिट की आधिकारिक दरें

  • गिर जंगल सफारी: एक ई-परमिट पर अधिकतम 6 वयस्क और 13 साल से कम उम्र का एक बच्चा जा सकता है। सामान्य दिनों में भारतीयों के लिए इसका शुल्क ₹900 और विदेशियों के लिए ₹8,200 है। सप्ताहांत और छुट्टियों में यह शुल्क भारतीयों के लिए ₹1,125 और विदेशियों के लिए ₹10,250 हो जाता है।
  • देवलिया पार्क जिप्सी सफारी: इसके रेट भी गिर जंगल सफारी के समान हैं।
  • देवलिया पार्क बस सफारी: सामान्य दिनों में इसका ई-परमिट भारतीयों के लिए ₹150 और विदेशियों के लिए ₹3,280 है। सप्ताहांत में यह बढ़कर भारतीयों के लिए ₹190 और विदेशियों के लिए ₹4,100 हो जाता है।

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