अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अदालत की अवमानना के मामले में एक व्यक्ति पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया। यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब वह पिछले महीने वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिगरेट पीते हुए पकड़ा गया।
अवमानना का दोषी पाया गया व्यक्ति विश्वा वर्सानी है, जिसने जीएसटी इनपुट क्रेडिट से जुड़े एक कथित अपराध में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। वह 11 मार्च को न्यायमूर्ति एच. डी. सुथार की अदालत में वर्चुअल माध्यम से पेश हुआ था और सुनवाई के दौरान सिगरेट पीते हुए दिखाई दिया।
अदालत ने वर्सानी के इस व्यवहार पर कड़ा ऐतराज जताया। आदेश में कहा गया, “यह अदालत प्रारंभिक रूप से मानती है कि श्री विश्वभाई जयंतिलालभाई वर्सानी की यह मुद्रा और हावभाव न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले हैं और इससे संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है। यह आचरण पूर्णतः जानबूझकर, सोच-समझकर और उद्देश्यपूर्ण रूप से किया गया है, जो गुजरात उच्च न्यायालय (कोर्ट कार्यवाही के लाइव स्ट्रीमिंग) नियम, 2021 का उल्लंघन है।”
न्यायमूर्ति सुथार ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया। शुक्रवार को न्यायमूर्ति ए. एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति निशा ठकारे की पीठ ने वर्सानी के खिलाफ आरोप तय करते हुए कहा, “आपका यह कृत्य न्यायालय की छवि को धूमिल करने वाला है। आपको यह स्पष्ट करना होगा कि आपके खिलाफ अदालत की गरिमा को ठेस पहुँचाने के लिए कार्रवाई क्यों न की जाए।”
वर्सानी के वकील ने अदालत को बताया कि वह एक पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित है और उसका उद्देश्य अदालत का अपमान करना नहीं था। उसे यह भ्रम था कि वह स्क्रीन पर दिखाई नहीं दे रहा है। वर्सानी ने तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
अदालत ने कहा, “अवमाननाकर्ता ने सिगरेट पीने के अपने आचरण को स्वीकार कर लिया है, अतः अब किसी अन्य कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।” अदालत ने 50,000 रुपए का जुर्माना लगाते हुए निर्देश दिया कि यह राशि दो सप्ताह के भीतर गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कराई जाए।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुचित व्यवहार देखा गया हो। पिछले महीने, न्यायमूर्ति एम. के. ठक्कर ने दो याचिकाकर्ताओं को वर्चुअल अदालत में “अशोभनीय तरीके” से पेश होने पर दंडित किया था।
एक व्यक्ति, धवल पटेल, ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान शौचालय से जुड़कर अदालत की अवमानना की, जिसके लिए उसे 2 लाख रुपए का जुर्माना भरने और हाईकोर्ट के बागानों की सफाई के रूप में दो सप्ताह की सेवा करने का आदेश दिया गया। वहीं, वामदेव गढ़वी को बिस्तर पर लेटे हुए सुनवाई में शामिल होने पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
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