सोशल मीडिया में महावीर भारद्वाज का एक वीडियो इन दिनों वायरल हुआ है। इसमें उन्होंने कहा है, ‘‘संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति (एसएचएसएस) पिछले चार साल से सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाने के लिए काम कर रही है। यह मुद्दा अब जन आंदोलन में तब्दील हो गया है। इमाम संगठन और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने अब सहमत हैं और मीडिया के सामने घोषणा की है कि गुरुग्राम में खुले स्थानों पर नमाज नहीं अदा की जाएगी। ’’
भारद्वाज एसएचएसएस के हरियाणा राज्य प्रमुख हैं, जो विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल सहित विभिन्न दक्षिणपंथी हिंदू समूहों का स्तंभ निकाय है।
यदि कोई भारद्वाज के कहे के अनुसार जाता है, तो ऐसा प्रतीत होता है कि गुरुग्राम में खुले स्थानों पर नमाज अदा करने का विवाद, जिसने सितंबर से कई प्रार्थना स्थलों पर अशांति देखी है, सुलझ गया है।
क्या गुरुग्राम के मुसलमान खुले में नमाज नहीं पढ़ने को ‘सहमत’ हैं? यह ध्यान देने योग्य है कि एमआरएम नामक जिस संगठन को लेकर भारद्वाज दावा करते हैं, खुले स्थानों में नमाज नहीं अदा करने के लिए सहमत हो गया है, वास्तव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ही एक शाखा है।
इसका गठन 2002 में तत्कालीन आरएसएस प्रमुख केएस सुदर्शन ने किया था। एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक खुर्शीद रजाक ने 10 दिसंबर को प्रशासन और दक्षिणपंथी समूहों के साथ बैठक के बाद मीडिया को संबोधित किया था। कहा था कि विवाद के कारण निर्धारित स्थानों पर नमाज नहीं अदा की जाएगी।
इसके अलावा, इस बैठक में शामिल रहे इमाम संगठन ने वक्फ बोर्ड से संबंधित छह स्थानों की एक सूची देकर उन्हें अस्थायी तौप पर ही सौंप देने की मांग की थी, जब तक उन्हें पूरी तरह नहीं वापस कर दी जाती।
हालांकि, दो दिन बाद ही गुरुग्राम मुस्लिम काउंसिल (जीएमसी) ने कथित “समाधान” की निंदा की और जिलाधिकारी यश गर्ग के कार्यालय में जाकर विरोध दर्ज कराया। लगभग 100 लोगों के साथ गर्ग को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें समझौते को “बिल्कुल धोखाधड़ी” कहा। जीएमसी ने “आरएसएस समर्थित संगठन” के रूप में एमआरएम की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए।