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जयराज सिंह परमार समर्थकों के साथ भाजपा में हुए शामिल , प्रदेश प्रमुख ने किया स्वागत

| Updated: February 22, 2022 3:12 pm

जयराज सिंह परमार की बीजेपी में शामिल होने के पहले अपने कुल देवी के दर्शन किये। कांग्रेस सदस्यों समेत बड़ी संख्या में समर्थक मेहसाणा छोड़कर कमलम पहुंचकर भाजपा में शामिल हुए .

गुजरात विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही एक बार फिर से भाजपा ने अपना परिवार बढ़ा करने की कवायद तेज कर दी है .कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता जयराज सिंह परमार अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए , इस दौरान प्रदेश भाजपा के प्रमुख सी आर पाटिल विलम्ब से पहुंचे , उनके पहुंचने के पहले पूर्व मंत्री गोवर्धन झड़फिया और रजनी पटेल ने कार्यक्रम संचालित किया। जयराज सिंह परमार के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर सी आर पाटिल ने कहा कि जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए लड़ता हो उसकी इज्जत करनी चाहिए ,

जयराज सिंह को मै नहीं लाया , वह खुद मिलने आये थे , वही गोवर्धन झड़फिया ने जयराज सिंह परमार का स्वागत करते हुए कहा कि वह राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े थे। जनता की पीड़ा को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। हम उन नेताओं का स्वागत करते हैं जो लोगों से जुड़ते हैं। हमारी पार्टी में परिवारवाद काम नहीं करता।
जयराज सिंह परमार की बीजेपी में शामिल होने के पहले अपने कुल देवी के दर्शन किये। कांग्रेस सदस्यों समेत बड़ी संख्या में समर्थक मेहसाणा छोड़कर कमलम पहुंचकर भाजपा में शामिल हुए .

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और नेता जयराज सिंह परमार ने अपनी ताकत दिखाई। वे आधा किलोमीटर लंबी कार और समर्थकों का काफिला लेकर कमलम पहुंचे हैं. वर्तमान में कमल के बाहर आतिशबाजी से उनका अभिनंदन किया गया है। कमलम के बाहर उनके समर्थकों ने उनका स्वागत किया।

भावुक पत्र लिखकर जताई थी नाराजगी

इसके पहले कांग्रेस छोड़ते वक्त जयराज सिंह ने भावुक पत्र लिखा था। जिसमे कहा था कि ‘मेरे साथी कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों, आप सभी गवाह हैं कि मैंने हमेशा कांग्रेस पार्टी को अपना पहला परिवार माना है। मैंने दिल और दिमाग दोनों से 24×7 पार्टी के लिए लड़ाई भी लडी है और जिया भी है। पार्टी ने क्या दिया इसकी चिंता किये बिना मैंने पार्टी को अपना सब कुछ दे दिया। जयराज सिंह को ढाल या तलवार के रूप में इस्तेमाल करने का निर्णय पार्टी के जनरलों पर छोड़ दिया गया था और मैंने एक वफादार सैनिक के रूप में अपना कर्तव्य पूरा किया। जब से मैंने एक विद्यार्थी जीवन से राजनीति में प्रवेश किया है, मैं पूरी ताकत और क्षमता के साथ वैचारिक स्तर पर हवा के विपरीत दिशा में पतंग उड़ाने जैसा कठिन काम पूरी शक्ति और क्षमता से कर रहा हूं।

वैचारिक धरातल पर हाथ में हथियार लेकर लड़ने और जमीन पर गिरने से मुझे कभी हिचकिचाहट नहीं हुई। मैं कांग्रेस पार्टी की ढाल बनकर सड़कों से लेकर मीडिया और सोशल मीडिया तक दिन-रात लड़ रहा हूं। पार्टी चाहे सही हो या गलत, उसने बचाव में पीछे मुड़कर नहीं देखा। विरोधियों के ज़ख्म सामने से सीने पर और अपनों के ज़ख्मों की पीठ पर झेलता रहा , लेकिन एक शब्द भी नहीं कहा। अपने जीवन के 37 वर्ष कांग्रेस पार्टी के लिए बिता दिये ।

