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अमेरिका के हमलों के बाद ईरान संसद ने होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

| Updated: June 23, 2025 11:58

अमेरिकी हमलों के जवाब में ईरान के इस फैसले से वैश्विक अर्थव्यवस्था, तेल कीमतें और भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।

अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद ईरान की संसद ने होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, अंतिम निर्णय ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद लेगी, यह जानकारी संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के सदस्य मेजर जनरल कौसरी ने दी।

अगर ईरान वास्तव में इस जलडमरूमध्य को बंद करता है — जिससे वैश्विक दैनिक तेल खपत का लगभग 20% गुजरता है — तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा, तेल की कीमतें आसमान छूएंगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर हो सकती है।

यह तनाव उस समय बढ़ा है जब इस्राइल के गाजा और लेबनान में हमास और हिजबुल्लाह के साथ युद्ध, ईरान से चल रहे विवाद और सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के पतन के कारण बीते 20 महीनों से पश्चिम एशिया में अस्थिरता बनी हुई है।

होरमुज जलडमरूमध्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

होरमुज जलडमरूमध्य एक संकीर्ण लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। इसके उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान तथा संयुक्त अरब अमीरात स्थित हैं।

लगभग 167 किलोमीटर लंबा और संकरे हिस्से में मात्र 33 किलोमीटर चौड़ा इस जलडमरूमध्य में जहाजों के आवागमन के लिए तीन किलोमीटर चौड़े विशेष मार्ग बने हुए हैं।

यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी से कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए एकमात्र समुद्री मार्ग है। प्रतिदिन लगभग 1.7 करोड़ बैरल यानी वैश्विक तेल खपत का करीब 20% से 30% हिस्सा इस मार्ग से गुजरता है। साथ ही दुनिया के लगभग एक-तिहाई तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) निर्यात भी इस मार्ग से होते हैं।

होरमुज जलडमरूमध्य बंद हुआ तो क्या असर होगा?

अगर ईरान होरमुज जलडमरूमध्य को बंद कर देता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होगी, जिससे तेल की कीमतों में भारी उछाल आएगा।

सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य ओपेक देशों का अधिकांश कच्चा तेल एशिया को इसी रास्ते से भेजा जाता है। सऊदी अरब और यूएई के पास अन्य विकल्प मार्ग हैं, लेकिन ये 2.6 मिलियन बैरल प्रति दिन से ज्यादा नहीं हो सकते — जो इस घाटे की भरपाई के लिए अपर्याप्त है।

इस मार्ग के संकरे भूगोल और सैन्य संवेदनशीलता के कारण इसे अवरुद्ध करने के प्रयास से क्षेत्रीय तनाव बढ़ेगा, साथ ही अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की नौसेना की ओर से सैन्य प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

हालांकि भारत ने रूस और अन्य अरब देशों से तेल आयात कर अपनी ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाई है, फिर भी इसका बड़ा हिस्सा ईरान से आता है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि होरमुज जलडमरूमध्य बंद होने से भारत में तेल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई पर असर पड़ेगा।

हालांकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इंडिया टुडे टीवी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि इजरायल-ईरान संघर्ष के बावजूद भारत की स्थिति नियंत्रण में है और ऊर्जा की कीमतें स्थिर रहेंगी।

क्या ईरान सचमुच होरमुज जलडमरूमध्य बंद कर सकता है?

अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत ईरान के पास इस मार्ग से जहाजों को रोकने का कानूनी अधिकार नहीं है। ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, इस कार्रवाई के लिए ईरान को बल प्रयोग करना होगा, जिसका सामना उसे अमेरिकी पांचवें बेड़े समेत अन्य पश्चिमी नौसेनाओं से करना पड़ सकता है।

याद रहे कि होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने से ईरान को भी भारी आर्थिक नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि इस मार्ग से ईरान अपने तेल का निर्यात करता है। इसके पूर्वी हिस्से में स्थित जास्क बंदरगाह से भी ईरानी तेल निर्यात होता है।

ईरान के इस कदम से उसका प्रमुख खरीदार और सहयोगी चीन भी नाराज़ हो सकता है, जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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