अहमदाबाद: गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने सोमवार को विसावदर और कडी उपचुनाव में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
जब तक नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक विधायक शैलेश परमार को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गोहिल का इस्तीफा विसावदर और कडी उपचुनाव के परिणाम घोषित होते ही आया है। विसावदर में कांग्रेस महज 5,501 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही और अपनी जमानत गंवा बैठी। वहीं कडी में 150 साल पुरानी पार्टी को करीब 35,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा, हालांकि दोनों सीटें पहले से कांग्रेस के पास नहीं थीं।
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गुजरात से राज्यसभा सांसद गोहिल ने अहमदाबाद स्थित राजीव गांधी भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने पूरा जोर लगाया, लेकिन हार बताती है कि कहीं न कहीं उनकी ओर से कमी रह गई है। इसीलिए वह अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।
गोहिल ने सोशल मीडिया पर इस्तीफे की घोषणा करते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेतृत्व को धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, “कार्यकर्ताओं ने मेहनत से लड़ाई लड़ी है, इसका पूरा श्रेय उन्हें जाता है, लेकिन हार की जिम्मेदारी मेरी है और मैंने इस्तीफा दे दिया है।”
गोहिल ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस्तीफा भेज दिया है और नए अध्यक्ष की नियुक्ति तक की व्यवस्था के बारे में अवगत करा दिया है।
गोहिल ने कहा, “नतीजे हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं आए।”
गुजरात कांग्रेस में चल रहे सांगठनिक बदलाव पर असर के सवाल पर गोहिल ने कहा कि इस इस्तीफे से पुनर्गठन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। “मैं कहीं जा नहीं रहा, एक अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस के लिए काम करता रहूंगा,” उन्होंने कहा।
हाल ही में जिला स्तर पर नेतृत्व में बदलाव किए गए थे। अप्रैल में अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी ने इस बदलाव की घोषणा की थी। इसके बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने 2025 को “संगठन सुधार का वर्ष” घोषित किया था।
गोहिल जून 2023 में गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बने थे, ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।
सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के बाद भी गोहिल ने इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की थी।
हाल ही में कांग्रेस नेता और वडगाम विधायक जिग्नेश मेवाणी ने राज्य में दलित उत्पीड़न के मामलों में पार्टी नेताओं के रवैये पर नाराजगी जाहिर की थी, लेकिन दोनों मामलों में उत्पीड़न साबित नहीं हुआ था।
मेवाणी इस बात से भी नाराज थे कि पार्टी ने उन नेताओं पर कार्रवाई नहीं की जो पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे।
राहुल गांधी ने अपनी हालिया यात्राओं में साफ किया था कि ऐसे नेताओं की पार्टी में कोई जगह नहीं होगी।
गोहिल के इस्तीफे से राज्य में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को झटका लगा है।
गोहिल का हमेशा एक साफ-सुथरी छवि रही है। वह गुजरात के पूर्व मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में लोक लेखा समिति के सदस्य हैं।
उन्होंने कहा, “मैं कभी किसी पद के पीछे नहीं भागा। 1994 में भी, जब मेरी विधानसभा सीट पर मेडिकल कॉलेज नहीं बना, तब मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि मुझे नैतिक जिम्मेदारी का एहसास था।”
गोहिल ने कहा कि बदलाव जीवन का स्थायी तत्व है और वह नए प्रदेश अध्यक्ष के तहत एक कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करने के लिए तत्पर हैं।
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