नई दिल्ली: भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग के लिए यह साल मिले-जुले परिणाम लेकर आया है। एक तरफ जहाँ इसका सबसे बड़ा बाज़ार, संयुक्त राज्य अमेरिका, में भारतीय तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों (CPD) के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई है, वहीं दूसरी ओर संयुक्त अरब अमीरात (UAE), हॉन्ग कॉन्ग और यूनाइटेड किंगडम (UK) जैसे बाज़ारों ने इंडस्ट्री को एक नई उम्मीद दी है।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) द्वारा मंगलवार को जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में अमेरिका को होने वाले CPD निर्यात में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 53.62 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, जो $1,175 मिलियन डॉलर रही।
यह गिरावट अगस्त में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के बाद और तेज़ हो गई। गौरतलब है कि अमेरिका भारतीय रत्न एवं आभूषण का सबसे बड़ा खरीदार है और भारत के कुल निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा, यानी करीब $10 बिलियन, यहीं से आता है।
नए बाज़ारों ने बढ़ाई उम्मीदें
अमेरिका में मंदी के बावजूद, अन्य प्रमुख बाज़ारों ने भारतीय हीरा उद्योग को बड़ा सहारा दिया है। आँकड़ों के मुताबिक, सबसे ज़बरदस्त उछाल UAE के बाज़ार में देखने को मिला, जहाँ निर्यात 65.23 प्रतिशत बढ़कर लगभग $1,300 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
इसके बाद हॉन्ग कॉन्ग का बाज़ार रहा, जहाँ 18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ $2057 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ। वहीं, ब्रिटेन के बाज़ार ने भी 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की, जो $155.50 मिलियन डॉलर रही।
GJEPC के चेयरमैन, किरीट भंसाली ने बताया कि परिषद उद्योग की मदद के लिए “भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।”
उन्होंने कहा कि अमेरिकी बाज़ार में टैरिफ की स्थिति के कारण निर्यातकों को हो रहे नुकसान को देखते हुए GJEPC ने सरकार से कई राहत उपायों की सिफारिश की है। इनमें वर्किंग कैपिटल लोन पर ब्याज को टालना, प्री-शिपमेंट फाइनेंस में राहत, ब्याज़ समकारी योजना का विस्तार और प्रभावित MSMEs के लिए लिक्विडिटी सपोर्ट पैकेज शामिल हैं।
इंडस्ट्री में सुधार के संकेत
इन चुनौतियों के बावजूद, कुल रत्न एवं आभूषण निर्यात में अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच 3.66 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई और यह $14.09 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया, जबकि पिछले साल यह $13.60 बिलियन डॉलर था। अकेले सितंबर 2025 में कुल निर्यात में 6.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बाज़ार की धारणा में सुधार का संकेत है।
भंसाली ने इसे “इंडस्ट्री के लिए सुधार के उत्साहजनक संकेत” बताया और उम्मीद जताई कि आने वाले त्योहारी और शादी के सीजन में वैश्विक बाज़ारों में माँग और बढ़ेगी।
लैब-ग्रोन डायमंड्स और घरेलू बाज़ार की भूमिका
सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खुंट ने कहा, “हमने केवल अमेरिका पर भरोसा नहीं किया, हमने दूसरे देशों में व्यापार की संभावनाएँ तलाशीं और हमें सफलता मिली। हम नए बाज़ार खोजना जारी रखेंगे।”
उन्होंने यह भी बताया कि घरेलू बाज़ार में हीरे की खपत 5 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत से अधिक हो गई है, जिसमें लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) का बड़ा हिस्सा है। LGD उद्योग ने प्राकृतिक हीरा उद्योग में मंदी के दौरान कारीगरों को रोज़गार देकर दोनों उद्योगों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, वित्त वर्ष की पहली छमाही में LGD का निर्यात 7.99% घटकर $586.63 मिलियन डॉलर रहा।
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