अहमदाबाद के वी.एस. अस्पताल में हुए अवैध क्लीनिकल ट्रायल को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। आरोप है कि इस सरकारी अस्पताल में गरीब और भोले-भाले मरीजों को ‘गिनी पिग’ बना दिया गया और उन पर परीक्षण किए गए। अहमदाबाद नगर निगम (AMC) ने एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है जो यह जांच करेगी कि कैसे इन ट्रायल्स से करोड़ों रुपये डॉक्टरों की जेब में चले गए—बिना AMC को भनक लगे।
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2021 से 2024 के बीच कुल 58 क्लीनिकल ट्रायल हुए, जिनसे करीब 20 करोड़ रुपए की राशि 10 डॉक्टरों द्वारा कथित रूप से हड़पी गई।
AMC को केवल पैसों की पड़ी है, नैतिकता पर नहीं दे रहा ध्यान
चौंकाने वाली बात यह है कि AMC की जांच केवल आर्थिक अनियमितताओं तक सीमित है। यह समिति यह नहीं देखेगी कि ट्रायल किस तरह से हुए, क्या वे कानूनी थे, और क्या केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) व ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया।
AMC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि ट्रायल सही प्रोटोकॉल के अनुसार हुए या नहीं। यह काम मेडिकल विशेषज्ञों का है, जो हमारी समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। हम केवल पैसों की लेन-देन की जांच करेंगे।”
न एथिक्स कमेटी, न ज़िम्मेदारी, फिर भी हुए 58 ट्रायल
सबसे गंभीर बात यह है कि वी.एस. अस्पताल में ट्रायल के लिए ज़रूरी ‘एथिक्स कमेटी’ मौजूद ही नहीं थी। हालांकि SVP अस्पताल, जो उसी परिसर में स्थित है, के पास यह समिति थी। इसके बावजूद 58 ट्रायल वी.एस. अस्पताल में हुए—यह संकेत है कि दवा कंपनियों द्वारा तय समयसीमा में ट्रायल पूरे करने के लिए नियमों की अनदेखी की गई।
दस्तावेज़ गायब, जवाब अधूरे
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि सभी दस्तावेजों और मरीजों की सहमति पत्रों की जांच की जाए, तो कई अनियमितताओं का पर्दाफाश हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि जानबूझकर कई दस्तावेज़ों को छुपाया जा रहा है।
कोविड के बाद शुरू हुए अवैध ट्रायल
जनवरी 2019 में AMC ने वी.एस. अस्पताल परिसर में SVP अस्पताल की स्थापना की। इसके बाद वी.एस. के कई वरिष्ठ डॉक्टरों को SVP में स्थानांतरित कर दिया गया। 2020 में कोविड महामारी के दौरान वी.एस. अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया। 2021 के बाद केवल 500 बेड चालू थे, और वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी के कारण कई बेड खाली रहते थे। इसी दौरान अवैध क्लीनिकल ट्रायल शुरू हुए।
सीडीएससीओ और डीसीजीआई को भेजा गया ईमेल, लेकिन नहीं हुई पारदर्शिता
AMC के अनुसार, अस्पताल के अधीक्षक ने सीडीएससीओ और डीसीजीआई को वर्ष 2021 से 2024 के बीच हुए 58 ट्रायल की जानकारी ईमेल द्वारा दी थी। लेकिन यह सूचना भी सवालों के घेरे में है क्योंकि ना ही ट्रायल की वैधता की पुष्टि हो पाई है और ना ही नैतिकता की।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या AMC की जांच केवल पैसों तक सिमट कर रह जाएगी या फिर इन ट्रायल्स के पीछे छिपी सच्चाई भी कभी सामने आ पाएगी।
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