नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में किए गए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि सिंधु नदी प्रणाली का कोई भी जल पाकिस्तान की ओर न जाए।
जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार जल के अपव्यय को रोकने और पाकिस्तान की ओर जल प्रवाह को पूरी तरह से बंद करने के लिए अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक तीन स्तरों पर योजना बना रही है। उन्होंने कहा, “एक भी बूंद पानी बर्बाद नहीं होने दी जाएगी।”
सूत्रों के अनुसार, सरकार सिंधु नदी बेसिन में स्थित बांधों की जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है।
सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तान को इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना जारी की, जिसमें बताया गया कि सिंधु जल संधि को “स्थगन की स्थिति” में रखा गया है। इसका मतलब है कि संधि के सभी प्रावधान — जैसे कि भारत और पाकिस्तान के जल आयुक्तों के बीच बैठकें, आंकड़ों का आदान-प्रदान और नई परियोजनाओं की पूर्व सूचना — अब प्रभावी नहीं रहेंगे।
इस निर्णय के साथ भारत अब उन नदियों पर परियोजनाएं शुरू करने के लिए पाकिस्तान की सहमति या परामर्श का मोहताज नहीं होगा।
भारत की जल संसाधन सचिव देबाशीष मुखर्जी द्वारा पाकिस्तान को भेजे गए पत्र में कहा गया, “किसी भी संधि को ईमानदारी से निभाना आवश्यक होता है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर में लगातार सीमापार आतंकवाद ने भारत के संधि के अंतर्गत मिलने वाले अधिकारों में बाधा पहुंचाई है।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: “युद्ध की कार्यवाही” करार
भारत के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने को खारिज किया और चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान के हिस्से का जल रोका गया तो इसे “युद्ध की कार्यवाही” माना जाएगा।
गौरतलब है कि यह संधि वर्ष 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में 9 वर्षों की बातचीत के बाद हस्ताक्षरित हुई थी। इसके तहत भारत को सतलज, ब्यास और रावी जैसी पूर्वी नदियों पर अधिकार दिया गया, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों का जल मिला। औसतन 135 मिलियन एकड़ फीट (MAF) जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया था।
हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, इस संधि में किसी भी पक्ष द्वारा एकतरफा निलंबन की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है।
कूटनीतिक मोर्चे पर भी कड़ा रुख
संधि निलंबन के साथ-साथ भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अन्य कठोर कदम भी उठाए हैं। इनमें पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा रद्द करना, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को निष्कासित करना, अटारी भूमि सीमा और चुंगी चौकी को तत्काल बंद करना, और राजनयिक मिशनों का आकार घटाना शामिल है।
पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था पर गंभीर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के इस कदम से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। विशेष रूप से फसल के महत्वपूर्ण मौसमों के दौरान जल प्रवाह और जल संबंधी आंकड़ों के अभाव में पाकिस्तान को खाद्य उत्पादन और जल प्रबंधन में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चली आ रही सिंधु जल संधि के इस तरह निलंबित होने से दोनों देशों के संबंधों में एक नया और गंभीर मोड़ आ गया है, जिसका क्षेत्रीय स्थिरता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
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