केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक बंद दरवाजे वाली सर्वदलीय बैठक में स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल में हुए आतंकी हमले में सुरक्षा चूक हुई है। इंडिया टुडे टीवी को सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बैठक के दौरान सत्ताधारी गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने विपक्ष से कहा, “अगर कुछ भी गलत नहीं हुआ होता, तो हम यहां क्यों बैठे होते? कहीं न कहीं चूक हुई है, जिसे हमें समझना और सुधारना होगा।”
यह बैठक उस भयावह आतंकी हमले के बाद बुलाई गई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में 26 लोगों की जान चली गई थी। मृतकों में अधिकांश पर्यटक थे। इस हमले ने देशभर में जन आक्रोश और राजनीतिक बहस को जन्म दिया है।
सुरक्षा व्यवस्था पर विपक्ष के तीखे सवाल
बैठक के दौरान कई विपक्षी दलों ने सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल उठाए। सूत्रों के अनुसार, नेताओं ने पूछा, “सुरक्षा बल कहां थे? केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) कहां थी?”
सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा एजेंसियों को सूचित किए बिना बाइसारन क्षेत्र को पर्यटकों के लिए खोल दिया था। यह क्षेत्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने तक आमतौर पर प्रतिबंधित रहता है।
हमले के बाद सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में देरी पर भी सवाल उठे। अधिकारियों ने बताया कि हमला जिस स्थान पर हुआ, वह मुख्य सड़क से 45 मिनट की ऊंची चढ़ाई पर स्थित है, और वहां तत्काल कार्रवाई के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) निर्धारित नहीं थी।
आतंक के खिलाफ एकजुटता का संदेश
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा कि सभी दलों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई है।
रिजिजू ने कहा, “सभी राजनीतिक दलों ने कहा कि वे आतंकवाद के खिलाफ सरकार के साथ हैं। उन्होंने एक स्वर में कहा कि सरकार जो भी कदम उठाएगी, वे उसका समर्थन करेंगे। बैठक सकारात्मक माहौल में संपन्न हुई।”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी इस बात की पुष्टि की कि विपक्ष ने सरकार को हरसंभव सहयोग देने का भरोसा दिलाया है।
राहुल गांधी ने कहा, “हर किसी ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की। विपक्ष ने इस हमले के जवाब में किसी भी आवश्यक कार्रवाई के लिए सरकार को पूरा समर्थन दिया है।”
बैठक में कौन-कौन हुआ शामिल?
यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू शामिल हुए।
संसद में प्रमुख नेताओं में राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी उपस्थित थे।
इसके अलावा बैठक में सुप्रिया सुले (एनसीपी-शरद पवार गुट), प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), सस्मित पात्र (बीजेडी), लवू श्री कृष्ण देवरा (टीडीपी), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), संजय सिंह (आप), सुदीप बंदोपाध्याय (टीएमसी), प्रेमचंद गुप्ता (राजद), टी. सिवा (डीएमके), और रामगोपाल यादव (सपा) भी मौजूद रहे।
यह बैठक राष्ट्रीय सुरक्षा संकटों के समय सर्वदलीय परामर्श की परंपरा का हिस्सा है, जैसा कि 2019 के पुलवामा हमले और 2020 में भारत-चीन सीमा तनाव के बाद भी देखा गया था।
यह भी पढ़ें- पहलगाम आतंकी हमले पर PM मोदी का तीखा वार – बोले, आतंकियों को मिलेगी कल्पना से परे सजा