जवानी की मस्ती, पत्नी-बेटे समेत परिवार के हक़ का समय और कारोबारी मकसद से पार्टी को सबसे ऊपर रखा। जीवन का आनंद लेने के विकल्पों में से एक के रूप में पार्टी को जीवित रखने के लिए खुद को बलिदान करना उचित समझा , लेकिन दोस्तों, अब आपका भाई थक गया है, लड़ाई से नहीं, बल्कि उन नेताओं की निष्क्रियता से जो लड़ना नहीं चाहते हैं।

हारे हुए नेताओं से थक गया हु

आपके और मेरे बीच खिला रहे अच्छे कार्यकर्ताओं की वफादारी देखकर थक गया हुँ । मैं हारे हुए नेताओं की हार को गले लगाने और पार्टी की जीत के लिए लड़ रहे कार्यकर्ताओं को अलग-थलग करने की मानसिकता से थक चुका हूं. पार्टी के नेतृत्व को म्यूजिकल चेयर का खेल बनाकर ‘ नंबर के बाद नंबर तेरे बाद मेरा ‘ के स्वार्थीपन का बोझ अब थका रहा है।

मैंने कांग्रेस पार्टी को निजी संपत्ति समझकर कब्जा ज़माने वाले नेताओं के खिलाफ जब जरुरत पड़ी तक अनेक बार आवाज उठायी है। मैंने उसमें प्राण फूंकने का अथक प्रयास किया है, पार्टी को सत्ता में आते देखने की इच्छा से नहीं, बल्कि पार्टी को जीवित रखने की बेचैनी से अनेक बार आवाज उठायी है ।

व्यक्तिगत नुकसान झेलने के बाद भी वह सच बोलने से नहीं हिचका । कांग्रेस पिछले 27 सालों से गुजरात में सत्ता से बाहर है, लेकिन आज पार्टी ने हारे हुए घोड़ों पर दांव लगाने की आदत को बनाए रखा है। गुजरात के किसी भी जिले या शहर को देखिए, आपको वो पुराने चेहरे कालीन के किनारे बैठे नजर आएंगे.

जब विभिन्न समितियों के गठन, पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार करने की बात आती है, तो हमेशा वर्षो पुरानी सूची को ज़ोरेक्स कराकर थोप दिया जाता है। हां, जिम्मेदारियां बदल जाती हैं, लेकिन बदली हुई जगह पर चेहरे वही होते हैं। जो नेता अपनी जमीन नहीं बचा सके उन्हें ही जमींदार बनाया गया है और कांग्रेस को पांच पच्चीस लोगों की जागीर बना दिया गया है।

कांग्रेस एक विशाल सागर से कुएं में तब्दील होने तक की स्थिति में आ गई है। ज्यादातर महानगरों में विपक्ष का दर्जा हासिल करना भी मुश्किल है लेकिन वे बाहर की हकीकत को समझने को तैयार नहीं हैं. जिन नेताओं को पता है कि अगर दूसरी पंक्ति उठी तो उनका खाना छीन लिया जाएगा, उन्होंने कांग्रेस के कीबोर्ड से रिफ्रेशमेंट बटन हटा दिया है। पार्टी नया स्वीकार करने, नया सोचने या नए लोगों को आजमाने को तैयार नहीं है।

मुझे लगता है कि विचारशील, बुद्धिजीवी लोगों को कांग्रेस का पेट पचा नहीं पा रहा हैं, यही कारण है कि सच्चे-अच्छे और सक्षम लोग धीरे-धीरे पार्टी छोड़ रहे हैं।”

जयराज सिंह ने पत्र में हजारों कांग्रेस नेताओं की पीड़ा समेट ,भारी मन से कांग्रेस को किया अलविदा

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