अहमदाबाद स्थित वीएस अस्पताल में कथित अवैध ड्रग ट्रायल घोटाले ने न सिर्फ हजारों गरीब मरीजों का भरोसा तोड़ा है, बल्कि अस्पताल प्रशासन, चिकित्सा नैतिकता और सरकारी निगरानी तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार यह पूरा मामला लालच, नैतिक मूल्यों की कमी और नियमों की खुली मनमानी से जुड़ा हुआ है।
अहमदाबाद नगर निगम (AMC) के विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि 2021 से 2024 के बीच वीएस अस्पताल में फार्मा कंपनियों को नियमों के विरुद्ध बेहद कम दर पर ड्रग ट्रायल करने की अनुमति दी गई। जहां नियमानुसार कंपनियों को कुल खर्च का 40% “स्थापना शुल्क” देना होता है, वहां अस्पताल अधिकारियों ने केवल 10% शुल्क लिया। आरोप है कि शेष 30% में से मोटी रकम अधिकारियों ने निजी तौर पर हड़प ली।
एक वरिष्ठ एएमसी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “इस तरह फार्मा कंपनियों ने करोड़ों रुपये की बचत की। इनमें से कुछ राशि नकद या बैंक ट्रांसफर के जरिए डॉक्टरों और अधिकारियों को रिश्वत के रूप में भी दी गई।”
कैसे हुई नैतिक समिति से दूरी
वीएस अस्पताल को 2021 में NHL मेडिकल कॉलेज की नैतिक समिति से अलग कर दिया गया था। इसके पीछे चिकित्सा शिक्षा ट्रस्ट (MET) का पुनर्गठन था, जो 2008 में एलजी अस्पताल, शारदाबेन अस्पताल और अन्य कॉलेजों को संचालित करने के लिए बनाया गया था। जबकि NHL मेडिकल कॉलेज इस ट्रस्ट के अधीन आ गया, वीएस अस्पताल बाहर ही रहा। जनवरी 2019 में एसवीपी अस्पताल की स्थापना हुई और NHL कॉलेज उससे जुड़ गया, जिससे वीएस अस्पताल पूरी तरह NHL की नैतिक निगरानी से बाहर हो गया।
इसी बदलाव का फायदा उठाकर वीएस अस्पताल में निजी फार्मा कंपनियों को ट्रायल की अनुमति दी गई।
निजी नैतिक समितियों से मंजूरी, SVP को किया नजरअंदाज़
AMC अधिकारियों का कहना है कि फार्मा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से, दवा परीक्षणों के लिए नियमों के मुताबिक मंजूरी तो ली गई, लेकिन पास के SVP अस्पताल की नैतिक समिति को दरकिनार कर 50 किलोमीटर के दायरे में मौजूद निजी नैतिक समितियों से अनुमति ली गई।
एक अधिकारी ने कहा, “SVP अस्पताल से मंजूरी ली जाती तो कंपनियों को 40% शुल्क देना पड़ता। लेकिन निजी समितियों से स्वीकृति लेकर अस्पताल में 58 क्लीनिकल ट्रायल्स कराए गए और कंपनियों को 30% तक का लाभ दिलाया गया।”
रिश्वत और मिलीभगत के गंभीर आरोप
सूत्रों को संदेह है कि MET के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे प्रकरण से भली-भांति अवगत थे और कई डॉक्टरों, ट्रस्ट अधिकारियों तथा दलालों ने मिलकर मोटी रिश्वतें लीं।
एक अंदरूनी सूत्र ने बताया, “कुछ कंपनियों ने कथित तौर पर डॉक्टरों, MET अधिकारियों और एजेंटों को भारी रकम देकर वीएस अस्पताल में अपने ट्रायल्स करवाए।”
यह मामला न केवल नैतिकता का हनन है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की गंभीर कमी को भी उजागर करता है।
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