आदेश रावलः पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में पार्टी द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी के साथ दूसरी मुलाकात में भी दो-टूक थे। इतने कि नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने से साफ इंकार कर दिया। साथ ही मीडिया में नवजोत सिंह सिद्धू के बेलगाम इंटरव्यू पर भी नाराजगी जता दी। इतना ही नहीं, बातचीत से पहले सिद्दू को चुप कराने की शर्त भी रख दी। दरअसल पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है । कांग्रेस के लिए पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है,जहां पार्टी को फिर से अपनी सरकार बनने की उम्मीद है। इस लिहाज से सब कुछ ठीक भी चल रहा था।पिछले साल यानी 2020 केअक्टूबर में शुरू हुए किसान आंदोलन ने पंजाब में कांग्रेस का रास्ता और आसान कर दिया था। किसानों से जुड़े तीनों कानून जैसे ही संसद में पारित हुए,वैसे ही अकाली दल ने एनडीए का साथ छोड़ दिया। बता दें कि अकाली दल एनडीए का सबसे पुराना साथी था उधर,राजस्थान कांग्रेस का टकराव चल ही रहा था कि पंजाब में भी नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ मोर्चा खोल दिया।नवजोत सिंह ने अपनी ही सरकार पर 2017 में किए चुनावी वादों को भुला देने का आरोप लगा दिया। इनमें ड्रग्स, गुरुग्रंथ साहिब का मुद्दा सबसे बड़ा था। लेकिन इन सबसे भी बड़ा आरोप नवजोत सिंह सिद्धू ने यह लगाया कि कैप्टन और बादल परिवार एक-दूसरे से मिले हुए हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कुछ विधायक भी दबी आवाज में कैप्टन के खिलाफ बोलने लगे। बात दिल्ली तक पहुंची। आखिर में एक कमेटी बनाई गई। इसमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जेपी अग्रवाल और पंजाब के प्रभारी महासचिव हरीश रावत को शामिल किया गया।पंजाब को लेकर आलाकमान की इतनी जल्दबाजी से सब हैरान थे,क्योंकि अगस्त 2020 में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के असंतोष को लेकर भी एक कमेटी बनाई गई थी। इसमें अहमद पटेल,संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और राजस्थान के महासचिव प्रभारी अजय माकन थे।पिछले दस महीनों में राजस्थान परबनी कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई है। इस बीच अहमद पटेल का भी निधन हो गया। दरअसल पंजाब को लेकर जब कमेटी बनाई गई और कोरोना महामारी के चलते दिल्ली में पंजाब के विधायकों को बुलाकर चर्चा शुरू हुई, तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदरसिंह की नाराजगी बढ़ने लगी। सभी विधायक,सांसद,प्रवक्ता और बाकी पूर्व विधायकोंने कमेटी के सामने अपनी बात रखी। बता दें कि तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है।
कमेटी के सुझाव
तीन सदस्यीय कमेटी ने कहा, पंजाब में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री बनाया जाए। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष को भी तुरंत बदला जाए। लेकिन ये दोनों ही नेता हिंदू और दलित होने चाहिए, क्योंकि पंजाब में अकाली और बहुजन समाज पार्टी का समझौता हो चुका है। गौरतलब है कि पंजाब ऐसा राज्य है जहां दलितों का बड़ा वोट बैंक है। कमेटी ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री से विधायक नाराज जरूर हैं, लेकिन वे भी नवजोत सिंह सिद्धू को उनका विकल्प नहीं मानते।इसकी बड़ी वजह है कि सिद्धू जाट सिख हैं और पटियाला से आते हैं तो पंजाब के मुख्यमंत्री भी जाट सिख हैं और पटियाला से ही आते हैं। दरअसल यह पूरी जद्दोजहद इसलिए भी शुरू हुई कि नवजोतसिंह सिद्धू प्रियंका गांधी के बहुत नज़दीकी माने जाते हैं। दिल्ली में इस बात की भी चर्चा है कि प्रियंका गांधी कानवजोत सिंह सिद्धू पर आशीर्वाद है। इसीलिए वह कैप्टन पर हमला बोल रहे हैं।
पंजाब का समाधान
अब कमेटी की रिपोर्ट दिल्ली में आलाकमान के पास है। तीन सदस्यीय कमेटी और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंहके बीच दूसरी बार मीटिंग हो चुकी है। हालांकि रास्ता कोई भी नहीं निकला है।इसकी बड़ी वजह नवजोत सिंह सिद्धू ही है।वह पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते हैं और कैप्टन ने साफ शब्दों में मना कर दिया है। इतना ही नहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जब तीन सदस्यीय कमेटी के सामने अपना पक्ष रख रहे थे, उसी वक्त राहुल गांधी मुख्यमंत्री के विरोधी विधायकों और सांसदों के साथ दिल्ली में बैठक कर रहे थे।
इससे पहले भी राहुल गांधी ने पंजाब के विधायकों से सिग्नल ऐप के ज़रिए पूरा फीडबैक लिया था। इसमें राजस्थान के कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी का नाम भी सामने आया था। वह पंजाब के विधायकों को फोन करके बोल रहे थे कि मैं पंजाब का महासचिव बन कर आ रहा हूं। जल्द ही मुख्यमंत्री को हटाना है। इसके बाद कुछ विधायकों ने हरिश चौधरी का फोन रिकॉर्ड कर लिया और वह रिकॉर्डिंग मुख्यमंत्री के पास भेज दी गई। मुख्यमंत्री ने वही रिकार्डिंग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भेज दी। इससे यह मुद्दा और बड़ा हो गया। हरिश चौधरी पहले पंजाब कांग्रेस के सचिव भी रह चुके हैं। कैप्टन के मना करने बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष के सामने समस्या यह है कि इसका समाधान क्या निकाला जाए।
पंजाब कैबिनेट में मंत्री पद,उपमुख्यमंत्री,कैम्पन कमेटी के अध्यक्ष- यह सब पद नवजोत सिंह सिद्धू को पहले ही पार्टी देने पर राजी थी।लेकिन सिद्धू ने मना कर दिया। बैसाखी से पहले भी प्रशांत किशोर और कैप्टन ने सिद्धू को बुलाकर कैबिनेट में शामिल होनेको कहा था,लेकिन वह नहीं माने। इस तरह आलाकमान की जद्दोजहद के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलाहै। सिद्धू पंजाब कांग्रेस का कैप्टन बनना चाहते हैं, लेकिन अमरिंदर सिंह हैं कि मानते नहीं।
(आदेश रावल पत्रकार है|13 साल से वों कोंग्रेस एवं पार्लामेंट कवर कर रहे है|)