नई दिल्ली: सोने की कीमतों में हालिया रिकॉर्ड तोड़ तेज़ी के बाद अब भारी गिरावट देखने को मिल रही है। सोमवार (27 अक्टूबर, 2025) को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। MCX पर सोने का हाजिर भाव (Spot Price) 4.92% लुढ़क गया, जो 24 अक्टूबर को 1,26,854 रुपये प्रति 10 ग्राम से घटकर 1,20,909 रुपये पर आ गया।
हालांकि, MCX पर वायदा बाजार में मंगलवार (28 अक्टूबर, 2025) को हल्की रिकवरी देखी गई। दिसंबर डिलीवरी वाला सोना, जो एक दिन पहले 1.55% टूटा था, आज सुबह 11:43 बजे 1,21,043 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। इसके बावजूद, साप्ताहिक आधार पर इसमें लगभग 3.90% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
11 दिनों में 8% से ज्यादा टूटा सोना
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के आँकड़े भी इस गिरावट की पुष्टि करते हैं। IBJA के अनुसार, मंगलवार को विभिन्न शुद्धता वाले सोने की कीमतें गिरकर 11,916 रुपये प्रति ग्राम पर आ गईं, जबकि 27 अक्टूबर को यह 12,108 रुपये प्रति ग्राम थीं।
यदि हम पिछले 11 दिनों के डेटा को देखें, तो 17 अक्टूबर को 12,958 रुपये प्रति ग्राम बिकने वाला 999 शुद्धता का सोना आज (28 अक्टूबर) तक 8.04% सस्ता हो चुका है।
इस गिरावट का असर वैश्विक बाजार पर भी दिखा। अमेरिकी सोना वायदा (US Gold futures) सोमवार को 2.04% की गिरावट के साथ $4,053.46 पर बंद हुआ। अमेरिकी बाजार में एक सप्ताह के भीतर यह 7% से अधिक की गिरावट है।
निवेशकों के लिए मौका या मायूसी?
इतने कम समय में आई इस भारी गिरावट ने कई निवेशकों के पोर्टफोलियो को तगड़ा झटका दिया है। हालांकि, जो लोग सोने की कीमतों में सुधार (Price Correction) का इंतजार कर रहे थे, उनके लिए यह एक शानदार मौका भी हो सकता है।
लेकिन सवाल उठता है कि सोने की कीमतों में इस गिरावट की वजह क्या है? क्या निकट भविष्य में यह उबर पाएगा? ऐसी स्थिति में निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या यह एकमुश्त (Lump Sum) निवेश का सही समय है या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का?
आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय।
सोने के दाम गिरने के पीछे क्या कारण हैं?
अरिहंत कैपिटल मार्केट्स की मुख्य रणनीति अधिकारी, श्रुति जैन का कहना है कि सोने की कीमतों में हालिया गिरावट मुख्य रूप से मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण है, जो येन के मुकाबले दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा, अमेरिका-चीन के बीच कम होते व्यापारिक तनाव और रिकॉर्ड तोड़ तेजी के बाद निवेशकों द्वारा की गई मुनाफावसूली (Profit Booking) भी इसका बड़ा कारण है।
एनपीवी एसोसिएट्स एलएलपी की सीए फोरम नाइक सेठ (केएमपी, वेल्थ मैनेजमेंट सॉल्यूशंस) बताती हैं कि मजबूत बॉन्ड यील्ड (Bond Yields) और शानदार रैली के बाद मुनाफावसूली अन्य कारक हैं। फोरम कहती हैं, “घरेलू स्तर पर, त्योहारी सीजन का अंत, रुपये में हल्की मजबूती और आरबीआई द्वारा सोने की खरीद में कमी ने भी गिरावट में योगदान दिया है।”
क्या निकट भविष्य में सोने की कीमतें संभलेंगी?
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की उपाध्यक्ष और एस्पेक्ट ग्लोबल वेंचर्स की कार्यकारी अध्यक्ष, अक्शा कंबोज का मानना है कि अल्पावधि (Short Term) में आउटलुक थोड़ा प्रतिकूल है, लेकिन मध्यावधि (Medium Term) में रिबाउंड की संभावना है। कंबोज ने कहा, “अल्पावधि में, आउटलुक थोड़ा प्रतिकूल है क्योंकि हाल की रैलियां कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थीं, इसलिए कई निवेशक बाजार के स्थिर होने या मामूली गिरावट की उम्मीद कर रहे होंगे। हालांकि, मध्यम अवधि का फीडबैक रिबाउंड की संभावना का सुझाव देता है।”
श्रुति जैन का कहना है कि हालिया सुधार के बावजूद, केंद्रीय बैंकों की खरीद, मजबूत मांग और निरंतर व्यापक आर्थिक जोखिमों (Macroeconomic Risks) के दम पर सोने को लेकर ‘सतर्क आशावाद’ (Cautious Optimism) है।
जैन कहती हैं, “अगली तिमाही में सोना एक दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है और अस्थिरता (Volatility) बनी रहेगी। मौजूदा गिरावट एक स्वस्थ सुदृढीकरण (Healthy Consolidation) है, जो होनी ही थी, और यह तेजी के बाजार (Bull Market) का उलटफेर नहीं लगता है। केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने का संग्रह, राजकोषीय घाटा, भू-राजनीतिक जोखिम और डी-डॉलराइजेशन (De-dollarisation) के रुझान के दम पर सोने का दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है।”
निवेशकों को इस गिरावट पर क्या कदम उठाना चाहिए?
