दुर्लभ दृश्य: नदाबेट में दिखा मिस्र का हंस

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दुर्लभ दृश्य: नदाबेट में दिखा मिस्र का हंस

| Updated: January 9, 2023 12:57

अहमदाबाद: हाल ही में गुजरात के कच्छ क्षेत्र के नदाबेट में एक प्रवासी पक्षी (migratory bird) मिस्र के हंस (Egyptian goose) को देखा गया। पक्षी (एलोपोचेन इजिप्टियाका) दरअसल बत्तख, हंस और हंस परिवार एनाटिडे (Anatidae) का एक सदस्य है। इसे पक्षी विज्ञानी (ornithologists) तेजल शाह और कुणाल नाइक ने अचानक देखा।

पूर्व वन अधिकारी और पक्षी विज्ञानी उदय वोरा ने कहा, “यह शायद पहली बार है कि मिस्र के हंस को देश में देखा गया है, क्योंकि भारत के किसी भी हिस्से में इसकी उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड नहीं है।”

वोरा ने कहा कि शाह और नाइक उस क्षेत्र की नियमित यात्रा पर थे। तभी उन्होंने हवासील (pelicans) के एक समूह में एक अजीब पक्षी देखा। वोरा ने कहा, “शाह ने अपनी दूरबीन निकाली और करीबी जांच से पता चला कि पक्षी वास्तव में मिस्र का हंस था।” वोरा ने कहा, अन्य पक्षी प्रेमियों ने भी इसकी पुष्टि की है। पक्षी अफ्रीका, सहारा के दक्षिण और नील घाटी का मूल निवासी है। मिस्र के हंस को प्राचीन मिस्रवासियों द्वारा पवित्र माना जाता था और उनकी कई कलाकृतियों में इसे चित्रित भी किया गया है।

एक काले धब्बे, गुलाबी टांगों और पूरी तरह ग्रे और बफी पंखों से घिरी पीली आंखें पक्षी की प्रमुख पहचान हैं। आमतौर पर ये पक्षी जोड़े या परिवार में साथ पाए जाते हैं और तैरते हुए या किनारे पर चरते समय भोजन करते हैं। इस प्रजाति में नर औसतन थोड़े बड़े होते हैं।

अधिकारियों ने कहा कि प्रजनन (breeding) न करते हुए पक्षी कभी-कभी सहेल के शुष्क क्षेत्रों में उत्तर की ओर लंबे समय तक प्रवास करते हैं। यह ग्रेट ब्रिटेन, डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी और इटली तक फैला हुआ है। यह एक स्थलीय प्रजाति (terrestrial species) है, जो पेड़ों और इमारतों पर भी आसानी से बसेरा कर सकती है। मिस्र के हंस आमतौर पर बीज, पत्ते, घास और पौधे के तने खाते हैं। कभी-कभी वे टिड्डियां, कीड़े, या अन्य छोटे जानवर भी खा लेते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि हौबारा बस्टर्ड को लगातार दो महीने नवंबर और दिसंबर में नालसरोवर पक्षी अभयारण्य (Nalsarovar Bird Sanctuary) में देखा गया था। बर्डवॉचर्स ने दो ऐसे पक्षियों को देखा।

हाउबारा बस्टर्ड सर्दियों के दौरान मध्य पूर्व में अपने प्रजनन क्षेत्रों से भारत में प्रवास (migrate) करते हैं। होबारा के अलावा पक्षि विज्ञानियों ने 2021 में नलसरोवर में लाल स्तन वाले हंस (red-breasted goose) और मारब्लेड चैती (marbled teal) को भी देखा।

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