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गुजरात के जोड़े को प्रेम की सजा “सामूहिक बहिष्कार ” के तौर पर मिली

| Updated: February 12, 2022 14:35

गांव ने किसी तरह के संबंध रखने पर 25 हजार का जुर्माना घोषित कर दिया , इस जुर्माने का असर इतना व्यापक रहा की जीवन एकांगी होकर रहा गया . गांव की मंडली से दूध मिलना बंद हो गया , कोई दुकानदार पैसा होने के बावजूद कोई सामान देने के लिए तैयार नहीं है

प्रेम सुनना जितना मधुर है ,करना उतना कठिन | जमाना कोई भी हो , समाज नाम की जो संस्था है उसका और इस मधुर शब्द की दुश्मनी कब से है , यह शोधार्थियों के माथे पर भी पसीना ला लेता है.

अगर विजातीय प्रेम हो तो कोढ़ में खाज की स्थिति बन जाती है |

“वैलेंटाइन डे ” के पहले जब प्रेम युक्त पोस्टरों से मोबाइल की गैलरी भरी हुयी है , कई प्रेमी जोड़े अपने प्रेम को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ,संघर्ष अपने परिवार से ,अपने गांव से , अपने समाज से , अपने लोगों से |

प्रेम के इस संघर्ष में संविधान कहीं कोने में सिसकता नजर आता है , उसका कद , सामाजिक मान्यताओं के आगे बौना साबित होता है |

अनुच्छेद ,धारा ,उपधारा मोटी किताब से निकल कर मानसिकता तक का सफर तय ही नहीं कर पाती |


मेहसाणा जिले का एक युवा दम्पति इन्हीं सवालों से जूझ रहा है ,उसका गुनाह प्रेम करना था | प्रेम ने उसकी जिंदगी में तूफान ला दिया , इस तूफान के भवर में वह ऐसा फसा की सबने उसे दूर कर दिया |

कुछ यूँ बदल गयी जिंदगी


मेहसाणा के पुद गांव के विज्ञान के छात्र विश्वास साथवारा पर गांव को नाज था , गाँव के पटेल उसे वैज्ञानिक बनाने के लिए सभी खर्च उठाने को तैयार थे, सब की चाह थी कि मयूर गांव का पहला वैज्ञानिक बनेगा |

वही मयूरी समाज कार्य में स्नाकोत्तर( MSW) किया है , इसलिए लोंगो की मदद करना उसका स्वाभाव बन गया था , अपनी पढाई का वह सही उपयोग कर रही थी |

पूरा गांव मयूरी और विश्वास पर गौरान्वित था | लेकिन प्रेम के उद्दीपक ने कुछ ऐसा असर दिखाया की समीकरण ही विपरीत हो गए | मयूरी और विश्वास के बीच प्रेम हो गया , लेकिन कोरोना के कारण लगे प्रतिबंध ने उनके मिलने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया , लेकिन जो प्रतिबंध को मान ले वह प्रेमी की कैसा के मूलसूत्र पर अमल करते हुए दोनों ने मिलना जारी रखा।

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लेकिन पकडे गए , गांव में हंगामा मच गया ,दोनों भाग कर शादी कर ली | एक महीने बाहर रहे। फिर गांव वालों ने कहा की यदि लड़की तैयार तो हम स्वीकार कर लेंगे , लेकिन गांव में पहुंचने पर ऐसी हालत नहीं थी , गांव वाले दोनों को मारने के लिए तैयार हो गए। लेकिन पढाई और पुलिस दोनों काम आ गयी।

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मयूरी ने महिला हेल्पलाइन में फ़ोन कर पुलिस बुला ली ,पुलिस समय पर आकर बचा लिया ,लेकिन गांव का मामला होने के कारण कोई शिकायत दर्ज नहीं की गयी।

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अब गांव का संविधान शुरू होता है जो संसद के संविधान पर भारी है , गांव ने किसी तरह के संबंध रखने पर 25 हजार का जुर्माना घोषित कर दिया , इस जुर्माने का असर इतना व्यापक रहा की जीवन एकांगी होकर रहा गया ,. , सब्जी जैसी छोटी चीज के लिए भी मेहसाणा तक जाना पड़ता है , बिना दूध के चाय पीनी पड़ती है , हद तो तब हो जाती है जब खेत के लिए पानी भी मिलना बंद हो गया।

सरपंच से भी गुहार लगायी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 25000 जुर्माने की बड़ी रकम है , ऊपर से सामाजिक बहिष्कार का डर ,इसलिए कोई इस सामाजिक बहिष्कार का उल्लंघन करने को तैयार नहीं |

जिला अधिकारी ने किया रक्षा करने का वादा


लेकिन उम्मीद की एक किरण इस प्रेमी जोड़े को मिली मेहसाणा जिलाधिकारी उदित अग्रवाल से | मेहसाणा कलेक्टर उदित अग्रवाल ने कहा, “परिवार मेरे पास आया।”

उदित अग्रवाल, मेहसाणा कलेक्टर

“दोनों वयस्क हैं, उन्हें शादी करने का अधिकार है इसलिए मैंने उनकी रक्षा करने का वादा किया है।”

“जिला पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। गांव में परिवार को बहिष्कृत करना उचित नहीं है, इसलिए दोनों समुदायों के बीच मध्यस्थता करने और कानून व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए एक सामाजिक न्याय अधिकारी को गांव भेजा गया है। ‘ उम्मीद करते हैं यंहा संविधान काम करेगा जिलाधिकारी की संलिप्तता के कारण इस प्रेमी जोड़े का भी वैलेंटाइन डे अच्छा गुजरेगा | वह भी खुशनुमा माहौल में एक दुसरे को कह सकेंगे ” हैप्पी वैलेंटाइन दे “

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