फोरम नाइक सेठ की सलाह है कि मौजूदा निवेशकों को घबराहट में बिकवाली (Panic Selling) से बचना चाहिए और इस अवधि का उपयोग पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित (Rebalancing) करने के लिए करना चाहिए।
सेठ कहती हैं, “अगर सोना पोर्टफोलियो का 15-20% से अधिक हो गया है, तो उन्हें अपनी होल्डिंग कम करनी चाहिए; अन्यथा, इसे बनाए रखना चाहिए।” वह नए निवेशकों को मौजूदा स्थिति को खरीदारी के अवसर के रूप में देखने की सलाह देती हैं, लेकिन साथ ही कहती हैं कि वे छोटी किश्तों या एसआईपी के जरिए खरीदारी करें, क्योंकि गिरावट कुछ महीनों तक बढ़ सकती है।
श्रुति जैन भी पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने पर जोर देती हैं। वह कहती हैं, “नए निवेशकों के लिए, उच्च अस्थिरता को देखते हुए, खरीद के समय के जोखिम (Timing Risk) को कम करने के लिए एसआईपी का उपयोग करके अपने निवेश को बांटना (Stagger) चाहिए।”
अभी एकमुश्त निवेश बेहतर है या SIP?
अक्शा कंबोज कहती हैं कि इस समय सोने में एकमुश्त निवेश जोखिम भरा हो सकता है। “मौजूदा अनिश्चितता और निकट अवधि की अस्थिरता को देखते हुए, नए निवेशकों के लिए एसआईपी-प्रकार का निवेश अधिक उपयुक्त है क्योंकि यह एंट्री पॉइंट्स का औसत (Averaging) और टाइमिंग जोखिम में कमी प्रदान करता है।”
प्राइम वेल्थ फिनसर्व के सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक, चक्रिवर्धन कुप्पाला कहते हैं कि एसआईपी निवेश समय के साथ जोखिम को फैलाता है। “एकमुश्त निवेश तब काम करता है जब समय सही हो, लेकिन ऐसा करना मुश्किल है। कोई भी गारंटीशुदा बेहतर नहीं है – यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि कोई अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के साथ ठीक है या धीरे-धीरे शुरुआत करना पसंद करता है,” चक्रिवर्धन ने कहा।
फोरम नाइक सेठ का कहना है कि लंबी अवधि (8-10+ वर्ष) का नजरिया रखने वाले निवेशक एकमुश्त निवेश कर सकते हैं। हालांकि, वह मानती हैं कि अधिकांश खुदरा निवेशकों के लिए, खरीद लागत को औसत करने और टाइमिंग जोखिम को कम करने के लिए सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) ही सलाह दी जाती है।
फिजिकल गोल्ड, ETF या गोल्ड म्यूचुअल फंड: कहाँ करें निवेश?
निवेश कैसे करें, इस पर चक्रिवर्धन कुप्पाला कहते हैं कि फिजिकल (भौतिक) सोना खरीदना जाना-पहचाना लगता है, लेकिन इसमें मेकिंग चार्ज और स्टोरेज जैसी अतिरिक्त लागतें आती हैं। “ईटीएफ (ETFs) रीयल-टाइम कीमतें दिखाते हैं और इन्हें खरीदना-बेचना आसान होता है। गोल्ड म्यूचुअल फंड भी यही काम करते हैं लेकिन उन्हें डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती,” चक्रिवर्धन ने बताया।
श्रुति जैन और फोरम नाइक सेठ, दोनों ही निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड के जरिए सोने में निवेश करने की सलाह देती हैं।
अक्शा कंबोज इस पर निष्कर्ष देते हुए कहती हैं कि फिजिकल गोल्ड का अभी भी भावनात्मक और पारंपरिक मूल्य है लेकिन इसकी लागत अधिक है और लिक्विडिटी (तरलता) कम है।
कंबोज ने कहा, “हालिया बाजार सुधार के दौरान, गोल्ड ईटीएफ सबसे सुविधाजनक और लागत प्रभावी निवेश विकल्प हैं, जो लचीलापन, लिक्विडिटी और छोटी इकाइयों में खरीदने की सुविधा प्रदान करते हैं। कुल मिलाकर, वर्तमान में निवेशकों के लिए ईटीएफ पहुंच, लागत और बाजार के अवसर के बीच बेहतरीन संतुलन बनाते हैं।”
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