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ऑपरेशन सिंदूर के बीच पीएम मोदी का बड़ा ऐलान: अब ‘परमाणु ब्लैकमेलिंग’ नहीं चलेगी, भारत ने बदली रणनीति

| Updated: May 13, 2025 10:46

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने 90 मिनट में पाकिस्तान के 11 ठिकानों पर हमला किया, पीएम मोदी ने कहा—"परमाणु ब्लैकमेलिंग अब नहीं चलेगी"।

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब भारत, पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के डर से आतंकवाद का शिकार नहीं बनेगा। यह बयान भारत की सुरक्षा नीति में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि अब तक पाकिस्तान की परमाणु नीति भारत की सैन्य प्रतिक्रिया को सीमित करती रही है।

ऑपरेशन सिंदूर—जो पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को निशाना बना रहा है—को स्वतंत्रता के बाद भारतीय वायुसेना की सबसे साहसिक कार्रवाई बताया जा रहा है। सैन्य सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने 90 मिनट से भी कम समय में पाकिस्तान के 11 एयरफील्ड्स पर हमला किया, जो भारतीय सैन्य इतिहास में अभूतपूर्व है।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश बिल्कुल स्पष्ट था: अब पाकिस्तान की परमाणु क्षमता को भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए ढाल की तरह इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “परमाणु ब्लैकमेलिंग का युग अब खत्म हो गया है,” इशारा करते हुए कि पाकिस्तान लंबे समय से अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए करता आया है।

पाकिस्तान की परमाणु नीति, जिसे सबसे पहले जनरल ज़िया-उल-हक़ और बाद में 2000 के दशक की शुरुआत में लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने औपचारिक रूप दिया, चार “रेड लाइन” तय करती है—अगर पाकिस्तान की ज़मीन छीनी जाए, सैन्य ढांचा तबाह हो, आर्थिक घेराबंदी हो या आंतरिक अस्थिरता फैले, तो वह परमाणु हमला कर सकता है। इस नीति का उद्देश्य भारत को किसी भी पारंपरिक सैन्य प्रतिक्रिया से रोकना रहा है।

पीएम मोदी के भाषण ने इस रणनीति को चुनौती दी। उन्होंने इशारों में कहा कि पाकिस्तान का परमाणु हथियार असल में भारतीय सेना को नहीं, बल्कि भारतीय राजनीतिक नेतृत्व को डराने का जरिया रहा है। दशकों तक यह रणनीति कारगर रही—चाहे वो 1980 के दशक के अंत का दौर हो, कारगिल युद्ध हो या 2001–02 का ऑपरेशन पराक्रम, जब भारत ने बड़े आतंकी हमलों के बावजूद सीमाएं पार नहीं कीं।

भारत का खुद का परमाणु कार्यक्रम 1990 के दशक में पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमता के जवाब में सामने आया था, लेकिन अब तक सभी प्रधानमंत्रियों—चाहे वो अटल बिहारी वाजपेयी हों या मनमोहन सिंह—ने पाकिस्तान के भीतर सैन्य कार्रवाई से परहेज़ किया।

लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई व्यापक हवाई हमलों की मंजूरी इस नीति में बदलाव का संकेत देती है। अब भारत पाकिस्तान की परमाणु धमकी को चुनौती देने के लिए तैयार है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण केवल एक सैन्य कार्रवाई की सूचना नहीं, बल्कि एक नई रणनीतिक दिशा है: अब भारत आतंकवाद और आतंकियों को संरक्षण देने वालों में कोई अंतर नहीं करेगा, चाहे पीछे परमाणु हथियारों की परछाई ही क्यों न हो। यह दक्षिण एशिया की सुरक्षा संतुलन में एक नई लकीर खींचता है।

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